युवाओं को अपनी संस्कृति, कला और विरासत से जोड़कर बनायें एक श्रेष्ठ नागरिक: पीएमजी
—नव भारत निर्माण समिति ने 'इन्हें पंख दें' अभियान में विजेताओं को किया पुरस्कृत
वाराणसी, 22 जून (हि.स.)। युवा आने वाले कल के भविष्य हैं। इनमें आरम्भ से ही अपनी संस्कृति, कला, विरासत, नैतिक मूल्यों के प्रति आग्रह पैदा कर एक श्रेष्ठ नागरिक बनाया जा सकता है। सोशल मीडिया के इस अनियंत्रित दौर में उनमें अध्ययन, मनन, रचनात्मक लेखन और कलात्मक प्रवृत्तियों की आदत न सिर्फ उन्हें नकारात्मकता से दूर रखेगी अपितु उनके मनोमस्तिष्क में अच्छे विचारों का निर्माण भी करेगी। ये उद्गार वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव के है। पोस्टमास्टर जनरल शनिवार को नव भारत निर्माण समिति की ओर से आयोजित 'भारतीय संस्कृति एवं योग' विषयक त्रिदिवसीय चित्रकला प्रतियोगिता एवं कार्यशाला में पुरस्कार वितरण करने के बाद मौजूद लोगों को सम्बोधित कर रहे थे।
कार्यक्रम का आयोजन वाराणसी समेत पूर्वांचल के 16 जिलों के 14-22 आयु वर्ग के विद्यार्थियों पर केंद्रित 'इन्हें पंख दें' अभियान के अंतर्गत किया गया था। कार्यक्रम में कृष्ण कुमार यादव ने वाराणसी मंडल के मुख्य कोषाधिकारी गोविन्द सिंह, अंतर्राष्ट्रीय चित्रकार एस. प्रणाम सिंह के साथ विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया और उनके उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएँ दीं।
पूजा सिंह चौहान, पालक प्रजापति, पालक कुमारी को क्रमशः प्रथम, द्वितीय, तृतीय पुरस्कार मिला वहीं संतोषी वर्मा, सचिन सेठ, स्नेहा वर्मा, रोशनी वर्मा, मानसी पांडेय, अर्चिता, महिमा को सांत्वना पुरस्कार दिया गया। सभी को मेडल, प्रशस्ति पत्र और नकद राशि सम्मान स्वरुप दी गई। इस अवसर पर पोस्टमास्टर जनरल ने कहा कि आज की व्यस्त लाइफ स्टाइल में न सिर्फ शारीरिक बल्कि संवेदना के स्तर पर मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक सशक्तिकरण भी जरुरी है।
योग हमारी प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है । 'योग: कर्मसु कौशलम्' के माध्यम से भारतीय संस्कृति की इस अमूल्य और विलक्षण धरोहर को वैश्विक स्तर पर अपनाया गया है। योग मन और शरीर, विचार और क्रिया की एकता का प्रतीक है जो मानव कल्याण के लिए मूल्यवान है। उन्होंने कहा कि नव भारत निर्माण समिति ने 'बनारस लिट फेस्ट : काशी साहित्य, कला उत्सव' के माध्यम से भी लोगों को जोड़ा है, उसी कड़ी में युवाओं के लिए आयोजित 'इन्हें पंख दें' अभियान को भी देखा जाना चाहिए। स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष 2047 तक भारत को सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, वैज्ञानिक और आध्यात्मिक रूप से विकसित एवं सशक्त राष्ट्र बनाने में युवाओं का अहम योगदान है। कार्यक्रम का संचालन बृजेश सिंह ने किया।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/बृजनंदन
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