भारतीय संस्कृति से संबंधित कई अनुसंधान अभी शेष : संजय श्रीहर्ष

भारतीय संस्कृति से संबंधित कई अनुसंधान अभी शेष : संजय श्रीहर्ष
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भारतीय संस्कृति से संबंधित कई अनुसंधान अभी शेष : संजय श्रीहर्ष


लखनऊ, 17 फरवरी (हि.स.)। राजेन्द्र नगर स्थित नवयुग कन्या महाविद्यालय में शनिवार को भारतीय इतिहास में सम्राट विक्रमादित्य विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री संजय श्रीहर्ष ने कहा कि क्षेत्रीय स्तर पर भारतीय संस्कृति से कई अनुसंधान शेष हैं। इसके लिए अभी और भी जानकारी संकलित की जानी है। राष्ट्र के गौरव के निर्माण में क्षेत्र विशेष के सामान्य लोगों के योगदान को भी लिपिबद्ध किया जाना चाहिए। विक्रमादित्य पर 962 दिगम्बर जैनो की पुस्तकें उपलब्ध हैं। उन्होंने उज्जयिनी में 1964-65 में हुए उत्खनन की रिपोर्ट और उज्जैन से 35 किलोमीटर दूर जल के स्त्रोत से उपलब्ध विक्रमादित्य के अभिलेख की भी चर्चा की।

डॉ. गिरीश गुप्ता ने बताया कि सृष्टि रचना के दिवस चैत्र शुक्ल नवरात्रि प्रतिपदा को प्रतिवर्ष सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। भारतीय कालगणना पर आधारित नवसंवत्सर के विषय में समाज को जाग्रत करने के निमित्त ‘‘नवचैतन्य’ स्मारिका का प्रकाशन समिति करती है। डिग्री तथा तकनीकी महाविद्यालयों में विक्रम संवत की वैज्ञानिकता पर संगोष्ठियों का आयोजन होता है। नववर्ष चेतना समिति के अध्यक्ष डॉ. गिरीश गुप्ता ने महाविद्यालय के लाइब्रेरी को नव चैतन्य पत्रिका के 09 अंक तथा सम्राट विक्रमादित्य नामक पुस्तक भेंट की।

इस अवसर पर कार्यक्रम को पत्रकार प्रभात रंजन दीन और समिति के डॉ. सुनील अग्रवाल और नवयुग कन्या महाविद्यालय की प्राचार्य मंजुला उपाध्याय ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में प्रो. संगीता कोतवाल, शर्मिता नन्दी, सृष्टि श्रीवास्तव, अजय सक्सेना, ओमप्रकाश पाण्डेय, अरुण मिश्रा, डॉ. निवेदिता रस्तोगी और डॉ. रश्मि श्रीवास्तव शामिल रहीं।

हिन्दुस्थान समाचार / बृजनन्दन

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