वही शिक्षक अच्छा जो छात्रों में रुचि उत्पन्न करा दे : चिन्तामणि सिंह

वही शिक्षक अच्छा जो छात्रों में रुचि उत्पन्न करा दे : चिन्तामणि सिंह
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वही शिक्षक अच्छा जो छात्रों में रुचि उत्पन्न करा दे : चिन्तामणि सिंह


--’’बालक के विकास में शिक्षक की भूमिका’’

प्रयागराज, 22 जून (हि.स.)। एक विद्यार्थी के जीवन में शिक्षक ऐसा महत्वपूर्ण इंसान है जो अपने ज्ञान, धैर्य, प्यार और देखभाल से उसके पूरे जीवन को एक मजबूत आकार देता है। हर विद्यार्थी की शिक्षा में एक शिक्षक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। शिक्षक के पास बहुत सारे गुण होते हैं और वो अपने विद्यार्थी के जीवन को सफल बनाने में पूरी तरह से दक्ष होता है। वही शिक्षक अपने विषय के अच्छा परिणाम दे सकता है जो छात्रों में रुचि उत्पन्न करा दे।

उक्त विचार विद्या भारती पूवी उप्र के सह मंत्री चिन्तामणि सिंह ने शनिवार को ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर कॉलेज सिविल लाइन्स में नवचयनित आचार्य प्रशिक्षण वर्ग में व्यक्त किया। ’’बालक के विकास में शिक्षक की भूमिका’’ विषय पर चिन्तामणि सिंह का पाथेय नवचयनित आचार्य आचार्यों को प्राप्त हुआ। उन्होने सभी को सम्बोधित करते हुए कहा कि शिक्षक अच्छे से जानता है कि विद्यार्थी का ध्यान पढ़ाई की ओर कैसे लगाना है। पढ़ाई के दौरान शिक्षक रचनात्मकता का इस्तेमाल करता है, जिससे विद्यार्थी एकाग्र हो सके। शिक्षक ज्ञान का भण्डार होता है और उसके पास बहुत धैर्य और विश्वास होता है जो विद्यार्थियों के भविष्य की जिम्मेदारी लेता है।

उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जो एक अच्छे व्यवहार और नैतिकता के व्यक्ति के लिए बहुत अच्छे से विद्यार्थी को शिक्षित करते हैं। वे विद्यार्थी को अकादमिक रुप से बेहतरीन बनाते हैं और जीवन में हमेशा अच्छा करने के लिये प्रोत्साहित करते हैं। बिना शिक्षक के जीवन में कोई भी मानसिक, सामाजिक और बौद्धिक रुप से विकास नहीं कर सकता है। उन्होने कहा विद्या भारती सहयोगी नहीं बनाती है, बल्कि कार्यकर्ता का निर्माण करती है। शिक्षक का भाव कार्य से पहले विद्वता का, कार्य के समय सर्तकता का तथा कार्य के पश्चात् समीक्षा का होना चाहिए। हम सभी का लक्ष्य पूर्णतया बालक का विकास होना चाहिए।

इसके पूर्व मुख्य अतिथि का स्वागत विद्यालय के प्रधानाचार्य विक्रम बहादुर सिंह परिहार ने स्मृति चिन्ह, अंगवस्त्रम तथा श्रीफल देकर किया। दस दिनों तक चलने वाले इस नवचयनित आचार्य प्रशिक्षण वर्ग में प्रतिदिन विभिन्न सत्रां जैसे वैचारिक सत्र, शैक्षिक सत्र, क्रियात्मक सत्र, चर्चात्मक सत्रों में आचार्यों को विभिन्न विद्वतजनों द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया जायेगा।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/बृजनंदन

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