शिक्षकों को छात्रों एवं उनकी मानसिकता जानने की जरूरत : शेषधर द्विवेदी
--राष्ट्र के निर्माण में शिक्षक की भूमिका अहम : कृष्ण कुमार तिवारी
प्रयागराज, 23 जून (हि.स.)। आज का समय कॉफी बदल चुका है, उसी के अनुरूप हम सभी शिक्षकों को भी अपने अन्दर बदलाव लाने की आवश्यकता है। वर्तमान पीढ़ी में शिक्षक का कार्य केवल पारम्परिक आधारित शिक्षण और ज्ञान नहीं है, बल्कि आज के शिक्षक को नेट पीढ़ी से निपटना है जो सूचना संचार, सहयोग सम्बंधी ज्ञान और कौशल से सुसज्जित है। शिक्षकों को छात्रों और उनकी मानसिकता को जानने की जरूरत है।
उक्त विचार बतौर मुख्य वक्ता विद्या भारती पूर्वी उप्र के प्रदेश निरीक्षक शेषधर द्विवेदी ने रविवार को ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर कॉलेज सिविल लाइन्स में नवचयनित आचार्य प्रशिक्षण वर्ग में व्यक्त किया। उन्होंने सभी को सम्बोधित करते हुए कहा कि हालांकि 21वीं सदी के युग में शिक्षक की छवि पारम्परिक से बदलकर परिवर्तनकारी शिक्षण में बदल गई है। अब हम जानते हैं कि 21वीं सदी का काम कौशल आंदोलन पर आधारित है और हर शिक्षक और छात्र को एक प्रभावी शिक्षण और नई वैश्विक (अर्थव्यवस्था) प्रावधान में भागीदार बनने के लिए इन कौशलों की आवश्यकता है। 21वीं सदी के शिक्षकों की एक नए वैश्विक समाज में बेहतर शिक्षक या शिक्षार्थी के रूप में बहुत बड़ी भूमिका है।
मुख्य अतिथि बैंक ऑफ बड़ौदा के शाखा प्रबंधक कृष्ण कुमार तिवारी ने कहा कि आज के वर्तमान समय में शिक्षकों को ज्ञान के साथ-साथ विद्यार्थी को सही दिशा देने की आवश्यकता है शिक्षक की भूमिका राष्ट्र निर्माण में अहम होती है। केरल के एक विद्यालय में ’रोबोटिक्स टीचर’ का प्रयोग किया जाने लगा है, उन्होने कहा कि हमें अपने आपको अपडेट तथा अपग्रेड करना होगा, नहीं तो यह रोबोट्स हमारा स्थान लें लेगे।
इसके पूर्व मुख्य वक्ता एवं मुख्य अतिथि का स्वागत प्रधानाचार्य युगल किशोर मिश्र ने किया। तत्पश्चात् ’’21वीं सदी का आचार्य’’ विषय पर शेषधर द्विवेदी का पाथेय नवचयनित आचार्यों को प्राप्त हुआ। दस दिनों तक चलने वाले इस नवचयनित आचार्य प्रशिक्षण वर्ग में प्रतिदिन वैचारिक सत्र, शैक्षिक सत्र, क्रियात्मक सत्र, चर्चात्मक सत्रों में आचार्यों को विभिन्न विद्वज्जनों द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया जायेगा।
हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/सियाराम
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