असीमित नहीं होते प्राकृतिक संसाधन: डॉ.आनंद कुमार सिंह
कानपुर, 08 दिसंबर (हि.स.)। प्राकृतिक संसाधन (जल, मृदा, वन, खनिज व वन्य जीव आदि) असीमित नहीं होते हैं। औद्योगिक क्रांति तथा जनसंख्या वृद्धि के कारण प्राकृतिक संसाधनों का निर्ममतापूर्वक दोहन किया गया है।
यह बात शुक्रवार को केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान लखनऊ द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक अनुसंधान संस्थान लखनऊ के सभागार में बतौर मुख्य अतिथि चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति डॉ.आनंद कुमार सिंह ने कही।
उन्होंने कहा कि निश्चित रूप में इसके संरक्षण व प्रबंधन पर हम सबको ध्यान देना होगा। पृथ्वी के विभिन्न प्राकृतिक संसाधनों तथा पारिस्थितिकी तंत्रों के विभिन्न अवयवों के मध्य संतुलन स्थापित करने में मनुष्य की भूमिका इस युग की सबसे बड़ी चुनौती है।
उन्होंने उपस्थित वैज्ञानिकों से अपील की कि इस संतुलन को स्थापित रहने में मदद देकर हम भावी पीढ़ी के लिए स्वच्छ एवं स्वस्थ पर्यावरण सुनिश्चित कर पाएंगे। कुलपति का स्वागत डॉक्टर डीके शर्मा पूर्व निदेशक केंद्रीय लवणता अनुसंधान संस्थान करनाल द्वारा अंग वस्त्र देकर किया गया।
सीएसए के मीडिया प्रभारी डॉ.खलील खान ने बताया कि यह राष्ट्रीय संगोष्ठी टिकाऊ कृषि एवं पर्यावरण हेतु प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और प्रबंधन विषय पर आयोजित किया गया।
इस अवसर पर कुलपति डॉक्टर सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि इस अवसर पर डा यूके सरकार,डॉ संजय अरोरा,डॉ अतुल कुमार सिंह,डॉ वाई पी सिंह,डॉ आरपीएन सिंह, डॉ राजीव, डॉ आरके कनौजिया सहित देश के विभिन्न प्रांतों के वैज्ञानिक उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/राम बहादुर/बृजनंदन
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