ढाई लाख से ज्यादा लोगों ने खाई फाइलेरिया की दवा : सीएमओ
--दवा सेवन के बाद शरीर में फैले माइक्रोफाइलेरिया को मारती है दवा
--खाली पेट नहीं खानी है दवा, उम्र व लम्बाई के अनुसार डोज तय
प्रयागराज, 13 फरवरी (हि.स.)। फाइलेरिया प्रभावित जनपद के 13 ब्लॉक में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए 28 फरवरी तक चलने वाले आईडीए अभियान के दौरान 12 फरवरी तक करीब 2.83 लाख लोगों को दवा खिलाई जा चुकी है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशु पाण्डेय ने बताया कि लाइलाज बीमारी फाइलेरिया के कारण कोई भी व्यक्ति दिव्यांगता का शिकार न हो, इसके लिए लक्षित आबादी को बचाव की दवा खिलाने के लिए आशा, आंगनबाड़ी व स्वास्थ्य कर्मी प्रयासरत हैं।
सीएमओ ने लोगों से अपील किया है कि फाइलेरिया रोधी दवा के प्रति किसी तरह का भ्रम मन में न पालें। यह दवा पूरी तरह सुरक्षित है। स्वास्थ्य विभाग की टीम जब भी आपके घर दवा खिलाने आए, दवा जरूर खाएं। फाइलेरिया की दवा का सेवन आपके और आपके परिवार के स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग बिना झिझक के फाइलेरिया की दवा का सेवन कर रहे हैं। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि वह स्वस्थ हैं तो फाइलेरिया की दवा क्यों खाएं, उन्हें यह समझना होगा की जनपद के जिन 13 ब्लॉक में अभियान चल रहा है वह क्षेत्र फाइलेरिया प्रभावित हैं, जहां स्वस्थ व्यक्ति में भी इसके परजीवी हो सकते हैं। इस बीमारी का लक्षण दिखने में 10 से 15 वर्ष लग जाते हैं।
जिला मलेरिया अधिकारी आनंद सिंह ने बताया कि बिना भ्रमित हुए फाइलेरिया की दवा खाएं। इससे कोई नुकसान नहीं है। दवा के सेवन से थोड़ी बहुत शारीरिक प्रतिक्रिया सिर्फ उन्हीं को हो सकती है जिनके भीतर फाइलेरिया के वाहक “माइक्रोफाइलेरिया” पहले से मौजूद हैं। दवा के सेवन के बाद दवा शरीर में फैले माइक्रोफाइलेरिया के संक्रमण को पूरी तरह खत्म करने लगती है, जिसके कारण कुछ लोगों को पेट दर्द, उल्टी, मितली, चक्कर आना, चकत्ते पड़ना और दिल की धड़कन तेज होने जैसी समस्या हो सकती है, ऐसा हो तो घबराएं नहीं। यह लक्षण कुछ समय के बाद स्वतः ठीक हो जाते हैं।
--खाली पेट नहीं खानी है दवा, उम्र के हिसाब से डोज तय
वेक्टरजनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. परवेज अख्तर ने कहा कि फाइलेरिया की दवा खाली पेट नहीं खानी है। अलग-अलग उम्र के लिए डोज भी अलग है। दवा का सेवन स्वास्थ्य विभाग की टीम के सामने निर्धारित डोज में करना है। दो साल से छोटे बच्चों, गर्भवती और गम्भीर रूप से बीमार को छोड़कर सभी को दवा जरूर खानी है। एक से दो साल तक के बच्चों को सिर्फ पेट से कीड़े निकालने की दवा खिलाई जाएगी।
कौंधियारा ब्लॉक के कनकपुर गाँव के मंगरु यादव ने बताया कि मेरे पड़ोस में भी फाइलेरिया मरीज हैं। उनके जीवन के दर्द को मैंने बहुत करीब से देखा है। फायलेरिया ने उन्हें बहुत शारीरिक और मानसिक कष्ट पहुंचाया है। उन्होंने बताया मैं नहीं चाहता कि मेरे परिवार में किसी को ऐसा दर्द मिले।
हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/बृजनंदन
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