वाराणसी में गौरैया के संरक्षण के लिए बनाया गया प्राकृतिक घोंसला
वाराणसी,31 मार्च (हि.स.)। विलुप्त हो रही गौरैया के संरक्षण के लिए रजत सिनर्जी फाउंडेशन ने वाराणसी में पहल की है। रविवार को सामने घाट स्थित राम छटपार शिल्प न्यास (कला संग्रहालय) में गौरैया के संरक्षण के लिए फाउंडेशन के सहयोग से आस्ट्रियन कलाकार जोसेफ बर्नहार्ट ने गौरैया के प्राकृतिक स्वरूप में घोसलों को मूर्त रूप दिया। इस दौरान फाउंडेशन के रजत मोहन पाठक,निदेशक प्रगति पाठक ने कहा कि गौरैया विश्व के लगभग सभी देशों में पाई जाने वाली पक्षियों की सबसे पुरानी प्रजाति है। जो आज विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई है, जैसे कि हम अपने कला, संस्कृति, संस्कार व परम्परा को संजोने के लिए प्रयत्नशील है। ये गौरैयां भी हमारी संस्कृति का हिस्सा है, जिसके संरक्षण की जरूरत है।
मई 2023 में फाउंडेशन ने वादा किया था कि जल्द ही गौरैयाओं के संरक्षण के लिए प्राकृतिक स्वरूप में घोसलों की स्थापना की जाएगी। आज फाउंडेशन अपने किये गये वादे को पूरा होते देख सुखद अनुभूति हो रही है।
आस्ट्रियन कलाकार जोसेफ बर्नहार्ट ने कहा कि एक वक्त था जब हमारी नींद गौरैया के कोलाहल से खुलती थी। एक ऐसा पक्षी जों मनुष्य के आसपास रहना पसंद करती है, जो आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है, जिस मानव समुदाय पर इस नन्ही चिड़िया ने भरोसा किया, उसी मानव समुदाय ने अपने भौतिक सुख के लिए गौरैयां को विलुप्त होने की राह पर ढकेल दिया है। अगर हम अब भी नही चेते तो वह दिन दूर नही जब मानव जीवन का सबसे पुराना साथी और सहयोगी सिर्फ किताब के पन्नों, किस्से कहानी और तस्वीरों में ही नजर आएगी।
जोसेफ बर्नहार्ट ने बताया कि जब वे भारत आये तो प्रकृति पूजक देश भारत में भी मरती हुई गौरैयाओं के समाचार से सामना हुआ। जिससे वे बहुत ही व्यथित हो गये और लोगों को जागरूक करने उद्देश्य से उन्होंने बर्ड हाउस कलाकृति में लाल रंग का उपयोग किया है। कला संग्रहालय के संस्थापक मदन लाल गुप्ता ने राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय कलाकारों का स्वागत किया।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/बृजनंदन
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