शिशु जन्म के बाद तीन टीके 24 घंटे के अंदर लगवाना ज़रूरी

शिशु जन्म के बाद तीन टीके 24 घंटे के अंदर लगवाना ज़रूरी
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शिशु जन्म के बाद तीन टीके 24 घंटे के अंदर लगवाना ज़रूरी


-सरकारी तंत्र में जनपद के शहरी क्षेत्र के सभी 394 अस्पतालों को किया गया शामिल, निशुल्क मिलेगी बर्थ डोज़

कानपुर, 20 फरवरी(हि.स.)। शहरी क्षेत्र में मौजूद कुल 394 निजी अस्पतालों में जहां प्रसव की सुविधा उपलब्ध है वहीं अब शिशु जन्म के 24 घंटे के अन्दर बर्थ डोज नि: शुल्क लगाना होगा। जिसके तहत ओपीवी, हेपेटाइटिस बी एवं बीसीजी का टीका लगवाना अनिवार्य है। यह जानकारी बुधवार को कानपुर नगर के जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ.यू बी सिंह ने दी।

उन्होंने बताया कि बच्चों के लिए टीकाकरण का बहुत महत्व है। टीकाकरण बच्चों के शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाता है यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। टीकाकरण होने से बच्चे कई बीमारियों व संक्रमण के खतरे से सुरक्षित रहते हैं। जनपद के शहरी क्षेत्र में नियमित टीकाकरण की कवरेज और जनमानस में जागरूकता बढ़ाने और के लिये स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह प्रयासरत है।

उन्होंने बताया कि जो निजी चिकित्सालय अपनी निजी वैक्सीन ही लगाना चाहें या अभिभावक निजी वैक्सीन की माँग कर रहे हों तो वह इसके लिये स्वतंत्र हैं, वह अपना शुल्क ले सकते हैं। लेकिन दोनों ही स्थिति में स्वास्थ्य विभाग को सूचित करना व रिपोर्ट प्रेषित करना अनिवार्य है।

उन्होंने बताया इसके लिये इन सभी निजी चिकित्सालयों से एक या दो प्रतिनिधियों को नामित किया गया है जिन्हें स्वास्थ्य विभाग की तरफ से प्रशिक्षित किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि जन्म के समय तीन टीके (बीसीजी, ओपीवी और हेपेटाइटिस-बी) लगाए जाते हैं और यदि जन्म के समय बीसीजी का टीका लगा दिया जाता है तो उसको दोबारा लगाने की आवश्यकता नहीं होती है। इसके उपरांत 6, 10 व 14 सप्ताह पर ओपीवी (ओरल पोलियो वैक्सीन), पेंटावेलेंट दिया जाता है वहीं पहले और तीसरे ओपीवी और पेंटावेलेंट्स के साथ आईपीवी (पोलियो इंजेक्शन) दिया जाता है। 9 से 12 माह में खसरा के टीके के साथ विटामिन-ए की खुराक दी जाती है। इसके बाद 16 से 24 माह में डीपीटी, ओपीवी बूस्टर, खसरा की दूसरी खुराक विटामिन-ए के साथ दी

जाती है। वहीं 5 से 6 साल में डीपीटी की दूसरी बूस्टर डोज दी जाती है। साथ ही किशोर और किशोरियों को 15 साल की उम्र में टिटनेस का टीका दिया जाता है।

क्यों जरूरी है सम्पूर्ण व नियमित टीकाकरण ?

बच्चों में कुपोषण दूर करने के लिए सम्पूर्ण व नियमित टीकाकरण, छः माह तक सिर्फ स्तनपान और स्वस्थ पोषाहार की बहुत अधिक आवश्यकता है। नियमित टीकाकरण तथा स्वस्थ पोषाहार न मिल पाने से कुपोषण की स्थिति पैदा होती है और इसके साथ ही बच्चे जानलेवा बीमारियों की चपेट में भी आ जाते है। टीकाकरण कई जानलेवा बीमारियों से बचाव करता है। डॉ सिंह ने बताया कि सम्पूर्ण टीकाकरण न होने से शिशु मृत्यु की संभावना रहती है।इसीलिए शिशु मृत्यु को रोकने के लिए वैश्विक टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत नियमित टीकाकरण कार्यक्रम चलाया जाता है।

क्या कहती है एनएफएचएस की रिपोर्ट

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के अनुसार कानपुर जनपद में 12 से 23 महीने के शिशुओं का सरकारी चिकित्सालयों में टीकाकरण का प्रतिशत 96.4 है वहीं दूसरी ओर निजी चिकित्सालयों में यह 3.6 प्रतिशत है।

हिन्दुस्थान समाचार/राम बहादुर/बृजनंदन

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