हिन्दी भाषा में हो चिकित्सा-अनुसंधान और न्यायिक कार्य
लखनऊ, 08 सितम्बर (हि.स.)। हिन्दी भाषा के विकास के लिए भिन्न प्रयासों को मूर्तरूप देने के सम्बन्ध में विचार विमर्श हेतु एक कार्यशाला अ-मोक्ष साधना केंद्र, राजनिकेतन, वृन्दावन योजना, लखनऊ में रविवार को आयोजित हुई। वक्ताओं ने कहा कि हिन्दी तभी ग्राह्य हो सकेगी जब हिन्दी में विज्ञान, चिकित्सा-अनुसंधान और न्यायिक कार्य सम्पन्न होने आरम्भ होंगे। उपस्थित वक्ताओं ने हिन्दी को केंद्र में रखकर अ-मोक्ष साधना केंद्र के प्रयासों की सराहना की। कार्यशाला में इस तथ्य पर सन्तोष व्यक्त किया गया कि, आज विश्व के कोने-कोने में हिन्दी बोलने और समझने वाले मिल रहे हैं जिसमें हमारे युवा वैज्ञानिकों, व्यापारियों और उपभोक्ताओं का सराहनीय योगदान है।
आयोजन के मुख्य अतिथि हिन्दी साहित्य के प्रति समर्पित उ.प्र राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान से निकलने वाली त्रैमासिक पत्रिका अपरिहार्य के पूर्व सम्पादक अनन्त प्रकाश तिवारी उपस्थित रहे। समारोह की अध्यक्षता गोपाल कुंज अध्यासी कल्याण समिति वृन्दावन योजना लखनऊ के पूर्व अध्यक्ष, कर्नल वाई.एस यादव ने की। समारोह में अवकाश प्राप्त न्यायाधीश आर.पी.द्विवेदी,अवकाश प्राप्त न्यायाधीश एस.के. विश्वकर्मा के साथ ही इं जटाशंकर,अधिवक्ता विनय शंकर पाण्डेय, पूर्व वायु सेना अधिकारी के.एस. मिश्र, समर्थ सिंह एवं एस के विश्नोई भी उपस्थित रहे।
इस अवसर पर अ-मोक्ष साधना केन्द्र के संस्थापक शिवशंकर द्विवेदी ने अपनी कविता संग्रह जीवन के स्वर में विवेच्य बिन्दुओं पर प्रकाश डालते हुए हिन्दी के विकास हेतु अपेक्षित कार्य के लिए विचारणीय बिन्दुओं पर उपस्थित विद्वतजन से अपने-अपने विचार रखने का अनुरोध किया। जिस पर अ-मोक्ष साधना केंद्र की महाप्रबन्धक कुसुमलता द्विवेदी ने जीवन के स्वर की प्रतियां उपस्थित सदस्यों को प्रदान की।
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हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन यादव
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