ब्रह्मलीन शंकराचार्य निरंजन देवतीर्थ के संदेश का करेंगे व्यापक प्रचार : जगद्गुरु अधोक्षजानंद

ब्रह्मलीन शंकराचार्य निरंजन देवतीर्थ के संदेश का करेंगे व्यापक प्रचार : जगद्गुरु अधोक्षजानंद


मथुरा, 17 सितम्बर (हि.स.)। गोवर्धन पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ ने पुरी के ब्रह्मलीन 144वें शंकराचार्य स्वामी निरंजन देवतीर्थ को भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म का सशक्त प्रचारक और उपदेशक बताया है। उन्होंने कहा कि सनातन संन्यास परंपरा को जीवंत बनाने में स्वामी निरंजन देवतीर्थ का योगदान अतुलनीय है। शंकराचार्य ने कहा कि स्वामी निरंजन देवतीर्थ के संदेश का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जायेगा।

जगद्गुरु अधोक्षजानंद देवतीर्थ आज पुरी पीठ के पूर्व शंकराचार्य को उनकी 27वीं पूण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी निरंजन देवतीर्थ ने भारतीय संस्कृति की अनमोल धरोहर गाय, गंगा और गीता के संरक्षण और संवर्धन को लेकर आजीवन संधर्ष किया। गौहत्या के खिलाफ 1966-67 में तत्कालीन केंद्र सरकार के विरुद्ध उन्होंने देश की राजधानी दिल्ली में 72 दिन का अनशन भी किया था। ‘हिन्दू कोड बिल’ के विरुद्ध भी उन्होंने आंदोलन किया था। इसके चलते उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा।

उन्होंने कहा कि स्वामी निरंजन देवतीर्थ ने गौ हत्या के विरोध में शंकराचार्य के रूप में प्राप्त छत्र, दण्ड तथा सिंहासन का भी परित्याग कर दिया था, जो उनके ऋषि सदृश अद्वितीय स्वाभिमान तथा निर्भीकता के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। शंकराचार्य ने कहा कि स्वामी निरंजन देवतीर्थ के संघर्ष का ही नतीजा है कि वर्तमान केंद्र और राज्य की सरकारें गौ माता के संरक्षण को लेकर आज सजग हैं। अब वह दिन दूर नहीं जब सनातन परंपराओं के साथ अखंड भारत का सपना साकार होगा।

शंकराचार्य अधोक्षजानंद ने कहा कि शास्त्रों के पारगामी विद्वान, कट्टर शास्त्रानुयायी, लेखक, ओजस्वी वक्ता, शास्त्रार्थ धुरन्धर, कुशल प्रशासक, तपस्वी, त्यागी, सरल शिक्षक तथा शास्त्र मर्मज्ञ आदि योग्यता को रखते हुए महामानव के रूप में स्वामी निरंजन देवतीर्थ ने सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार तथा संरक्षण में सतत प्रयत्न किया। संस्कृत तथा संस्कृति की सुरक्षा के लिए वह सदैव दृढ़प्रतिज्ञ रहे।

गोवर्धन स्थित आद्य शंकराचार्य आश्रम में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में त्रिपुरा विधानसभा के उपाध्यक्ष राम प्रसाद पाल एवं उत्तराखंड के भाजपा विधायक व पूर्व कैबिनेट मंत्री किशोर उपाध्याय समेत कई जनप्रतिनिधि, अधिकारी व अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित रहे।

इस अवसर पर त्रिपुरा विधानसभा के उपाध्यक्ष राम प्रसाद पाल ने कहा कि पूज्य संत और शंकराचार्य भारतीय सनातन संस्कृति की पहचान हैं। हमें इनसे सदैव प्रेरणा लेते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्वाेत्तर भारत का क्षेत्र गोवर्धन मठ पुरी पीठ के अंतर्गत आता है और यहां के वर्तमान पीठाधीश्वर स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ का आशीर्वाद इस क्षेत्र को निरंतर मिलता रहता है।

गौरतलब है कि लगभग 2700 वर्ष पहले आद्य शंकराचार्य भगवान ने गोवर्धन पीठ समेत चार मठों की स्थापना की थी। आद्य शंकराचार्य द्वारा रचित ‘मठाम्नाय महानुशासन’ के अनुसार गोवर्धन मठ के अधीन अंग, बंग, कलिंग, मगध, उत्कल और बर्बर तथा नेपाल, बर्मा, भूटान एवं बांग्लादेश के क्षेत्र आते हैं। स्वामी श्री पद्मपादाचार्य मठ के प्रथम आचार्य थे। इस मठ के आचार्य ‘तीर्थ’ परंपरा के ही संन्यासी होते हैं। 143वें शंकराचार्य स्वामी भारती कृष्ण देवतीर्थ संस्कृत, हिन्दी और अंग्रेजी के अलावा गणित तथा विज्ञान के प्रकाण्ड विद्वान थे। उन्होंने लुप्त हुई भारतीय गणित पद्धति पर ‘वैदिक गणित’ नामक ग्रन्थ अंग्रेजी में लिखा, जिससे उन्हें अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली। स्वामी भारती कृष्ण देवतीर्थ का देहावसान 2 फरवरी 1958 को हुआ। इसके बाद 144वें शंकराचार्य के रुप में स्वामी निरंजन देवतीर्थ का अभिषेक हुआ। गोवर्धन पुरी पीठ के वर्तमान और 145वें शंकराचार्य के रुप में स्वामी अधोक्षजानंद देव तीर्थ का अभिषेक वर्ष 1995 में प्रयाग अर्धकुम्भ के अवसर पर हुआ था।

श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित उत्तराखंड के भाजपा विधायक व पूर्व कैबिनेट मंत्री किशोर उपाध्याय ने अपनी पत्नी सुमन उपाध्याय के साथ ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी निरंजन देवतीर्थ को पुष्पांजलि अर्पित करते हुए कहा कि वर्तमान पीठाधीश्वर स्वामी अधोक्षजानंद देव तीर्थ पूर्व शंकराचार्य के संदेश को जन-जन तक पहुंचा रहे हैं। कार्यक्रम में उपस्थित असम राज्य के वरिष्ठ समाज सेवी किशोर जयंत माधव, दिगंबर अखाड़ा के महामंडलेश्वर भैयादास, नैमिषाण्य तीर्थ के दण्डी स्वामी जगदीशाश्रम, काशी से आये दण्डी स्वामी महादेवानंद सरस्वती, कोतवाल रामेश्वरदास, गोवर्धन नगर पंचायत चेयरमैन प्रतिनिधि मनीष नम्बरदार, युवा भाजपा नेता मेरुकांत पांडेय, नीरज सिकरवार आग्रा, एसपी, सीबीसीआईडी समीर सौरभ, सीओ गोवर्धन राम मोहन शर्मा, प्रभारी निरीक्षक ओमहरि बाजपेयी समेत तमाम लोगों ने भी ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी निरंजन देवतीर्थ को पुष्पांजलि अर्पित की। इससे पूर्व आश्रम में पूर्व शंकराचार्य की स्मृति में कई धार्मिक अनुष्ठान भी सम्पन्न हुए। श्रद्धालुओं ने स्वामी निरंजन देवतीर्थ के चित्र पर पुष्पांजलि की और उनकी आरती उतारी।

जगद्गुरु शंकराचार्य अधोक्षजानंद देवतीर्थ मथुरा के गोवर्धन स्थित श्रीआद्य शंकराचार्य आश्रम में ही इस समय चातुर्मास व्रत का अनुष्ठान कर रहे हैं। इसके चलते शंकराचार्य आश्रम में प्रतिदिन यज्ञादि अनुष्ठान नियमित संचालित हो रहा है। जगद्गुरु के चातुर्मास व्रत के दौरान आश्रम में देश-विदेश से श्रद्धालुओं के आने का क्रम भी जारी है।

हिन्दुस्थान समाचार /महेश/पीएन द्विवेदी//बृजनंदन/पदुम नारायण

हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्‍वाइन करने के लि‍ये  यहां क्‍लि‍क करें, साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लि‍ये  यहां क्लिक करें।

Share this story