योगासन से आसानी से ठीक हो सकता है माइग्रेन: डॉ. अशोक वाजपेयी

योगासन से आसानी से ठीक हो सकता है माइग्रेन: डॉ. अशोक वाजपेयी
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योगासन से आसानी से ठीक हो सकता है माइग्रेन: डॉ. अशोक वाजपेयी


लखनऊ, 30 नवम्बर (हि.स.)। लखनऊ विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ योग एंड अल्टरनेटिव मेडिसिन, इंडियन योग फेडरेशन, यू.पी.नेचरोपैथी एंड योग टीचर्स एंड फिजिशियन एसोसिएशन में दीक्षांत सप्ताह के अंतर्गत ‘योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा का नर्वस सिस्टम पर प्रभाव’ पर 19वें राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। इसमें मुख्य अतिथि राज्यसभा सदस्य डॉ. अशोक वाजपेई ने कहा कि वर्तमान में कई तरह के नर्वस सिस्टम की बीमारियों का इलाज योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा के द्वारा बड़ी सरलता से किया जा सकता है।

डाॅ. अशोक वाजपेयी ने बताया कि माइग्रेन आज आम बीमारी की तरह फैल रही है। इसका प्रबंधन योगासनों द्वारा मुख्य रूप से शवासन,पवनमुक्तासन तथा अनुलोम-विलोम, शीतली प्राणायाम के अभ्यास से किया जा सकता है। इन अभ्यास द्वारा माइग्रेन से उत्पन्न होने वाले दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है( डॉ वाजपेई ने जोर देकर कहा कि राज्य सरकार योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा का प्रचार प्रसार कराए, जिससे जनमानस को शारीरिक और मानसिक रूप से कल्याणकारी लाभ प्राप्त हो सके तथा प्रदेश में प्रशिक्षित योग एवं प्राकृतिक चिकित्सकों को लिए रोजगार के अवसर प्रदान करें।

डॉ. अमरजीत यादव ने योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा के वैज्ञानिक अध्ययन से प्राप्त आंकड़ों को प्रस्तुत किया। डॉ.यादव ने बताया कि नर्वस सिस्टम से संबंधित कई तरीके के रोग उत्पन्न होते हैं, जिनमें मुख्य रूप से माइग्रेन,हृदयाघात एवं अल्जाइमर मुख्य है। डॉ.यादव ने बताया कि पूरे संसार में एक महीने के भीतर 15 दिन या उससे कुछ अधिक समय तक सिरदर्द होने पर जांच के दौरान 1.7 प्रतिशत से 4 प्रतिशत युवाओं में माइग्रेन पाया गया। भारतवर्ष में माइग्रेन पीड़ितों की संख्या 213 मिलियन है, जिसमें महिलाओं की संख्या पुरुषों से कहीं अधिक है। भारत में अगले 2031 तक 20 करोड लोग अल्जाइमर के रोग से ग्रसित हो जाएंगे। इस अल्जाइमर से स्वयं को बचाने के लिए योग के कुछ प्रमुख आसन जैसे वज्रासन, पश्चिमोत्तानासन शीर्षासन एवं सूर्य नमस्कार तथा अनुलोम विलोम व उज्जायी प्राणायाम का अभ्यास प्रमुख रूप से करना चाहिए।

विशिष्ट अतिथि प्रो.राजेंद्र प्रसाद ने संगोष्ठी में संबोधन की शुरुआत योग एक अनुशासन से की। उन्होंने बताया कि नियमित दिनचर्या से तनाव के प्रबंधन में काफी लाभ प्राप्त होता है। यह तनाव हृदय रोग का प्रमुख कारण है। तनाव को दूर करने के लिए वृक्षासन,भुजंगासन सुखासन तथा अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए। इनके अभ्यास से नर्वस सिस्टम से संबंधित मानसिक रोगों में प्रमुख लाभ प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि वह स्वयं 40 वर्षों से योगासन और प्राणायाम का अभ्यास कर लाभ लाभ प्राप्त कर रहे हैं। संतुलित आहार विहार जीवनचर्या का विशेष अंग है।

संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे प्रो. एम.एल.बी.भट्ट ने कहा कि नर्वस सिस्टम एक बहुत महत्वपूर्ण सिस्टम है, जिससे अनेक रोग उत्पन्न होते हैं पूरे संसार में एक अरब से अधिक लोग नर्वस सिस्टम से उत्पन्न होने वाली बीमारियों से ग्रसित हैं। उनका कहना था कि इस तरह के रोगियों के उपचार के लिए आसन, प्राणायाम और ध्यान प्रमुख भूमिका निभाता है। यदि व्यक्ति प्रतिदिन कुछ प्रमुख आसन जो कि वज्रासन, शवासन, पश्चिमोत्तानासन, हलासन आदि करें तो उसको विशेष लाभ होगा। यदि वह इन आसनों को नहीं कर सकते तो अनुलोम-विलोम और भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास अवश्य करें। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के गणमान्य शिक्षक तथा विषय विशेषज्ञ, विद्यार्थी गण आदि उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र/सियाराम

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