हमीरपुर-महोबा संसदीय सीट पर 57 साल में कोई भी प्रत्याशी नहीं लगा पाया हैट्रिक

हमीरपुर-महोबा संसदीय सीट पर 57 साल में कोई भी प्रत्याशी नहीं लगा पाया हैट्रिक
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हमीरपुर-महोबा संसदीय सीट पर 57 साल में कोई भी प्रत्याशी नहीं लगा पाया हैट्रिक


--जातीय समीकरणों का खेल बिगड़ने पर लगातार तीन बार कोई भी नहीं बन पाया सांसद

हमीरपुर, 27 मार्च (हि.स.)। हमीरपुर-महोबा-तिंदवारी संसदीय सीट पर सत्रह बार आम चुनाव हुए, जिसमें शुरुआती दौर में एक ब्राह्मण बिरादरी के नेता लगातार तीन बार सांसद बने थे। लेकिन 57 साल बाद भी यहां की सीट पर कोई भी प्रत्याशी हैट्रिक नहीं लगा सका।

पार्टी की बात करें तो तीन आम चुनावों में भाजपा का इस सीट पर कमल खिला था। लगातार दो बार सांसद बनने वाले लोधी जाति के एक नेता का हैट्रिक लगाने का सपना चूर हो गया था। जातीय समीकरणों का खेल बिगड़ने पर फिलहाल लगातार तीन बार कोई भी सांसद नही बन पाया है। मौजूदा में भाजपा के पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल वर्ष 2014 से लगातार सांसद है। अबकी बार हैट्रिक लगाने के लिए ये तीसरी बार चुनाव मैदान में है।

बुंदेलखंड के हमीरपुर-महोबा संसदीय सीट पर 1952 में पहली बार आम चुनाव हुए थे जिसमें कांग्रेस के एमएल द्विवेदी बत्तीस फीसदी से अधिक मतों से सांसद बने थे। इन्हें एक निर्दलीय प्रत्याशी ने बड़ी टक्कर दी थी। एमएल द्विवेदी लगातार 1962 तक इस सीट से सांसद रहे हैं। अच्छी छवि होने पर इन्होंने यहां की सीट पर हैट्रिक लगाई थी। लेकिन चौथी बार ये सांसद नहीं बन सके। चौथे आम चुनाव में लोधी जाति के एक संत से एमएल द्विवेदी बुरी तरह हार गए थे। उनके हिस्से में सिर्फ 31 फीसदी मत आए थे। तीसरे आम चुनाव में हैट्रिक लगाने वाले एमएल द्विवेदी को तगड़ा झटका देने के लिए चुनावी महासमर में एक ब्राह्मण नेता जातीय समीकरण बिगाड़ने में दिन रात एक किया था लेकिन इसके बावजूद एमएल द्विवेदी ने संसदीय क्षेत्र में हैट्रिक लगाकर रिकार्ड बनाया। हालांकि उन्हें 47.9 फीसदी मत मिले थे। जबकि पीएसपी प्रत्याशी यूएन शर्मा 34.5 फीसदी हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे।

एक छोटे से गांव का संत भी लगातार दो बार बने थे एमपी

चौथे आम चुनाव में लोधी बिरादरी के स्वामी ब्राह्मनंद सांसद बने थे। ये जातीय समीकरणों के खेल में दो बार सांसद बने लेकिन ये भी यहां की सीट पर हैट्रिक नही लगा पाए। वर्ष 1967 में पहली बार स्वामी ब्रह्मनंद भाजसं के टिकट से सांसद बने थे। इन्हें 54 फीसदी से ज्यादा मत मिले थे। ये 1971 में पार्टी छोड़ कांग्रेस में आए और दोबारा यहां की सीट से निर्वाचित हुए। संत होने के कारण जातीय समीकरण बनने पर इन्हें 52 फीसदी मत मिले। लेकिन 1977 के आम चुनाव में ये हैट्रिक नहीं लगा पाए। इन्हें 27.5 फीसदी मत मिले थे। इसके बाद स्वामी फिर चुनाव नहीं लड़े।

लोधी बिरादरी के दिग्गज नेता भी लगातार दो बार बने थे सांसद

हमीरपुर, महोबा, तिंदवारी संसदीय सीट से एमएल द्विवेदी के अलावा आज तक कोई भी प्रत्याशी लगातार तीन बार सांसद नहीं बन सका। वर्ष 1989 के आम चुनाव में लोधी बिरादरी के गंगाचरण राजपूत सांसद बने थे। जनता दल की लहर में इन्हें सर्वाधिक 42.9 फीसदी मत मिले थे। लेकिन ये 1991 के आम चुनाव में हार गए थे। वर्ष 1996 में जनता ने भरोसा कर इन्हें सांसद बनाया था। ये 1998 में दोबारा सांसद बने थे। लेकिन 1999 के आम चुनाव में जातीय समीकरणों के उलटफेर में ये हैट्रिक नहीं लगा सके। हालांकि अलग-अलग दलों से तीन बार सांसद बने थे।

हिन्दुस्थान समाचार/पंकज//विद्याकांत

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