मीरा जी ने जीवन का लक्ष्य बनाया, भगवान श्रीकृष्ण की प्राप्ति - संत रमाकांत महाराज

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मीरा जी ने जीवन का लक्ष्य बनाया, भगवान श्रीकृष्ण की प्राप्ति - संत रमाकांत महाराज


लखनऊ, 30 नवम्बर(हि. स.)। लखनऊ में गोमती नदी के तट पर भक्तमाल कथा के तीसरे दिन संत रमाकांत गोस्वामी जी महाराज ने कहा कि मीरा जी ने जीवन का लक्ष्य बनाया, भगवान श्रीकृष्ण की प्राप्ति। जैसे गोपियों को हर जगह कन्हैया दिखते थे, वैसे मीरा को उनके गिरधर गोपाल हर जगह दिखती है। भगवान श्रीकृष्ण के समय की गोपियों में ही एक गोपी का जन्म मीरा के रूप में हुआ था।

मथुरा वृंदावन से पधारे रमाकांत गोस्वामी जी महाराज ने लोकमाता अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी वर्ष पर आयोजित भक्तमाल कथा में कहा कि समाजसेवा करते हुए मन को मजबूत रखना पड़ता है। यह हमें लोकमाता अहिल्याबाई होलकर से सीखना चाहिए। गुरु को गुरुदक्षिणा तभी है, जब लिए गए ज्ञान को और लोगों को देकर उन्हें भी ज्ञानवान किया जाए। घर में डंडा या तलवार रखे, हर घर में जितने पुरुष उतने हथियार रखना चाहिए। यह भी हमे अहिल्याबाई होलकर से सीखना चाहिए।

राधा स्नेह दरबार द्वारा आयोजित कथा में रमाकांत जी महाराज ने भक्तमाल की कथा का महत्व बताते हुए कहा कि नाभा जी महाराज कहते है, कुछ सीखने के लिए प्रमुख लोगों को अपना गुरु बना लेना चाहिए। भक्त बनना चाहिए, संतो की सेवा करनी चाहिए। भक्तों की माला ही भक्तमाल की कथा है। सभी भक्तों के अपने अपने गुण है। तुलसीदास जी, सूरदास जी से कीर्तन सीखना चाहिए। स्मरण निष्ठा सीखना चाहिए। भगवान से सच्चा भाव सीखना है तो विभीषण से सीखिए। कबीर दास से नाम निष्ठा सीखना चाहिए। कृष्ण कन्हैया का नाम लेने से हर जगह कार्य हो जाता है। उन्हें भी गुरु बना सकते है। भक्तमाल कथा से हमें पता लगता है कि भगवान कैसे भक्त तक खिंचे चले आते है।

रमाकांत गोस्वामी जी महाराज ने कहा कि मीरा के पिता के घर पर एक संत आते है। उनके साथ ठाकुर जी है, उनकी वह सेवा करते है। मीरा टकटकी लगाकर देखती है, वही से मन में भगवान विराजमान हो जाते है। मीरा कन्हैया की भक्ति में डूब जाती है। मीरा मन ही मन कन्हैया से वार्ता कर लेती है। भजन गाते हुए भगवान से अपने मन की बात कह देती है। इसके बाद संत से मीरा जी ने ठाकुर जी को मांग लिया।

रमाकांत जी महाराज ने कहा कि महाराजा भोजराज से मीरा का विवाह होता है तो भी गिरधर गोपाल उनकी गोद में थी। उनके मन में है, उनका विवाह तो कन्हैया से हो रहा है। बाद में यही मीरा ने भजन गाया कि मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरों ना कोई। मीरा कहती है मैने गिरधर को अपना बना लिया, यह दुनिया मेरे लिए छाछ जैसा है। मीरा के गाए भजन आज हम सुनते है और आनंदित होते हैं। भक्तमाल कथा में विधायक डा. नीरज बोरा, राधा स्नेह दरबार की अध्यक्ष बिंदू बोरा, राधा दरबार की पदाधिकारी और श्याम परिवार के पदाधिकारी की मुख्य रूप से उपस्थिति रही।

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हिन्दुस्थान समाचार / श.चन्द्र

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