देश की अखंडता के लिए बीटीएसएस बनाए नैरिटिव : प्रो मनोज दीक्षित
लखनऊ, 14 नवंबर (हि स)। भारत के गौरव की सत्यता की पुनर्स्थापना के लिए अधिक परिश्रम कर नैरेटिव निर्माण में लगना होगा। अगर अखंड भारत की संकल्पना को पूरा करने की दिशा में सच में काम करना है तो सबसे पहले भारत के अंदर के खंडित भागों को वापस लेना होगा और इसलिए अक्साई चिन और पीओके को पहले देश में मिलाना जरूरी है। यह आह्वान बीकानेर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो मनोज दीक्षित ने अपने उद्बोधन में किया।
प्रो दीक्षित ने कहा कि चाणक्य ने कहा था कि अगर अपनी सीमाएं बचानी है तो सीमा के पार जाना होगा। उन्होंने कहा कि 1962 में चीन ने भारत पर हमला कर हजारों वर्ग मील भूमि कब्जा कर ली थी, जिसको छुड़ाने का संकल्प एकमत से उस वर्ष 14 नवंबर को लिया गया था। लेकिन इतनी सरकारें आईं गईं, पर यह संकल्प आज तक पूरा नहीं हुआ। जो अब पूरा होना चाहिए। अब वर्तमान सरकार के मुखिया नरेन्द्र मोदी को इसे पूरा करना चाहिए।
भारत तिब्बत समन्वय संघ की आयोजित संसद संकल्प स्मरण दिवस की गोष्ठी में वरिष्ठ पत्रकार हेमेंद्र तोमर ने कहा कि इस प्रतिज्ञा को 60वें स्मरण दिवस के रूप में मनाना साबित करता है कि आज भी हम कितने कमजोर हैं। उन्होंने कहा कि लद्दाख के 40 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल की भूमि को उसी समय से चीन ने केवल कब्जा कर लिया बल्कि अब वह अपनी भूमि मान कर उस पर आर्मी के स्थाई अड्डे बना लिए। साथ ही, वहां से खनन कर के बहुमूल्य सामग्री चुराता गया। यह हमारी अमूल्य संपदा की अपूरणीय क्षति है।
पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के अध्यक्ष (युवा) डॉ आशीष सिंह ने कहा कि 14 नवंबर को चाचा नेहरू के जन्मदिन के नाम पर बच्चों के लिए बाल दिवस मनाए जाने के बजाय उसे संसद संकल्प स्मरण दिवस के रूप में मनाए जाने का प्रचलन शुरू हो।
अवध प्रांत की अध्यक्ष (महिला) आशा मिश्रा ने कहा कि जो राजनीतिक दल देश की चिंता का दम भरते हैं, लोकसभा चुनाव के ठीक पहले उनसे दो टूक वार्ता की जाए और उनसे कहा जाए कि अगर केंद्र में उनकी सरकार बनती है तो क्या वह चीनी अतिक्रमण से भारत को मुक्त करेंगे? यदि हां, तो वह अपने चुनावी घोषणा पत्र में इस बात का हवाला दें।
इस मौके पर युवा विभाग के राष्ट्रीय सह मंत्री अनूप बाजपेई ने कहा कि भारत को इजरायल से सीखने की आज भी आवश्यकता है। जैसे वह अपनी भूमि को सुरक्षित कराते हुए आतंकी अड्डों को मुक्त करा रहा है, उसी तरह अक्साई चिन और पीओके को भी खाली कराए। नहीं तो किसी चमत्कार से खुद खाली नहीं होने वाले ये भू भाग।
राष्ट्रीय कार्यसमिति अध्यक्ष रूचि त्रिपाठी ने भारत तिब्बत समन्वय संघ के इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों को बताया कि पिछले 2 वर्षों में संघ के कार्यकर्ताओं ने लगभग 250 सांसदों से मिल कर इस संसद संकल्प के पूरा न होने के संदर्भ में ध्यान दिलाया और आग्रह किया कि संसद के अंदर आज की मजबूत। भारत सरकार इस पर व्यक्तव्य दे कि उसकी योजना में यह प्रतिज्ञा किस प्राथमिकता पर है। हालांकि इस का भी कोई परिणाम अभी नहीं निकला है लेकिन संघ अपने प्रयासों को सफलता मिलने तक रुकेगा नहीं।
इस अवसर पर संघ की राष्ट्रीय सह मंत्री (महिला) डॉ कल्पना सिंह, प्रांत अध्यक्ष हिमांशु सिंह, उपाध्यक्ष डॉ विक्रम बिसेन, प्रांत उपाध्यक्ष श नीता शुक्ला, जिला अध्यक्ष संज्ञा शर्मा, प्रांत मंत्री मंजू सिंह और प्रांत सह संयोजक (विधि) पंकज धीर सिंह राणा इत्यादि उपस्थित रहे।
हिंदुस्थान समाचार /बृजनंदन
/पदुम नारायण
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