भारत के हर गांव में हैं औषधियोग्य प्राकृतिक संसाधन: डॉ. रेड्डी
गोरखपुर, 15 दिसम्बर (हि.स.)। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के संबद्ध स्वास्थ्य विज्ञान संकाय व फार्मेसी संकाय के संयुक्त तत्वावधान एवं ट्रांसलेशन बायोमेडिकल रिसर्च सोसायटी के सहयोग से आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र के अवसर पर मुख्य अतिथि एरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. जी. सतीश रेड्डी ने कहा कि पूरा विश्व एक बार फिर आरोग्यता व रोग निदान के लिए प्राकृतिक संसाधनों से बनीं औषधियों को तेजी से अपना रहा है।
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों से बनने वाली दवाओं के प्रति भारत के लिए यह अवसर है क्योंकि भारत के हर गांव में पौधों, पत्थरों और यहां तक कि मिट्टी के रूप में औषधियोग्य प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा भारत प्राकृतिक संसाधनों से चिकित्सा करने की जननी है। ब्रह्मांड के पहले चिकित्सक चरक और सुश्रुत यहीं होते थे। प्राचीन काल में यहां सर्जरी भी होती थी।
डॉ. रेड्डी ने कहा कि करीब दो सौ साल से मॉडर्न साइंस टेक्नोलॉजी से आई दवाओं का नकारात्मक असर लोगों को फिर से प्राकृतिक संसाधनों से चिकित्सा की तरफ मोड़ रहा है। उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी माना है कि 60 प्रतिशत लोग हर्बल या नेचुरल मेडिसिन का इस्तेमाल कर रहे हैं। लोग यह मानने लगे हैं कि सस्टेनेबल लिविंग के लिए नेचुरल होना पड़ेगा।
डॉ रेड्डी ने कहा कि आज जरूरत है कि नए सिरे से चिकित्सा में काम आने योग्य प्राकृतिक संसाधनों की खोज हो, दवा के रूप में उनकी प्रोसेसिंग तेज की जाए और गुणवत्ता पर ध्यान देते हुए उनकी मार्केटिंग की जाए। उन्होंने योग की तर्ज पर प्राकृतिक संसाधनों से बनने वाली औषधियों की ब्रांडिंग की जरूरत जताई। डीआरडीओ के पूर्व में अध्यक्ष रहे डॉ रेड्डी ने यूपी में डिफेंस कॉरिडोर और ब्रह्मोस मिसाइल बनाने का केंद्र बनाए जाने को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विजनरी नेतृत्व का परिणाम बताया।
हिन्दुस्थान समाचार/डॉ. आमोदकांत /मोहित
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