लोकसभा चुनाव 2024 : टिकट से बाहर हुए सांसद सत्यदेव पचौरी भाजपा का वोट सहेजने में रहे असफल

लोकसभा चुनाव 2024 : टिकट से बाहर हुए सांसद सत्यदेव पचौरी भाजपा का वोट सहेजने में रहे असफल
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लोकसभा चुनाव 2024 : टिकट से बाहर हुए सांसद सत्यदेव पचौरी भाजपा का वोट सहेजने में रहे असफल


- विधानसभा चुनाव में सफाई कर्मी से हार का करना पड़ा था सामना

कानपुर, 26 मार्च (हि.स.)। आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने काफी जद्दोजहद के बाद कानपुर सीट से रमेश अवस्थी को उम्मीदवार बना दिया। इससे वर्तमान सांसद सत्यदेव पचौरी की उम्मीदों पर पानी फिर गया। हालांकि पचौरी कानपुर की दृष्टि से भाजपा के बड़े नेताओं में शुमार हैं, लेकिन उनके साथ यह दिक्कत रही कि दो बार लोकसभा का चुनाव लड़े जिसमें एक में हार तो दूसरे में विजयी हुए और दोनों में भाजपा के पूर्व उम्मीदवार को मिले वोटों को सहेजने में असफल रहे। दोनों बार उन्हें पार्टी के पूर्व उम्मीदवार से कम मत मिले। यही नहीं, विधानसभा चुनाव में तो एक बार सफाई कर्मी ने उन्हें हरा दिया था।

राम मंदिर आंदोलन से उपजी आस्था भारतीय जनता पार्टी के लिए कानपुर वरदान साबित हुआ और दोनों लोकसभा सीट के साथ ही शहर की सभी पांचों विधानसभा सीटों पर कमल खिल गया। लोकसभा चुनाव में यह क्रम 1998 तक बना रहा और जगतवीर सिंह द्रोण ने हैट्रिक लगाई। इसके बाद कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल ने हैट्रिक लगाते हुए 2014 तक कानपुर का प्रतिनिधित्व किया। 2014 में मोदी लहर में श्रीप्रकाश के सामने भाजपा के एड़ी चोटी के नेता डॉ मुरली मनोहर जोशी आ गये और कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। उम्र अधिक होने के कारण 2019 में डॉ जोशी चुनाव नहीं लड़े और उनके उत्तराधिकारी बनने के लिए पार्टी ने तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री सत्यदेव पचौरी का नाम आगे बढ़ाया। सत्यदेव पचौरी सांसद तो बन गये लेकिन वोट प्रतिशत पिछली बार की अपेक्षा कम हो गया। यही नहीं एक बार 2004 में पार्टी ने सत्यदेव पचौरी को लोकसभा का चुनाव लड़ाया उसमें भी पिछले उम्मीदवार जगतवीर सिंह द्रोण को मिले मतों में सात प्रतिशत से अधिक मत कम मिले और पचौरी को हार का सामना करना पड़ा। इससे यह धारणा बन गई कि सत्यदेव पचौरी भाजपा के वोट को ही सहेजने में असफल साबित हो रहे हैं और टिकट कटने का यह भी अहम कारण रहा।

सफाई कर्मी से विधानसभा का चुनाव हारे

राम मंदिर आंदोलन की लहर में आर्य नगर विधानसभा सीट पर सत्यदेव पचौरी पहली बार विधायक बने। इसके बाद अगले ही चुनाव 1993 में इनका इस कदर विरोध हो गया कि जनता ने सफाई कर्मी महेश चन्द्र बाल्मीकी को विधायक बना दिया। 1996 में भी सत्यदेव पचौरी को इस सीट से हार का सामना करना पड़ा और मत प्रतिशत गिरता गया। अगले दो विधानसभा चुनावों में पार्टी ने इन्हें टिकट ही नहीं दिया। साल 2012 में परिसीमन के तहत गोविन्द नगर विधानसभा के क्षेत्रों में बदलाव हुआ तो पार्टी ने सत्यदेव पचौरी को गोविन्द नगर विधानसभा सीट से टिकट दिया। लेकिन यहां जीत के बावजूद पार्टी के पिछले उम्मीदवार हनुमान मिश्र से करीब 13 हजार कम मत मिले। हालांकि अगले चुनाव 2017 में उनका प्रदर्शन भाजपा लहर में अच्छा रहा और करीब छह प्रतिशत मतों में इजाफा हुआ। संगठन में पकड़ मजबूत होने चलते उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बने और 2019 के लोकसभा चुनाव में सांसद बनने में सफल रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/अजय/सियाराम

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