मैकाले के पुत्रों ने भारतीय संस्कृति के मान को क्षत विक्षत किया - डा. रवींद्र शुक्ल
झांसी, 5 अगस्त (हि.स.)। प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री डा. रवींद्र शुक्ल ने कहा कि लार्ड मैकाले के मानस पुत्रों ने भारतीय संस्कृति के मान बिंदुओं को क्षत विक्षत कर यहां के लोगों को जाति और वर्ण में बांटकर लड़ाने का काम किया। हमें अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए सचेत रहकर काम करना है।
बीयू के हिंदी विभाग में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र में पूर्व मंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि हमारे मस्तिष्क में गलत नैरेटिव भर दिए गए। स्वतंत्रता के बाद भारतीय लोगों को कुंए का मेढक बनाने का सुनियोजित प्रयास किया गया। लार्ड मैकाले ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को पंगु बनाने का काम किया। उसने संस्कृत शिक्षा और गुरुकुल पर प्रतिबंध लगा दिया। उसने ऐसा करके भारतीयों को उनकी जड़ों से काट दिया। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड के साहित्य को यदि निकाल दिया जाए तो साहित्य ठन-ठन गोपाल हो जाएगा। महाकवि भूषण की रचनाओं को पाठ्यक्रम से निकाले जाने की भी कड़ी आलोचना की। श्री शुक्ल ने श्रीरामचरित मानस के प्रचार और प्रसार में गोस्वामी तुलसीदास की भूमिका को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा कि यदि गोस्वामी जी न होते तो न जाने कितने लोग धर्मांतरण कर लेते। उन्होंने जगनिक, केशव, राय प्रवीण समेत विविध साहित्यकारों के साहित्य और उनके योगदान का जिक्र किया। मैथिली शरण गुप्त के प्रेस में प्रूफ रीडिंग का काम लंबे समय तक किया। इससे साहित्य उन्होंने जीवित साहित्यकारों पर भी पीएचडी करने की व्यवस्था बनवाने का आग्रह किया। उन्होंने अपनी रचना शत्रुघ्न चरित्र का भी उल्लेख किया।
इस कार्यक्रम में प्रो मुन्ना तिवारी को श्रीराम रत्न सम्मान से नवाजा गया। प्रो जेवी पाण्डेय ने सभी अतिथियों को सुंदरकांड की प्रति देकर सम्मानित किया। सभी अतिथियों को पुष्प गुच्छ और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में आए सभी अतिथियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। बाद में हिंदी विभाग के विद्यार्थियों ने रंगारंग कार्यक्रम भी पेश किया।
हिन्दुस्थान समाचार / महेश पटैरिया / शरद चंद्र बाजपेयी / राजेश
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