संगीत के क्षेत्र में गुरु शिष्य की समृद्ध परंपरा को कायम रखें : राज्यपाल

संगीत के क्षेत्र में गुरु शिष्य की समृद्ध परंपरा को कायम रखें : राज्यपाल
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संगीत के क्षेत्र में गुरु शिष्य की समृद्ध परंपरा को कायम रखें : राज्यपाल


विलुप्त हो रहे वाद्य यंत्रों व लोकगीतों के संरक्षण पर ध्यान दें विश्वविद्यालय

लखनऊ, 18 दिसम्बर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में सोमवार को भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय, लखनऊ का 13वां दीक्षांत समारोह सम्पन्न हुआ।

दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि संगीत के क्षेत्र में गुरु और शिष्य की समृद्ध परंपरा को कायम रखें। उन्होंने संगीत एवं नृत्य को एक साधना बताते हुए उत्तर प्रदेश की संगीत परंपरा को प्राचीनतम और समृद्ध बताया। कहा कि विलुप्त हो रहे वाद्य यंत्रों व लोकगीतों के संरक्षण एवं शोध पर विश्वविद्यालय ध्यान दें।

राज्यपाल ने सभी उपाधि प्राप्त कर्ताओं तथा पदक हासिल करने वाले विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देकर उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए माता-पिता को कभी नहीं भूलने व अंतिम क्षण तक उनके देखभाल करते रहने को प्रेरित किया। उन्होंने मुख्य अतिथि कथक नृत्यांगना पद्मश्री, शोभना नारायण को भौतिक शास्त्र में पढ़ने, एक अधिकारी के रूप में दायित्व संभालने तथा नृत्यांगना के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त करने पर त्रिवेणी संगम बताया। राज्यपाल ने बतौर नृत्यांगना, कोरियोग्राफर व कत्थक गांव पर शोध करने हेतु शोभना नारायण जी के कार्यों को सराहनीय बताया।

आनंदीबेन पटेल ने अपने सम्बोधन में भारत में कला के रस और रंगों को जीवन का पर्याय मानते हुए कहा कि भारत में जीवन की अलग-अलग जरूरतों व दायित्वों को 64 कलाओं से जोड़ा गया है। उन्होंने उत्तर प्रदेश के एकमात्र संगीत विश्वविद्यालय, भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय की स्थापना के 97 वर्ष पूर्ण होने पर बधाई देते हुए आने वाले शताब्दी वर्ष में नई ऊंचाइयों की प्राप्ति की कामना की।

इस मौके पर राज्यपाल ने प्रधानमंत्री के विकसित भारत 2047 कार्यक्रम का जिक्र करते हुए कहा कि इस उद्देश्य को पूरा करने में युवाओं की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होगी। उन्होंने विकसित भारत के उद्देश्य की प्राप्ति में भारतीय संस्कृति और कला की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया तथा तकनीक के साथ भारतीय संस्कृति और संगीत को जोड़कर आधुनिक तरीके से विश्व में प्रचारित किए जाने की जरूरत बताई।

राज्यपाल ने कथक नृत्य को एक प्रकार का एक्यूप्रेशर बताते हुए उस पर शोध करने की जरूरत बताई तथा इस संदर्भ में उन्होंने आई0आई0आई0टी0 लखनऊ एवं संगीत विश्वविद्यालय के बीच एमओयू हस्ताक्षरित करने की आवश्यकता बताई।

इस मौके पर मुख्य अतिथि व प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना पद्मश्री शोभना नारायण ने कहा कि जीवन मे आने वाली चुनौतियां का सामना करना स्वयं पर निर्भर करता है तथा हर उम्र में सीखने की प्रवृत्ति होती है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की स्मारिका का विमोचन कुलाधिपति ने किया।

समारोह में राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के प्रतिभाशाली मेधावियों को 45 पदक प्रदान किए, जिसमें 20 पदक छात्रों ने एवं 25 पदक छात्राओं ने हासिल किए। इसके साथ ही समारोह में कुल 110 उपाधियाँ प्रदान की गईं, जिसमें स्नातक स्तर पर 52 ,परास्नातक स्तर पर 55 तथा 03 शोध उपाधि प्रदान की गयीं। सभी 110 उपाधियां डिजिलॉकर में अपलोड कर दी गयीं।

इस अवसर पर समारोह में स्थानीय अतिथि, जनप्रतिनिधि, कार्य परिषद एवं विद्या परिषद के सदस्यगण, अधिकारी एवं शिक्षकगण तथा विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार/बृजनन्दन/राजेश

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