कांग्रेस को जो मिली हैं सीटें, पिछली बार हो गयी थी जमानत जब्त
लखनऊ, 23 मार्च (हि.स.)। 2009 में उत्तर प्रदेश में 18.25 प्रतिशत वोट पाकर कांग्रेस ने 21 सीटें जीती थी। मौजूदा लोकसभा चुनाव में सपा से हुए समझाौते के तहत प्रदेश में उसे सिर्फ 17 सीटों पर चुनाव लड़ना है। उसमें 50 प्रतिशत से अधिक सीटें कांग्रेस के पास ऐसी हैं, जिन पर 2019 में कांग्रेस उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई थी। वर्ष 2014 में उसे यूपी में सिर्फ एक सीट पर ही जीत हासिल बार सिर्फ एक सीट पर विजय मिली थी।
कांग्रेस के हिस्से में आयी अमरोहा, गाजियाबाद, फतेहपुर सिकरी, झांसी, बाराबंकी, इलाहाबाद, महाराजगंज, देवरिया और वाराणसी सीट ऐसी है, जहां के उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा पाये थे। अमेठी सीट पर राहुल गांधी हार गये थे। वहीं रायबरेली में सोनिया गांधी ने विजय हासिल की थी। अमरोहा में कांग्रेस के उम्मीदवार राशिद अल्वी को 12,510 वोट मिले थे, जबकि 6,01,082 वोट पाकर यहां से बसपा के कुंवर दानिश अली ने विजय हासिल की थी। वहीं गाजियाबाद से कांग्रेस से चुनाव लड़ने वाली डाली शर्मा ने 1,11,944 वोट पाये थे, जबकि भाजपा उम्मीदवार विजय कुमार सिंह ने यहां 61.96 प्रतिशत वोट पाकर विजय हासिल की थी। फतेहपुर सीकरी में कांग्रेस उम्मीदवार राज बब्बर ने 1,72,082 वोट पाये थे। झांसी सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार शिवचरण कुशवाहा को 86,139 वोट मिले थे। बाराबंकी में कांग्रेस के तनुज पुनिया को 1,59,611 वोट मिले थे।
इलाहाबाद में कांग्रेस उम्मीदवार योगेश शुक्ला को 31,953 वोट मिले थे। महाराजगंज से कांग्रेस की सुप्रिया श्रीनेत्र लड़ी थीं। उन्हें सिर्फ 72,516 मत मिले थे। देवरिया लोकसभा सीट पर कांग्रेस के नियाज अहमद को 51,056 वोट मिले थे। वाराणसी से कांग्रेस के अजय राय को 1,52,548 वोट मिले थे, जबकि विजय पाने वाले नरेन्द्र मोदी को 6,74,664 वोट मिले थे। उसके हिस्से में एक सीट बासगांव भी आयी है, जहां पर पिछली बार कांग्रेस ने उम्मीदवार ही नहीं खड़े किये थे।
इस बार सिर्फ 17 सीटों पर चुनाव लड़ने के कारण कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह नहीं है। कुछ लोगों का मानना है कि इसी कारण सपा ने संयुक्त वार रूम बनाया है। सपा बार-बार कांग्रेस पर जल्द उम्मीदवार उतारने से लेकर चुनाव प्रचार की तेजी के लिए भी दबाव बना रही है।
हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र/राजेश/सियाराम
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