पश्चिम की ओर भागते-भागते हम अपनी संस्कृति भूल रहे हैं: न्यायमूर्ति डाॅ. गौतम चौधरी

पश्चिम की ओर भागते-भागते हम अपनी संस्कृति भूल रहे हैं: न्यायमूर्ति डाॅ. गौतम चौधरी
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पश्चिम की ओर भागते-भागते हम अपनी संस्कृति भूल रहे हैं: न्यायमूर्ति डाॅ. गौतम चौधरी


प्रयागराज, 10 मार्च (हि.स.)। नौजवान पीढ़ी ही देश का आधार स्तम्भ है। उनके सपने हमारे लिए मूल्यवान हैं, पर इन सपनों के क्रम में अतीत को भूलना ठीक नहीं है। पश्चिम की ओर भागते-भागते हम अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे हैं। उक्त विचार इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति डॉ. गौतम चौधरी ने व्यक्त किया।

जगत तारन महिला महाविद्यालय, राष्ट्रीय सेवा योजना की इकाई के विशेष शिविर समापन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति ने कहा कि अंग्रेजी पढ़ना बुरा नहीं है पर हिंदी भूलना खराब है। अंग्रेजी जीविका की भाषा हो सकती है। अंग्रेजी के विरोध की आवश्यकता नहीं है, पर हिन्दी को उसकी माता का स्थान अवश्य दिया जाना चाहिए। अन्य भाषाएं भी मौसी की तरह सम्मान्य हैं। उन्होंने कहा कि नवयुवकों को प्रातःकाल उठकर योग करना चाहिये। व्यायाम करना युवाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम समन्वयक डॉ. राजेश कुमार गर्ग ने कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना शिविरों में शारीरिक सत्र स्वस्थ शरीर निर्मिति के लिए महत्वपूर्ण है। महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. आशिमा घोष ने अतिथियों का स्वागत एवं धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम अधिकारी डॉ. ऐश्वर्या सिंह ने किया। इस अवसर पर लखनऊ से प्रो. सारिका दुबे ने भी सेविकाओं को सम्बोधित किया। इस दौरान आयोजित की गई विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेताओं को पुरस्कार भी न्यायमूर्ति द्वारा प्रदान किया गया। कार्यक्रम अधिकारी डॉ. शालिनी सिंह, डॉ. अंकिता चतुर्वेदी, डॉ. निर्मला गुप्ता सहित महाविद्यालय के अनेक प्राध्यापक उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/सियाराम

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