निपुण भारत मिशन तभी सफल होगा,जब शिक्षक निभाएंगे प्रथम गुरू की भूमिका: लोकेश एम

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निपुण भारत मिशन तभी सफल होगा,जब शिक्षक निभाएंगे प्रथम गुरू की भूमिका: लोकेश एम


निपुण भारत मिशन तभी सफल होगा,जब शिक्षक निभाएंगे प्रथम गुरू की भूमिका: लोकेश एम


कानपुर, 11 जुलाई (हि.स.)। निपुण भारत मिशन को सफल बनाने के लिए शिक्षकों को प्रथम गुरू की भूमिका निभाना पड़ेगा। प्रदेश सरकार के परिषदीय स्कूलों में आमूलचूल परिवर्तन लाने के लिए अपने बच्चों की ही तरह सभी अध्यापकों को अब जिम्मेदारी निभानी पड़ेगी। यह बात मंगलवार को छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई सभागार में जनपद स्तरीय संकुल शिक्षक कार्यशाला को संबोधित करते हुए कानपुर मंडल के मंडलायुक्त लोकेश एम ने कही।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार परिषदीय स्कूलों को और बेहतर बनाने के लिए बेहतर आधारभूत संरचना (इन्फ्रास्ट्रक्चर) सुविधाएं दे रही है, लेकिन इन स्कूलों में बच्चों को अच्छी शिक्षा प्राप्त हो, यह सुनिश्चित करना आप सभी अध्यापकों की ही जिम्मेदारी है।

मंडलायुक्त ने अध्यापकों से कहा कि जिस तरह आप अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए प्रयास करते हैं कि उनका किस स्कूल में एडमिशन कराना चाहिए। किस विषय में आपका बच्चा कमजोर है और किस विषय में वह अधिक रूचि लेता है, इन सबकी चिन्ता करते है। परन्तु जब आप लोग स्कूलों में पढ़ाने जाते हैं, तो यही चिन्ता आप उन बच्चों के साथ पूर्ण रूप से लागू नहीं करते हैं।

उदाहरण के लिए परिषदीय विद्यालयों में आपकी कक्षा में आने वाला बच्चा किस परिवार से आता है। वह पढ़ लिखकर क्या बनना चाहता है। उसकी पारिवारिक आर्थिक स्थिति क्या है और उसके “प्रथम गुरू” (माता-पिता) मजदूरी इत्यादि करने के कारण बच्चों को पर्याप्त समय और ध्यान नहीं दे पाते हैं तो आप अध्यापकों को ही बच्चों के “प्रथम गुरू” की भूमिका निभागी होगी।

ऐसे में अध्यापकों को चाहिए कि वे कक्षा में आने वाले बच्चों से इमोशनल बान्डिंग बनाकर उन्हें अपनेपन का एहसास कराकर उनमें पढ़ाई के प्रति रूचि जगाने का प्रयास करें। इस लिए शिक्षक उनके पास बैठें और उनसे बात करें और यह ज्ञात करने का प्रयास करें कि किस विषय व किस खेल में बच्चा रूचि ले रहा हैं तथा किस विषय में उस पर ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है। इस दिशा में व्यक्तिगत रूचि लेते हुए बच्चों को बेहतर शिक्षा प्रदान करें और उनका मनोबल बढ़ायें।

अन्त में आयुक्त ने सभी अध्यापकों को कार्यशाला में प्राप्त अनुभवों एवं सुझावों को पूर्ण रूचि लेते हुए उन्हें जमीनी स्तर पर अमल में लाने को कहा, ताकि वर्ष 2023 तक स्कूलों और अपने संकुल में आने वाले विद्यालयों को निपुण बनाते हुए आगामी वर्ष 2026 का अपेक्षित लक्ष्य की प्राप्ति की जा सके।

कार्यशाला में मुख्य विकास अधिकारी सुधीर कुमार, जिलाधिकारी विशाख जी, प्राचार्य/उप शिक्षा निदेशक कानपुर राजेश कुमार वर्मा, बेसिक शिक्षा अधिकारी कानपुर नगर सुरजीत कुमार, डीन सी.एस.जे.एम.यू., वरिष्ठ विशेषज्ञ समग्र शिक्षा उ.प्र., सहायक निदेशक (बेसिक शिक्षा), जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, खण्ड शिक्षक अधिकारीगण उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/राम बहादुर/बृजनंदन

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