प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगना काशी की बेटी मनु याद की गई,जयंती पर विविध कार्यक्रम

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प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगना काशी की बेटी मनु याद की गई,जयंती पर विविध कार्यक्रम


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प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगना काशी की बेटी मनु याद की गई,जयंती पर विविध कार्यक्रम


—आज भारत विश्व के सभी क्षेत्र में आगे:डॉक्टर शरद रेणु

वाराणसी,11 नवम्बर(हि.स.)। देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगना काशी की बेटी महारानी लक्ष्मीबाई (मनु) को उनके 188वीं जयंती पर शिद्दत से याद किया गया। शनिवार को विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने वीरांगना बेटी की जन्मस्थली भदैनी (अस्सी) स्मारक स्थल पर जाकर उनके विशाल प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किया। राष्ट्र सेविका समिति (आरएसएस की महिला इकाई) काशी प्रांत और महारानी लक्ष्मीबाई सेवा न्यास की सदस्यों ने स्मारक स्थल पहुंच कर वीरांगना बेटी के शौर्य को नमन कर उनकी मूर्ति पर श्रद्धासुमन अर्पित किया। इसके बाद अस्सी स्थित गोयनका संस्कृत महाविद्यालय में दीप प्रज्जवलन, एकल गीत से सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत हुई। कार्यक्रम में विद्यालय और राष्ट्र सेविका समिति की तीन शाखाओं की कार्यकर्ताओं ने भागीदारी की। न्यास के महामंत्री अधिवक्ता राजेन्द्र प्रताप पांडेय ने वीरागंना मनु के संघर्ष और शौर्य को बताया। कार्यक्रम में पाणिनि महाविद्यालय की छात्राओं ने भाला, लेजियम, तलवार के प्रदर्शन से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। महारानी लक्ष्मीबाई बनी निजी विद्यालय की छात्रा सुहानी आकर्षण का केन्द्र बनी रही।

छात्रा अनन्या राय ने राष्ट्र भक्ति गीत 'बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी' पर समूह नृत्य की अगुवाई की। समारोह में राष्ट्र सेविका समिति की राष्ट्रीय बौद्धिक प्रमुख डॉक्टर शरद रेणु ने महारानी के विशाल व्यक्तित्व का उल्लेख करते हुए कहा कि आज का दिन महिला सशक्तीकरण के नाम से जाना जाता है। वीरांगना बेटी की जयंती मनाने के लिए हिंदी तिथि को काशी ने चुना, आज का दिन नारी के अंदर के तेज को प्रकट करने का है। माता अन्नपूर्णा की नगरी में जन्मी मनु ने 'मैं अपनी झांसी नही दूँगी' का मंत्र दिया, अर्थात मैं अपने भारत की मिट्टी का एक कण भी नही दूँगी। उन्होंने कहा कि भारत का हर बच्चा अखण्ड भारत की ही कल्पना करता है, भले ही भौगोलिक रूप से वह हमारा नहीं है। हम सभी को उन भूखंडों को मातृत्व की भावना से अपने अखण्ड भारत को याद करना चाहिए। हमें गूगल से उसी अखण्ड भारत को देख रोज याद करना चाहिए ताकि पुनः उसी अखण्ड भारत को प्राप्त कर सकें। आज भारत विश्व के सभी क्षेत्र में आगे है। भारत की माताएं त्याग, प्रेम व समर्पण के भाव से तेज स्फुरित करती हैं।

उन्होंने कहा कि 22 जनवरी को अयोध्या में जिस श्री राम के भव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी। श्री राम माता सीता सहित वनवास में जिस मिट्टी की रोज पूजा करते थे , वह अपनी जन्म भूमि भारत की मिट्टी थी। समारोह की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान की कुलसचिव डॉ. सुनीता चंद्रा ने कहा कि मैं तो अचंभित हूँ ऐसे रोमांचक व ऊर्जावान महारानी स्वरूपा को देख , प्रत्येक प्रतिभागी में महारानी दिखी। कार्यक्रम में आदर्श शिक्षा मंदिर,विवेकानंद इन्टर काॅलेज,पाणिनी महाविद्यालय,अतुलानंद विद्यालय की छात्राओं ने भागीदारी की। कार्यक्रम का संचालन डॉ. भारती मिश्रा,संयोजन कविता मालवीय ने किया। कार्यक्रम में न्यासी मीना चौबे,न्यास उपाध्यक्ष आरती अग्रवाल,डॉक्टर रंजना श्रीवास्तव, दुर्गा पांण्डेय ,डॉ. मंजू द्विवेदी, लीला कुमारी, अंजू सिंह, विजय मिश्रा, कल्पना,वैदेही,पद्मजा, कुमकुम पाठक, गीता शास्त्री, माधुरी शर्मा, वीणा पाण्डेय, ज्योत्सना वाजपेई आदि की मौजूदगी रही।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/सियाराम

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