महाशिवरात्रि पर भगवान शिव ने वैराग्य छोड़ किया था गृहस्थ में प्रवेश
कासगंज, 07 मार्च (हि.स.)। महाशिवरात्रि पर्व शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव ने वैराग्य छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। ज्योतिर्लिंगों के प्रकाटोत्सव के रूप में यह पर्व मनाया जाता है। विधि विधान से भगवान शिव और पार्वती का पूजन-अर्चन करने पर श्रद्धालुओं को पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है।
तीर्थ नगरी सूकर क्षेत्र सोरों के ज्योतिषाचार्य डॉ. गौरव दीक्षित ने बताया कि धार्मिक पुराणों में महाशिवरात्रि को लेकर विभिन्न जानकारियां दी गई हैं। उनके अनुसार फाल्गुन मास की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। महाशिवरात्रि आठ मार्च शुक्रवार को मनाई जाएगी। महाशिवरात्रि चतुर्दशी के दिन मनाई जाती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस कारण महाशिवरात्रि को बहुत पवित्र पर्व माना जाता है। शिव पुराण के अनुसार एक बार सृष्टि के आरंभ में ब्रह्माजी और विष्णुजी के बीच श्रेष्ठता को लेकर विवाद हो गया। इस विवाद के दौरान एक अग्नि स्तंभ प्रकट हुआ और आकाशवाणी हुई कि जो भी इस स्तंभ के आदि और अंत को जान लेगा, वही ही श्रेष्ठ कहा जाएगा। ब्रह्मा और जगत के पालनहार विष्णु, दोनों ने युगों तक इस स्तंभ के आदि और अंत को जानने की कोशिश की, लेकिन वे इसे नहीं जान सके। तब भगवान विष्णु और ब्रह्मा ने अपनी हार स्वीकार करते हुए अग्नि स्तंभ से रहस्य बताने की भगवान शिव से विनती की। तब भगवान शिव ने कहा कि श्रेष्ठ तो आप दोनों ही हैं, लेकिन मैं आदि और अंत से परे हूं। इसके बाद विष्णु भगवान और ब्रह्मा ने उस अग्नि स्तंभ की पूजा अर्चना की और वो स्तंभ एक दिव्य ज्योतिर्लिंग में बदल गया। जिस दिन ये घटना घटी, उस दिन फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि थी। तब शिव ने कहा कि इस दिन जो भी व्यक्ति मेरा व्रत व पूजन करेगा, उसके सभी कष्ट दूर होंगे और सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। तभी से इस दिन को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाने लगा।
एक और पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही शिव द्वादश ज्योतिर्लिंग के रूप में संसार में प्रकट हुए थे। 12 ज्योतिर्लिंगों के प्रकट होने के उत्सव के रूप में भी महाशिवरात्रि मनाई जाती है। तीसरी कथा के अनुसार, फाल्गुन माह की चतुर्दशी को माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था। इस दिन शिवजी ने वैराग्य जीवन छोड़ गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया। शिव और शक्ति के मिलन के उत्सव के तौर पर महाशिवरात्रि के दिन भक्त पूजन और व्रत करके इस उत्सव को मनाते हैं।
इस मुहूर्त में करें भगवान शिव का पूजन
ज्योतिषाचार्य डॉ. गौरव दीक्षित ने बताया कि महाशिवरात्रि का पूजन निशिता काल में ही किया जाता है। प्रथम पहर पूजन समय आठ मार्च को शाम छह बजकर 25 मिनट से शुरू होगा और समापन रात नौ बजकर 28 मिनट को होगा। दूसरा पहर पूजन समय आठ मार्च को रात नौ बजकर 28 मिनट से शुरू होगा और समापन नौ मार्च को रात 12 बजकर 31 मिनट पर होगा। ज्योत्साचार्य का कहना है कि इन मुहूर्त में भगवान शिव की आराधना करने से अचूक पुण्य लाभ प्राप्त होगा।
हिन्दुस्थान समाचार/पुष्पेंद्र सोनी/राजेश
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