इक्कीसवीं सदी का शिक्षण कौशल चार 'सी' पर आधारित : गोपाल तिवारी
प्रयागराज, 25 जून (हि.स.)। शिक्षा में अच्छा शिक्षण कौशल होना आवश्यक है और यह हमारे समाज के विकास में महत्वपूर्ण योगदान करता है। अच्छा शिक्षण कौशल प्राप्त करने के लिए आपको कुछ महत्वपूर्ण कौशलों को सीखना होगा। ‘21वीं सदी का शिक्षण कौशल’ चार ‘सी’ पर आधारित है।
उक्त विचार मंगलवार को मुख्य वक्ता विद्या भारती काशी सम्भाग के सम्भाग निरीक्षक गोपाल तिवारी ने ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर कॉलेज सिविल लाइन्स में आयोजित नवचयनित आचार्य प्रशिक्षण वर्ग में व्यक्त किया। इस दौरान उन्होंने चार ‘सी’ पर सभी को अवगत कराया। आलोचनात्मक सोच (Critical Thinking), रचनात्मकता सोच (Creativity), सहयोग (Collabration). संचार (Communication)।
गोपाल तिवारी ने कहा कि शिक्षण एक महत्वपूर्ण कौशल है, जो हमें ज्ञान और अनुभव को आगे बढ़ाने की क्षमता प्रदान करता है। अच्छे शिक्षक न केवल ज्ञान का संचार करते हैं बल्कि वे अपने छात्रों को सोचने, समझने और संवाद करने की क्षमता भी प्रदान करते हैं। अच्छे शिक्षकों के माध्यम से हम विद्यार्थियों को सकारात्मक और साक्षात्कार आधारित शिक्षा प्रदान कर सकते हैं। वे अपने उच्च मानकों, योग्यता और प्रेरणादायक व्यक्तित्व के माध्यम से छात्रों का मार्गदर्शन करते हैं।
उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में शिक्षक को नई तकनीकी के बारे में जानना बहुत जरूरी है। एक शिक्षक को प्रशासक नहीं होना चाहिए तथा हमेशा उसे चिन्तनशील रहते हुए अपने छात्रो को क्या बेहतर दे सकते हैं, उसके बारे में सोचना चाहिए। आज हर किसी को डिजिटल साक्षर होना चाहिए। अर्थात कम्प्यूटर और अन्य डिजिटल उपकरणों का प्रभावी ढंग से उपयोग करना चाहिए। आप अपने पाठों में कम्प्यूटर आधारित गतिविधियों को शामिल कर और विद्यार्थियों को सुरक्षित और जिम्मेदारी से ऑनलाइन जानकारी की खोज करना सिखाकर अपनी कक्षा में डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा दे सकते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/सियाराम
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