शिक्षक प्रशिक्षित होकर राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका अदा करेंगे : प्रो. आनंद शंकर सिंह
प्रयागराज, 09 अगस्त (हि.स.)। शिक्षानीति कैसे हमको एक बहुआयामी दृष्टि दे रही है। इसी को समझने के लिए भारत सरकार ने एक शिक्षक प्रशिक्षण का प्रारूप तैयार किया है। जिसके अन्तर्गत प्रशिक्षित होकर हमारे शिक्षक अपने उद्देश्यों को पूरा करने में महती भूमिका का निर्वाह कर सकेंगे और आगे आने वाली चुनौतियों से निपटेंगे। राष्ट्र निर्माण में अपनी महती भूमिका अदा करेंगे।
उक्त विचार प्रशिक्षण केन्द्र के निदेशक एवं महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनंद शंकर सिंह ने मालवीय मिशन टीचर ट्रेनिंग सेन्टर (एमएमटीटीसी) ईश्वर शरण पीजी कॉलेज द्वारा भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘‘मालवीय मिशन टीचर ट्रेनिंग प्रोग्राम’’ के अन्तर्गत 9 दिवसीय 16वां प्रशिक्षण कार्यक्रम (यूजीसी एंड एमएमटीटी) ‘एनईपी ओरिएंटेशन एंड सेंसीटाइजेशन प्रोग्राम’ में व्यक्त किया।
प्राचार्य ने प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षानीति (एनईपी 2020) में शिक्षा को वैश्विक, कल्याणकारी और मानवता रक्षक के रूप में सृजित करने की रूपरेखा निर्मित की गई है। इसके अंतर्गत भाषा का सवाल, मातृभाषा में शिक्षा, समग्र और बहुआयामी शिक्षा, भारतीयता के प्रश्न और भारतीय ज्ञान के प्रश्न पर संस्कारों की शिक्षा और आचरण की शिक्षा को समर्पित किया गया है।
उद्घाटन सत्र के प्रथम सत्र का संचालन कार्यक्रम संयोजक डॉ. कृपाकिंजलकम ने किया। एमएमटीटीसी के असिस्टेंट कोआर्डिनेटर डॉ. मनोज कुमार दुबे ने कार्यक्रम की पृष्ठभूमि, अवधारणा और रूपरेखा पर प्रकाश डाला। लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. उमेश वशिष्ठ ने होलिस्टिक एण्ड मल्टी डिसीप्लीनरी एजुकेशन की पृष्ठभूमि, संकल्पना, विभिन्न विषयों के उद्भव एवं उसके परस्पर अंतर्सम्बंध एवं नई शिक्षानीति में उसके महत्व एवं उपादेयता को विश्लेषित किया। प्रो. अश्विनी कुमार भारद्वाज, सी.ई.ओ बेजॉन देसाई फाउण्डेशन नासिक ने भी होलिस्टिक एण्ड मल्टी डिसीप्लीनरी एजुकेशन के उप विषयों एवं एनईपी की समस्याओं और समाधान पर चर्चा की।
एमएमटीटी सेण्टर के असिस्टेंट डायरेक्टर डॉ. मनोज कुमार दुबे ने बताया कि रिसोर्स पर्सन और प्रतिभागियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम सहसंयोजक डॉ. महेश प्रसाद राय ने प्रस्तुत किया। इस दौरान मंच पर डॉ. मनोज कुमार दुबे के साथ महाविद्यालय के डॉ. धीरेन्द्र द्विवेदी, डॉ.अमिता पाण्डेय, डॉ. हर्षमणि सिंह, डॉ. अखिलेश पाल, डॉ. वेद मिश्रा सहित देश के विभिन्न राज्यों से प्राध्यापक जुड़े रहे। इनके अतिरिक्त कार्यक्रम में जम्मू कश्मीर से लेकर महाराष्ट्र तक और गुजरात से लेकर मणिपुर तक के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के 125 से अधिक शिक्षकों ने प्रतिभाग किया।
हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र / Siyaram Pandey
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