प्रकृति व पर्यावरण के प्रति पूज्य भाव रखें: सुभाष

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प्रकृति व पर्यावरण के प्रति पूज्य भाव रखें: सुभाष


प्रकृति का शोषण रोके बिना पर्यावरण का संरक्षण संभव नहीं

लखनऊ, 6 दिसंबर (हि.स.)। प्रकृति का शोषण हो रहा है। हमें प्रकृ​ति का शोषण नहीं दोहन करना है। जब तक प्रकृति का शोषण नहीं रूकेगा तब तक पर्यावरण का संरक्षण संभव नहीं है। इसलिए प्रकृति व पर्यावरण के प्रति पूज्य भाव रखकर संरक्षण करें। यह बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचार प्रमुख सुभाष ने कही। वे शनिवार को भारत विकास परिषद की ओर से आयोजित पंच सूत्रीय कथा महोत्सव में पर्यावरण संरक्षण के विषय पर बोल रहे थे।

क्षेत्र प्रचार प्रमुख ने कहा कि हमारे चारों ओर पंच महाभूतों को आवरण है। जल, अग्नि, वायु, धरती, आकाश हैं। हमारी सुरक्षा के लिए हैं। ​खेती में अंधाधुंध रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से मिट्टी दूषित हो रही है। हवा दूषित हो गयी है। जल दूषित हो रहा है। आने वाली पीढ़ी के लिए हमें जल को बचाकर रखना है।

सुभाष ने कहा कि आज हम आधुनिकता की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। नयी तकनी​कें, औदयोगिक प्रकृति, शहरीकरण के कारण पर्यावरण असंतुलन और सामाजिक विषमता की समस्याएं उत्पन्न हुई हैं। हिन्दुत्व का जीवन दर्शन ही इन सभी समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करता है। इससे पूर्व अशोक महाराज ने अपनी कथा में कहा कि जिस धरती ने हमें जीवन दिया है, उसके संरक्षण का दायित्व भी हमारा ही है।

इस अवसर पर कथावाचक सुधीरानन्द महाराज, भारत विकास परिषद के क्षेत्र संगठन मंत्री मुकेश खण्डेलवाल, भारत विकास परिषद के प्रान्त महासचिव शशिकान्त सक्सेना और गरिमा मिश्रा प्रमुख रूप से उपस्थित रहीं।-----------

हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन

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