संभल : सांसद जियाउर्रहमान बर्क और सदर जफर अली हिंसा के मुख्य मास्टरमाइंड

- अपर जिला जज द्वितीय निर्भय नारायण राय के न्यायालय में हुई सुनवाई
मुरादाबाद, 04 अप्रैल (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के संभल जनपद में बीते 24 नवम्बर को विवादित शाही जामा मस्जिद के दूसरे सर्वे के दौरान हुई हिंसा एक सुनियोजित योजना के तहत हुई थी। इस हिंसा में जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी के सदर जफर अली खान और संभल लोकसभा से समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क मास्टरमाइंड भूमिका में थे। यह दावा शुक्रवार को चंदौसी स्थित अपर जिला जज द्वितीय निर्भय नारायण राय के न्यायालय में अपर जिला शासकीय अधिवक्ता हरिओम प्रकाश सैनी ने किया। अदालत ने आज ज़फ़र अली की जमानत याचिका खारिज कर दी।
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संभल की विवादित जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी के सदर जफर अली एडवोकेट को कोतवाली पुलिस ने 23 मार्च रविवार को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने उनको पूछताछ के लिए कोतवाली बुलाया था। इसके बाद उनको गिरफ्तार करके चंदौसी स्थित कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उनको जेल भेज दिया गया। जफर अली की गिरफ्तारी को लेकर एएसपी श्रीश्चंद्र ने बताया था कि बीते 24 नवम्बर को जामा मस्जिद सर्वे के दौरान हुई संभल की घटना में उनकी भूमिका थी। उन्होंने भड़काऊ बयान दिया था। हिंसा की जांच कर रही एसआईटी की जांच में यह तथ्य सामने आने के बाद जफर अली की गिरफ्तारी की गई थी।
अपर जिला शासकीय अधिवक्ता हरिओम प्रकाश सैनी ने एडीजे द्वितीय के न्यायालय में आज जिरह के दौरान बताया कि बताया कि सर्वे के दौरान जो बवाल हुआ था वह एक सुनियोजित योजना के तहत हुआ था। इस हिंसा में जामा मस्जिद के सदर जफर अली और संभल के सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क मास्टरमाइंड भूमिका में नजर आए थे। 23 नवम्बर को बेंगलुरु से सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने मस्जिद सदर जफर अली को जामा मस्जिद पर भीड़ को इकट्ठा करने तथा सर्वे नहीं होने को कहा था। जफर अली ने ही 24 नवम्बर को व्हाट्सएप कॉल के जरिए भीड़ को इकट्ठा किया था और सर्वे रोकने के लिए लोगों को उकसाया था।
हरिओम प्रकाश सैनी ने अपर जिला जज द्वितीय के समक्ष बताया कि जामा मस्जिद के सदर जफर अली की बेल न्यायालय द्वारा खारिज कर दी गई है। उनके द्वारा भीड़ का जमाव 24 नवम्बर 2024 को किया गया था वहां पुलिस पर पथराव कराया गया था पुलिस के वाहनों को जलवाया गया था पुलिस पर फायरिंग कराई गई थी, सरकारी कार्य में बाधा डाली थी, ऐसा गंभीर आरोप जामा मस्जिद के सदर पर था। अब इनके मोबाइल की कॉल डिटेल खंगाली गई तो जिसमें सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क इसमें मुख्य साजिशकर्ता हैं और उनके द्वारा भीड़ को इकट्ठा करके यह सारा बवाल कराया गया था।
सांसद की ओर से इनको 23 नवम्बर 2024 को रात्रि 12:32 बजे व्हाट्सएप कॉल की गई थी पुलिस की पूछताछ पर इन्होंने बताया कि उन्होंने मुझसे कहा था कि आप भी इकट्ठा कीजिए और कल सर्वे मत होने दीजिए कोई सर्वे नहीं होगा मस्जिद हमारी है और हमारी ही रहेगी। इसके बाद जब दंगा हो गया तो उन्होंने कहा कि पीसी कीजिए और बताइए कि जो लोग मारे गये हैं, पुलिस की गोली से मरे हैं और पुलिस ने अवैध तमंचे से गोली चलाई है। यह झूठा तथ्य उन्होंने गढ़ा। जबकि वह जामा मस्जिद के अंदर थे, बाहर गोली किसने चलाई और किसके गोली से चार लोग मरे हैं। पुलिस ने निष्पक्ष जांच करके उनको गिरफ्तार किया। सबूत इनके खिलाफ है। पुलिस की पूछताछ पर जामा मस्जिद के सदर जफर अली ने यही बताया है 19 नवम्बर 2024 से पहले कभी जामा मस्जिद में नमाज पढ़ने नहीं आए थे उससे पहले अपने मोहल्ले की मस्जिद में नमाज पढ़ते थे। लेकिन उस दिन यह आए थे। यह सुनियोजित तरीके से कराया हुआ दंगा है। कॉल डिटेल में सब साक्ष्य मिले हैं। आप रात के 12 से सुबह 8 तक दंगा होने से पहले लगातार बात कर रहे हैं। पूरा-पूरा एलिगेशन इनके ऊपर जाता है। सांसद की भूमिका पूरी तरह संदिग्ध है जो निराश लोग हैं, वह अपनी बात तो करेंगे। क्योंकि उनकी बेल खारिज हो चुकी है।
हिन्दुस्थान समाचार / निमित कुमार जायसवाल