श्री संकटमोचन मंदिर के महंत प्रोफेसर विश्वंभरनाथ मिश्र को मातृ शोक, संवदेना जताने पहुंचे राज्यमंत्री
वाराणसी, 20 जनवरी (हि.स.)। श्री संकटमोचन मंदिर के महंत एवं आईआईटी बीएचयू के प्रोफेसर विश्वंभरनाथ मिश्र की माता जी सेवा देवी नहीं रही। 80 वर्षीया सेवा देवी ने तुलसीघाट स्थित तुलसी भवन में शुक्रवार देर रात अन्तिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहीं थीं। शनिवार को इसकी जानकारी लोगों को हुई तो बड़ी संख्या में बीएचयू के प्रोफेसर, कर्मचारी, छात्र, विभिन्न दलों के नेता व पार्षदों के साथ प्रदेश के राज्यमंत्री डॉ दयाशंकर मिश्र 'दयालु', जाने माने न्यूरो सर्जन विवेक शर्मा, प्रो आरएन चौरसिया, डॉ बीडी मिश्र आदि ने तुलसीभवन पहुंचकर शोक संवेदना जताई।
तुलसीघाट स्थित आवास से हरिश्चंद्रघाट तक निकली अन्तिम यात्रा में भी बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। राज्यमंत्री डॉ दयाशंकर मिश्र ने कांधा भी दिया। हरिश्चंद्र घाट पर मुखाग्नि छोटे पुत्र बीएचयू आईएमएस के न्यूरोलॉजिस्ट प्रो. विजयनाथ मिश्र ने दी। सेवा देवी अपने पीछे दो पुत्रों, दो पुत्रियों का भरा पूरा परिवार छोड़ गई हैं। अन्तिम यात्रा के समय बड़ी बहू आभा मिश्रा, छोटी बहू शेफाली मिश्र, नाती पुष्कर नाथ मिश्र, पौत्री यशश्विनी, श्रुति, गौरी भी मौजूद रहीं।
महंत प्रोफेसर विश्वंभरनाथ मिश्र ने बताया कि पिता जी श्री संकटमोचन मंदिर के बड़े महंत प्रो. वीरभद्र मिश्र ने वर्ष 2013 में शरीर त्याग किया था। मां परिवार की वट वृक्ष थीं, उनकी उपस्थित ठीक उसी तरह थी जैसे घर के बाहर वृक्ष होता है। तमाम झंझावातों के बीच उन्होंने सबका पालन-पोषण किया। अंतिम समय में जब बीमारी से ग्रसित हुईं तो उनका एक मात्र सहारा राम नाम था।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/आकाश
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