बीस से अधिक गांवों में भरा हैं बाढ़ का पानी, जनजीवन अस्त व्यस्त

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बीस से अधिक गांवों में भरा हैं बाढ़ का पानी, जनजीवन अस्त व्यस्त


मुरादाबाद, 16 सितम्बर (हि.स.)। पीतल नगरी में बाढ़ के पानी ने मूंढापांडे ब्लॉक के 20 से अधिक गांवों में जनजीवन अस्त व्यस्त कर दिया है। कोसी, रामगंगा, ढेला, फीका आदि नदियां उफान पर होने से जिले के मूंढापांडे ब्लॉक के 45 से अधिक गांवों में ग्रामीणों की हजारों बीघा फसल पानी में डूब गई थी, आधे से ज्यादा गांव में आज पानी सुबह पानी उतर गया था। सोमवार को हीरापुर गांव के बाद आगे गांवों में जाना अपनी जान को खतरे डालने के बराबर है। हीरापुर गांव की हर गली में पानी 40 किलोमीटर की रफ्तार बह रहा।

मूंढापांडे के 20 से अधिक गांवों की गली-गली में पानी के बहाव से गांवों के कई मकानों के गिरने का खतरा बना हुआ है। हीरापुर गांव के बाद तो आगे पड़ने वाले गांव का संपर्क पूरी तरह कट चुका है। गांव में फोन के संपर्क के साथ अब बिजली व्यवस्था भी पूरी तरह चौपट हो चुकी है। ग्रामीणों के अनुसार प्रशासनिक अधिकारी अब तक केवल जिन गांवों में पानी बाहर तक है उन्हीं का निरीक्षण कर खाना पूर्ति करने में लगे हैं। उधर प्रशासनिक अधिकारी खाने से लेकर दवा और अन्य व्यवस्थाओं को पूरा करने के खोखले दावे करने लगे हैं।

मूंढापांडे ब्लॉक के गांव रझोड़ा कन्नड़ देव में बाढ़ के पानी से संपर्क मार्ग की सड़क धंस गई। इस संपर्क मार्ग से 14 गांव के लोगों का रोज आना जाना होता है। शनिवार की रात को गांव से बाहर जा रहा लकड़ी से भरा ट्रक धंसी सड़क के कारण पलट गया। जिससे गांव में आने जाने का रास्ता पूरी तरह बंद हो गया था। रविवार को गांव वाले बाढ़ के पानी के बीच शाम तक ट्रक खाली करने में लगे रहे। दोपहर के बाद बाढ़ के पानी का बहाव तेज होने के कारण हीरा पुर, गदई खेड़ा, जैतोरा विसाट, रनिया ठेर, हरपाल नगर, भैया नगला,अहरौला,चक लालपुर तीतरी का संपर्क पूरी तरह आपस में कट गया है। रनिया ठेर गांव में पानी के तेज बहाव के कारण कुशल सिंह के मकान गिरने के कगार पर है। मकान एक तरफ को पूरी तरह से झुक गया है।

हीरापुर गांव के पूर्व प्रधान के घर के बाहर बने जाहरवीर के मंदिर के सामने बने आधा दर्जन मकान कोसी नदी के बाढ़ के पानी के बहाव से सीधे टकरा रहे है। जिसमें गांव के मदन कठेरिया के मकान की दीवार पानी के तेज बहाव के कारण किसी वक्त भी ढह सकती है। गांव के सतेंद्र कठेरिया का कहना है कि रविवार को प्रशासनिक अधिकारियों में तहसीलदार रामवीर सिंह और एडीएम वित्त एवं राजस्व सत्यम मिश्र आए थे। लेकिन सोमवार को बाढ़ का पानी गांव दस गुना बढ़ गया है, पानी के तेज बहाव से छोटे-छोटे बच्चों के घर के दरवाजे से भी बाहर नहीं निकलने नहीं दिया जा रहा है। हरपाल नगर गांव में बिजली नेटवर्क और खाने तक की व्यवस्था पूरी चौपट हो चुकी है। अगर रात में अचानक गांव में बाढ़ का पानी बढ़ता है तो गांव में छाए अंधेरे के कारण गांव के लोगों को अपनी जान बचाने का भी मौका नहीं मिलेगा।

अधिकारियों के दावे खोखले

प्रशासन गांव में व्यवस्था के नाम बड़े-बड़े दावे कर रहा है, जबकि पूरे गांव में लेखपाल या अन्य कोई कर्मचारी कहीं दिखाई नहीं दिया। गांव निवासी कपिल कुमार ने बताया कि गांव के लेखपाल से कई बार संपर्क किया गया, लेकिन संपर्क नहीं हो पाया है। तहसीलदार गांव में राहत पहुंचाने के लिए जिला पूर्ति अधिकारी, पशुपालन विभाग और स्वास्थ्य विभाग की टीम होने के दावा कर रहे हैं। लेकिन हकीकत से अधिकारियों के दावे से बहुत परे है। गांव के लोगों को पशु तक के चारे की दिक्कत आने लगी हैं। शाम होते ही गांवों में अंधेरे के साथ छाए सन्नाटे में केवल पानी के बहाव का शोर सुनाई दे रहा है। वहीं तहसीलदार सदर रामवीर गांव में पानी उतरने और गांव वालों के लिए राहत सामग्री पहुंचाने के झूठे दावे करने में लगे हैं।

लोगों में प्रशासन के खिलाफ रोष

मूंढापांडे ब्लॉक के 20 से अधिक गांवों के लोगों में प्रशासन के खिलाफ रोष पनप रहा है। ग्रामीणों का कहना है हर साल बाढ़ आती है। किसानों की फसलें बर्बाद हो जाती हैं। फसल के मुआवजे की रकम के लिए महीनों सरकारी कार्यालय के चक्कर काटने पड़ते हैं। कई महीनों खेत में फसल पैदा करने में परेशानी आती है। हर साल जिला प्रशासन के अधिकारी गांव में आकर परेशानी पूछते हैं और चले जाते हैं। क्षेत्र के लोगों को पिछले दस साल कोसी नदी पर बांध बनाए जाने के मुद्दे को जिला प्रशासन हर बार बाढ़ के बाद ठंडे बस्ते में डाल देता है।

हिन्दुस्थान समाचार / निमित कुमार जयसवाल

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