प्रधानमंत्री मोदी हिन्दी उत्थान को निरंतर प्रयत्नशील : केशरी देवी पटेल

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प्रधानमंत्री मोदी हिन्दी उत्थान को निरंतर प्रयत्नशील : केशरी देवी पटेल


--संगमनगरी कवि, साहित्य व धर्म का केंद्र : केशरी देवी पटेल

--“21वीं शताब्दी की हिन्दी कविता“ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी

प्रयागराज, 16 दिसम्बर (हि.स.)। संगमनगरी कवि, साहित्य और धर्म का केंद्र रहा है। मानवता की कविता और सकारात्मक सोच के भाव वाली कविता प्रयागराज के हिन्दी कविता की विशेषता रही है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार भी हिन्दी के उत्थान के लिए निरंतर प्रयत्नशील है।

यह बातें मुख्य अतिथि फूलपुर की सांसद केशरी देवी पटेल ने शनिवार को प्रकाशचंद्र जुगमंदर दास अग्रवाल लोकहित ट्रस्ट द्वारा थियोसोफिकल सोसायटी सभागार में आयोजित “21वीं शताब्दी की हिन्दी कविता“ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी में सम्बोधित करते हुए कही।

उद्घाटन सत्र में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के पूर्व सदस्य प्रो. के.सी शर्मा ने कहा कि साहित्य, समाज के सर्वांगीण विकास के निमित्त रचा जाता है। मनुष्य स्वतंत्र पैदा हुआ है, पर वह चारों तरफ जंजीरों से बंधा है, कविता इसी से मुक्ति का मार्ग है। उन्होंने कहा कि वर्चस्व की लड़ाई से मुक्ति का स्वर 21वीं शताब्दी की कविता का प्रमुख स्वर है।

कलकत्ता विश्वविद्यालय से आए प्रो.राम आह्लाद चौधरी ने कहा कि कविता मेरी, तुम्हारी और उसकी रचना नहीं है। भारत जैसे देश में कविता भी विविधता के भाव वाली हो जाती। जो बात कहानी नहीं कह पाती, नाटक नहीं कह पाता, वह बात कविता कहती है। उन्होंने कहा कि एक डॉक्टर, इंजीनियर अपने समय को सम्बोधित नहीं कर पाता, लेकिन कविता यह काम करती है। कवि अपनी कविता में मनुष्यत्व की स्थापना करता है। कविता ही बुराइयों और शोषण के विरुद्ध संघर्ष का संस्कार देती है।

दूसरे तकनीकी सत्र में रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर छत्तीसगढ़ से आए प्रो. गिरजा शंकर गौतम ने कहा कि अर्थव्यवस्था और राजनीति के बीच अच्छी कविता को बचाए रखना 21वीं शताब्दी की उपलब्धि है। नेहरू ग्रामभारती मानित विश्वविद्यालय के डॉ.सव्यसाची ने कहा आज का कवि संवेदना, जटिलता और विद्रूपता को देखना चाहता है। कवि रमेश सिंह चौहान की चर्चा करते हुए उन्होंने स्त्री पीड़ा के संदर्भों पर भी प्रकाश डाला। मुनीश्वर दत्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय प्रतापगढ़ के डॉ.अरुण कुमार मिश्र ने कहा 21वीं शताब्दी की कविता की मूल प्रवृत्तियों में बेकारी, हताशा, निराशा और शोरगुल जैसी प्रवृत्तियां महत्वपूर्ण हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग के प्रो. शिव प्रसाद शुक्ल ने सविता भार्गव और अनामिका सिंह की कविताओं के बहाने 21वीं शताब्दी में भारतीयता की दिशा और गौरवबोध जैसी काव्य प्रवृत्तियों को स्पष्ट किया।

संचालन करते हुए संगोष्ठी के संयोजक, इलाहाबाद विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के डॉ. राजेश कुमार गर्ग ने कहा कि 21वीं शताब्दी की काव्य प्रवृत्तियों को बिना उस कविता में डूबे अनुभव नहीं किया जा सकता। शोभा अग्रवाल ने सांसद का स्वागत किया। संतोष जैन ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कविता को जीवन का मूल बताया और उसके बिना मानवीय मूल्यों का पूरा होना असम्भव बताया। धन्यवाद ज्ञापन ट्रस्टी रमेश चंद्र अग्रवाल ने किया। उन्होंने कहा कि सृष्टि को समझने के लिए कविता का अनुशीलन सबसे शानदार रास्ता हो सकता है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में शोध छात्र और प्राध्यापक मौजूद रहे। द्वितीय तकनीकी सत्र का संचालन यूइंग क्रिश्चियन कॉलेज के डॉ.गजराज पटेल ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. कल्पना वर्मा ने किया।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/पदुम नारायण

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