मां बेटी एवं पत्नी तथा बहन सामने आने वाली चुनौतियों के प्रति रहें जागरूक: सूर्यांश गौड़

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मां बेटी एवं पत्नी तथा बहन सामने आने वाली चुनौतियों के प्रति रहें जागरूक: सूर्यांश गौड़


मां बेटी एवं पत्नी तथा बहन सामने आने वाली चुनौतियों के प्रति रहें जागरूक: सूर्यांश गौड़


कानपुर, 03 सितंबर (हि.स.)। लोगों, खासकर पुरुषों के लिए यह जरूरी है कि वे अपनी माताओं, बहनों, बेटियों और पत्नियों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में जागरूक हों। यह बात मंगलवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के वार्षिक खेल महोत्सव की जानकारी देते हुए कार्यक्रम आयोजक सूर्यांश गौड़ ने दी।

उन्होंने कहा कि महिलाएं हमारी दुनिया को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और उनकी चिंताओं को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम न केवल इन मुद्दों को स्वीकार करें बल्कि प्रभावी समाधान भी सक्रिय रूप से तलाशें, खासकर मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए।

आगे जानकारी देते हुए बताया कि इस मैराथन का उद्देश्य पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम पर विशेष ध्यान देने के साथ महिलाओं के स्वास्थ्य और सशक्तिकरण के बारे में जागरूकता बढ़ाना था।

मैराथन की शुरुआत आईआईटी कानपुर के ओपन एयर थिएटर से हुई और इसमें 5 किलोमीटर की वॉक और रन शामिल थी, जिसमें सुबह 6:10 बजे वॉक (सभी आयु वर्ग के पुरुष और महिला दोनों के लिए), सुबह 6:25 बजे महिला दौड़ (18 से 40 वर्ष की आयु की महिलाओं के लिए) और सुबह 6:35 बजे पुरुष दौड़ (18 से 40 वर्ष की आयु के पुरुषों के लिए) शामिल थी। इस कार्यक्रम में 250 से अधिक व्यक्तियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिसमें सभी प्रतिभागियों को ई-प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ, जबकि विजेताओं को ट्रॉफी और योगा मैट और विशेष एनर्जी ड्रिंक जैसे उपहार दिए गए।

मैराथन के अलावा इंडियन पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम सोसाइटी और आईआईटी कानपुर की वुमन एसोसिएशन के सहयोग से पहेलियों को सुलझाना' शीर्षक से एक वार्ता आयोजित की गई। इस सत्र का नेतृत्व पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम सोसाइटी इंडिया की एक प्रसिद्ध विशेषज्ञ डॉ. ममता अग्निहोत्री ने किया। जिन्होंने पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम के बारे में गहन जानकारी दी, जो एक हार्मोनल विकार है जो हर दस में से एक महिला को प्रभावित करता है।

डॉ. अग्निहोत्री ने इस स्थिति की जटिलताओं पर चर्चा की, जिसमें इसके लक्षण, निदान और दीर्घकालिक स्वास्थ्य निहितार्थ शामिल हैं। इस सत्र का उद्देश्य दर्शकों को शिक्षित और सशक्त बनाना था, जिससे इस स्थिति से पीड़ित महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों की गहरी समझ पैदा हो। आवेग 2024 कार्यक्रम के माध्यम से, आईआईटी कानपुर ने महिलाओं के स्वास्थ्य और सामुदायिक जागरूकता को आगे बढ़ाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया और सकारात्मक बदलाव लाने के लिए भविष्य की तैयारियों की नींव रखी।

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हिन्दुस्थान समाचार / रामबहादुर पाल

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