भारत की संस्कृति मैकाले शिक्षा पद्धति में कहीं खो गई : प्रो. आनंद शंकर सिंह
प्रयागराज, 06 सितम्बर (हि.स.)। मालवीय मिशन टीचर्स ट्रेनिंग सेंटर, ईश्वर शरण पीजी कॉलेज द्वारा भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘एनईपी ओरियेंटेशन एंड सेंसिटाइजेशन प्रोग्राम’ का आयोजन किया गया। ईश्वर शरण महाविद्यालय के प्राचार्य एवं प्रशिक्षण केंद्र के निदेशक प्रो.आनंद शंकर सिंह ने कहा कि भारत की संस्कृति हमेशा से ही बहुआयामी रही है। जो मैकाले शिक्षा पद्धति में कहीं खो गई है और अब इस व्यवस्था को पुनः संचालित करने का प्रयास किया जा रहा है।
प्राचार्य ने शिक्षकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि नई शिक्षानीति कैसे हमें बहुआयामी दृष्टि दे रही है। उन्होंने एनईपी के मुख्य विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शिक्षा का मातृभाषा में होना अति आवश्यक होता है। जिससे सभी क्षेत्र के विद्यार्थी विषयों को गहराई से समझ सकते हैं। उन्होंने महाविद्यालय के प्रशिक्षण केन्द्र की गतिविधियों व उपलब्धियों के बारे में चर्चा की।
प्रथम सत्र में डॉ. आलोक गार्डियां ने हॉलिस्टिक और मल्टी डिसीप्लिनरी एजुकेशन पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी के पास आज कई चुनौतियां है। इंटर डिसीप्लिनरी में दो डिसिप्लिन एक साथ मिलते हैं। मल्टी डिसीप्लिनरी शिक्षा के कई क्षेत्रों को समावेशित करता है। एनईपी ने मल्टी डिसीप्लिनरी को स्थापित किया। विद्यार्थियों को 21वीं सदी के चुनौतियों के लिए तैयार करना, मल्टीपल एंगल की समस्याओं के समाधान के लिए, पर्यावरण, आर्थिक और सामाजिक मुद्दों की चुनौती के लिए विद्यार्थियों को तैयार करना मल्टी डिसीप्लिनरी एजुकेशन के मुख्य उद्देश्य हैं। उन्होंने एनईपी 2020 के विजन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आईआईटी ने पहले ही यह कार्यक्रम आरम्भ कर दिया है।
दूसरे सत्र के वक्ता प्रो. हृषिकेश सेनापति ने लचीला पाठ्यक्रम बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य शिक्षार्थियों में आलोचनात्मक सोच, बहुमुखी प्रतिभा, समस्या समाधान, विश्लेषणात्मक समझ एवं संचार कौशल का विकास करना है, जिससे रिसर्च के अवसर उत्पन्न होते हैं और उसे बेहतर बनाया जा सकता है। कार्यक्रम संयोजिका डॉ. रश्मि जैन ने दोनों अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के अन्य शिक्षक भी जुड़े थे।
हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र
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