अलनीनो और जलवायु परिवर्तन से मार्च 2024 रहा अब तक का सबसे गर्म महीना

अलनीनो और जलवायु परिवर्तन से मार्च 2024 रहा अब तक का सबसे गर्म महीना
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अलनीनो और जलवायु परिवर्तन से मार्च 2024 रहा अब तक का सबसे गर्म महीना


-पिछले 12 महीनों में वैश्विक औसत तापमान सबसे अधिक दर्ज

कानपुर, 09 अप्रैल (हि.स.)। अलनीनो की स्थितियों और मानव जनित जलवायु परिवर्तन के संयुक्त प्रभाव से वैश्विक स्तर पर तापमान में बढ़ोतरी देखी जा रही है। यही नहीं मार्च 2024 अब तक का दुनिया में सबसे गर्म महीना रहा और पिछले 12 महीनों में वैश्विक औसत तापमान भी सबसे अधिक दर्ज किया गया।

यह बातें मंगलवार को चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के मौसम वैज्ञानिक डॉ एस. एन. सुनील पाण्डेय ने यूरोपीय संघ की जलवायु एजेंसी कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस द्वारा दी गई जानकारी को कोड करते हुए कही। उन्होंने बताया कि उपरोक्त कारणों से पिछले साल जून के बाद से लगातार 10वां महीना है, जब तापमान ने नया रिकॉर्ड बनाया है। पिछले 12 महीनों (अप्रैल 2023-मार्च 2024) में वैश्विक औसत तापमान सबसे अधिक दर्ज किया गया है, जो साल 1991-2020 के औसत से 0.70 डिग्री सेल्सियस अधिक और 1850-1900 पूर्व-औद्योगिक औसत तापमान से 1.58 डिग्री सेल्सियस ज्यादा है।

वैश्विक औसत तापमान जनवरी में पहली बार पूरे साल के लिए 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार कर गया। हालांकि, पेरिस समझौते में बताए गए 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा का स्थायी उल्लंघन कई सालों से हो रहा है, जो ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने का कारण है। वहीं वैश्विक औसत तापमान में बढ़ोतरी का कारण वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों में मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन की तेजी से बढ़ना है।

उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन वैज्ञानिकों के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से बचने के लिए सभी देशों को वैश्विक औसत तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक काल से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की जरूरत है।

हिन्दुस्थान समाचार/अजय/दीपक/आकाश

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