बीएचयू में शैक्षणिक सत्र 2024-25 से लागू होगा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020

बीएचयू में शैक्षणिक सत्र 2024-25 से लागू होगा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020
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बीएचयू में शैक्षणिक सत्र 2024-25 से लागू होगा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020


वाराणसी, 20 मार्च (हि.स.)। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय आगामी शैक्षणिक सत्र 2024-25 से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने की तैयारियों में जुटा हुआ है। इस संबंध में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए विश्वविद्यालय विद्वत परिषद् ने बुधवार को अगले सत्र से एनईपी लागू करने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी। इस प्रस्ताव का महत्वपूर्ण बिंदु है ऑनर्स एवं शोध में चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम को लागू करना। इन पाठ्यक्रमों के नाम होंगे स्नातक ऑनर्स तथा स्नातक ऑनर्स विद रीसर्च।

प्रस्ताव के मुताबिक प्रवेश पाने वाले कुल विद्यार्थियों के वे दस प्रतिशत विद्यार्थी मेरिट के आधार पर स्नातक ऑनर्स विद रीसर्च में प्रवेश पा सकेंगे, जिनका सीजीपीए 7.5 या इससे अधिक होगा। प्रस्तावित पाठ्यक्रमों में विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया गया है, जिससे वे ज़िम्मेदार नागरिक बन सकें तथा विश्वविद्यालय में प्राप्त शिक्षा का अपनी व्यक्तिगत एवं पेशेवर उन्नति में उत्तम प्रयोग कर सकें। स्नातक ऑनर्स विद रीसर्च उत्तीर्ण करने वाले विद्यार्थी बिना स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त किये पीएचडी में प्रवेश हेतु अर्ह होंगे। प्रस्तावित पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को माइनर कोर्स के अनेक विकल्पों में से चुनाव की स्वतंत्रता देगा। सभी स्नातक विद्यार्थियों को मल्टीडिसिप्लिनरी कोर्सेस, कौशल विकास, क्षमता विकास, वैल्यू ऐडेड कोर्स के साथ साथ इंटर्नशिप भी करनी होगी। स्नातक ऑनर्स विद रीसर्च के विद्यार्थियों को अंतिम सेमेस्टर में डिज़र्टेशन भी प्रस्तुत करना होगा।

कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन की अध्यक्षता में हुई विद्वत परिषद् की बैठक में विस्तृत चर्चा के पश्चात सत्र 2024-25 के लिए स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश हेतु सूचना विवरणिका को मंज़ूरी दे दी गई। परिषद् ने आगामी सत्र के लिए विभिन्न स्नातक पाठ्यक्रमों की फीस के युक्तीकरण को भी मंज़ूरी दे दी। फिलहाल विभिन्न विभागों व संकायों में चल रहे पाठ्यक्रमों की फीस में अनेक भिन्नताएं हैं। विश्वविद्यालय द्वारा फीस में एकरूपता लाने तथा जटिलताओं को समाप्त करने का प्रयास किया गया है। विधि संकाय में चल रहा पांच वर्षीय बी.ए.एल.एल.बी. पाठ्यक्रम अपने मौजूदा स्वरूप में ही चलता रहेगा, क्योंकि यह विशेष श्रेणी का पाठ्यक्रम है और एनईपी के दायरे में नहीं आता। इसी प्रकार दक्षिणी परिसर में चल रहे कौशल विकास के पेशेवर पाठ्यक्रम तथा विशिष्ट नियामक इकाईयों द्वारा नियंत्रित कोर्स भी अपरिवर्तित रहेंगे। विद्वत परिषद् ने उस प्रस्ताव को भी अपनी मंज़ूरी दे दी, जिसके तहत कक्षाओं में कम से कम 70 प्रतिशत उपस्थिति वाले विद्यार्थियों को ही छात्रावास देने का प्रावधान है।

विभागों को कहा गया है कि वे अपने यहां चल रहे पाठ्यक्रमों के संबंध में आवश्यक समीक्षा करें एवं प्रस्तावित सुधारों को प्रभावी बनाने के लिए ज़रूरी तैयारी कर लें। कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने कहा कि विद्वत परिषद् ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन को मंज़ूरी देकर बड़ा कदम उठाया है। इस बारे में अभी काफी काम करना बाकी है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में संकायों व विभागों के स्तर पर निरन्तर चर्चाओं व मंथन का दौर चलता रहेगा। जिससे आने वाली चुनौतियों व अवसरों के बारे में विश्वविद्यालय व उसकी व्यवस्थाओं को पूरी तरह से तैयार किया जा सके। कुलसचिव प्रो. अरुण कुमार सिंह ने विद्वत परिषद् की विशेष बैठक का संचालन किया। प्रो. मुकुल राज मेहता ने एनईपी के क्रियान्वयन के संदर्भ में प्रेज़ेंटेशन दी। प्रो. राकेश रमन ने 2024-25 में स्नातक प्रवेश के लिए सूचना विवरणिका एवं फीस के प्रस्तावित युक्तीकरण की रूपरेखा प्रस्तुत की।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/राजेश

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