बीएचयू जेरियाट्रिक मेडिसिन विभाग में नई दो पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड और इकोकाॅर्डियोग्राम मशीन स्थापित

बीएचयू जेरियाट्रिक मेडिसिन विभाग में नई दो पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड और इकोकाॅर्डियोग्राम मशीन स्थापित
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बीएचयू जेरियाट्रिक मेडिसिन विभाग में नई दो पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड और इकोकाॅर्डियोग्राम मशीन स्थापित


—चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक ने किया उद्घाटन,मरीजों को मिलेगी सुविधा

वाराणसी,30 अप्रैल (हि.स.)। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय चिकित्सा विज्ञान संस्थान के जेरियाट्रिक मेडिसिन विभाग में नई खरीदी गई दो पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड और इकोकाॅर्डियोग्राम मशीनों को विभाग में स्थापित कर दिया गया। मंगलवार को संस्थान के निदेशक प्रो. एसएन संखवार ने मशीनों का उद्घाटन किया। इस अवसर पर निदेशक ने पूर्वांचल के वृद्ध रोगियों की नि:स्वार्थ देखभाल के लिए विभाग द्वारा की गई पहल की जमकर सराहना की। उन्होंने रेजिडेंट डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ, पैरामेडिक्स और अन्य सहायक कर्मचारियों को रोगी लाभ के लिए कड़ी मेहनत जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया।

बताते चलें कि विभाग नि:शुल्क इन-हाउस बेडसाइड इलेक्ट्रोकाॅर्डियोग्राम और स्पाइरोमेट्री सुविधाएं प्रदान कर रहा है । और इसमें कमजोरी के मूल्यांकन के लिए बॉडी कंपोजिशन विश्लेषक और हैंड ग्रिप डायनेमोमीटर की सुविधाएं हैं, जो सभी वर्तमान में नि:शुल्क सुविधाओं के रूप में प्रदान की जाती हैं। विभागाध्यक्ष डॉ. एसएस चक्रवर्ती ने बताया कि बेडसाइड अल्ट्रासाउंड और इको सुविधा बुजुर्ग मरीजों के लिए वरदान साबित होगी। कई प्रक्रियाओं के लिए, उन्हें रेडियोडाॅयग्नोसिस या काॅर्डियोलॉजी विभाग में रेफरल की आवश्यकता नहीं होगी। पेट की नियमित स्क्रीनिंग अल्ट्रासाउंड, प्लेऊरल इफ्यूशन के लिए छाती का अल्ट्रासाउंड, श्वसन संकट सिंड्रोम, निमोनिया और हृदय संबंधी स्थितियों के लिए बुनियादी जांच जरा चिकित्सा वार्ड में ही संभव होगी। नियत समय में अल्ट्रासाउंड का उपयोग करके असाइटीस (पेट में पानी), फेफड़े में पानी, जोड़ का पानी निकालने जैसी नैदानिक प्रक्रियाएं शुरू की जाएंगी। पैर के नस/शिरा में खून का थक्का जमना (डीप वैन थरोमबोसिस), पुल्मनेरी एम्बोलीसम (फेफड़े के नस में खून का थक्का जमना), दिल का दौरा जैसी आपातकालीन समस्याओं का निदान वार्ड में ही किया जा सकता है, और बुजुर्ग रोगियों का फ्लूइड बैलन्स जो गर्मी के महीनों में बहुत महत्वपूर्ण है, नवीनतम प्रोटोकॉल के अनुसार अल्ट्रासाउंड मार्गदर्शन का उपयोग कर संभव होगा। उन्होंने बताया कि यह विभाग की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है। मेडिसिन संकाय के डीन प्रो.अशोक चौधरी, जेरियाट्रिक मेडिसिन विभाग के प्रो. अनूप सिंह, रेडियोडायग्नोसिस विभाग से प्रो. आशीष वर्मा, डॉ. प्रमोद कुमार सिंह और डॉ. इशान कुमार भी उद्घाटन के अवसर पर मौजूद रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/सियाराम

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