मुरादाबाद का नाम माधवनगर कर दिया जाना चाहिए : धीरेंद्र शास्त्री
मुरादाबाद, 18 मार्च (हि.स.)। हमें हनुमान जी ने सच बोलने के लिए भेजा है। फैजाबाद अयोध्या हो गया, इलाहाबाद प्रयागराज हो गया तो मुरादाबाद भी माधवनगर हो जाना चाहिए। मुरादाबाद जब माधवनगर हो जाएगा तो पूरी दुनिया में राम नाम की पताका फहराएगी। मुरादाबाद में मां भगवती का वास हैं। मनोकामना पूरी करने वाले सिद्धबली हनुमान रहते हैं, भगवान भोलेनाथ के रूप में बाबा कामेश्वर नाथ विराजमान हैं। यह बातें श्री बागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने मुरादाबाद में आयोजित तीन दिवसीय श्री हनुमंत कथा के प्रथम दिवस पर भक्तों को संबोधित करते हुए कही।
श्री राम बालाजी धाम बाबा नीम करोरी आश्रम ट्रस्ट व लोहिया मानव कल्याण ट्रस्ट तत्वावधान में नया मुरादाबाद स्थित लोहिया स्टेट सेक्टर छह में आयोजित श्री हनुमंत कथा में पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने सुनाया हम गर्व से कहते हैं हम हिन्दू हैं। हम किसी के धर्म के विरोधी नहीं हैं, हम सनातन धर्म के प्रेमी हैं।
श्री शास्त्री ने आगे कहा कि पीतलनगरी के पास में हरिहर मंदिर में, वहां भले ही जलाभिषेक नहीं हो रहा हैं लेकिन आज भी अंदर से आवाज आती हैं। काशी विश्वनाथ में शिवलिंग मुक्त हो गये। अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण हो गया तो हरिहर मंदिर भी मुक्त हो जाना चाहिए।
पीठाधीश्वर ने कहा कि भगवान श्रीराम जब सतयुग से देवलोक जाने लगे तो उन्होंने हनुमान जी से कहा कि आप भी हमारे साथ चलिए। लेकिन हनुमान जी ने जाने से प्रभु के साथ जाने से मना कर दिया। भगवान श्री राम ने उनसे ना जाने का कारण पूछा। तब बजरंग बली ने कहा कि क्या वहां श्रीराम जी की कथा मिलेगी, तो प्रभु श्रीराम ने कहा कि जब मैं स्वयं वहां होऊंगा तो कथा की क्या जरूरत हैं। इस पर हनुमान जी ने कहा कि प्रभु आप जाओ मुझे तो रामकथा सुननी है।
रामजी ने कहा कि वैसे तो चारों युगों में आपका प्रताप रहेगा, लेकिन आने वाले कलियुग में किसी की नहीं चलेगी सिर्फ आपकी चलेगी इसलिए तो गली- गली बजरंगबली हैं। बाबा ने आगे कहा कि स्थान का बहुत बड़ा महत्व हैं। कर्ण ने अपना सब कुछ दान कर दिया, यहां तक कि कानों के कुंडल भी दान कर दिए। फिर भी सम्मान नहीं मिला क्योंकि उनका स्थान गलत था, वह कौरवों के साथ थे। विभीषण को ना चाहते हुए भी सब कुछ मिल गया क्योंकि उनका स्थान अच्छा था, वह भगवान राम के साथ थे। ध्यान रखना राम जी साथ नहीं होंगे तो खाक में मिल जाओगे।
उन्होंने कहा कि राजस्थान में एक बागेश्वर धाम का पत्थर का दूसरा पीतलनगरी मुरादाबाद का पत्थर था। पीतलनगरी के पत्थर को मूर्ति बनाने के लिए जब उस पर हथौड़ी की चोट लगने लगी तो डर गया और उसने चालाकी से तुरंत मूर्तिकार से छुटकारा पा लिया। इसके बाद मूर्तिकार ने बागेश्वर धाम के पत्थर पर हथौड़ी से चोट मारना शुरू किया और उसे मूर्ति का रुप दे दिया। उस पत्थर को तो मूर्तिकार रूप मिल गया लेकिन पीतलनगरी का पत्थर पत्थर ही रह गया। बागेश्वर धाम के पत्थर से बनी मूर्ति की पूजा शुरु हो गई। पीतलनगरी का पत्थर नारियल फोड़ने के काम आया। कहने का पर्याय हैं कि जो चोट सह लेता है वह पूजनीय हो जाता हैं। जो डर जाता है वह पत्थर रह जाता हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/निमित /दीपक/बृजनंदन
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