गुरुकुल शिक्षा पद्धति का ही मूर्त रूप है राष्ट्रीय शिक्षा नीति
झांसी, 06 अप्रैल(हि.स.)। भारतीय शिक्षण मण्डल, कानपुर प्रान्त की ओर से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: सन्दर्भ एवं चुनौतियां विषय पर बुन्देलखण्ड महाविद्यालय के सभागार में परिचर्चा आयोजित किया गया। कार्यक्रम का प्रारम्भ अतिथियों द्वारा सरस्वती माँ का दीप प्रज्जवलन एवं माल्यार्पण से किया गया।
झाँसी के प्राचार्य प्रो.(डॉ.) तीर्थेश कुमार शर्मा नें विषय पर बोलते हुए कहा कि स्वतंत्रता के 75 वर्षों में पहली बार भारतीय मूल्यों पर आधारित शिक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखकर वर्तमान राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 बनी है। जिसे अत्यंत सावधानी से आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।
मुख्य अतिथि के रूप में पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय, भटिण्डा के कुलपति एवं भारतीय शिक्षण मण्डल के अखिल भारतीय उपाध्यक्ष प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी ने कहा कि यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारतीय गुरुकुल परम्परा में निहित शिक्षा को ध्यान में रखकर बनायी गई है तथा यह शिक्षा व्यवस्था विद्यार्थी केन्द्रित है। जिससे भारतीय मूल्यों पर आधारित शिक्षा को लागू किया गया है।
उन्होंने भारतीय प्राचीन शिक्षा के अन्तर्गत सीखने के चार चरणों को विस्तार पूर्वक बताया। वर्तमान एमओओसीएस, Bloom Taxonomy इसी पर आधारित है। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि पश्चिम जगत ने भारतीय प्राचीन शिक्षा को अपनाया है और उसे ही नकल करके अपने को विकसित किया।
उन्होंने कहा कि भारतीय शिक्षा अत्यन्त विकसित और किसी भी बंधन से मुक्त हैं। कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं बुन्देलखण्ड महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो.(डॉ.) संतोष कुमार राय नें अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि वर्तमान शिक्षा नीति को समाज में परिवर्तन हेतु बड़े ही लम्बे समय के बाद लाया गया है। इसका उद्देश्य भारत को विकसित करके विश्वगुरु बनाना है। समस्याएं बहुत है परन्तु इसके समाधान की आवश्यकता है। हम सभी को अपने में विद्यार्थियों के अनुकूल परिवर्तन करना होगा। उन्होंने आगे कहा कि जब सभी विश्वविद्यालय,महाविद्यालय एक हो जाएंगे तब परिवर्तन अवश्य होगा। कार्यक्रम का संचालन डॉ.नीरज कुमार द्विवेदी एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ.राजेश कुमार पाण्डेय ने किया।
हिन्दुस्थान समाचार/महेश
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