ग्राहक देखकर दाम तय करता प्लास्टिक के पैंट शर्ट का बाजार

ग्राहक देखकर दाम तय करता प्लास्टिक के पैंट शर्ट का बाजार
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ग्राहक देखकर दाम तय करता प्लास्टिक के पैंट शर्ट का बाजार


लखनऊ, 05 जुलाई(हि.स.)। बारिश के मौसम में प्लास्टिक के पैंट शर्ट (रेनकोट) के बाजार ने अचानक गति पकड़ ली है। लखनऊ में प्लास्टिक से बने रेनकोट की खरीदारी आरम्भ हो गयी है। बाजार में ग्राहक को देखकर दुकानदार दाम तय कर रहा है। वहीं ग्राहक भी अपने मनचाहे दाम में रेनकोट खरीदने पर जोर दे रहे हैं।

निशातगंज पुल के नीचे फुटपाथ पर लगने वाला बाजार इन दिनों प्लास्टिक के पैंट शर्ट का बड़ा बाजार बन चुका है। वहां दुकानों पर प्लास्टिक के पैंट शर्ट की जोरदार ढंग से खरीदारी हो रही है। विजय गारमेंट के नाम से दुकान चलाने वाले दुकानदार और उनके कर्मचारियों की मानें तो बारिश में ही प्लास्टिक के पैंट शर्ट की बिक्री होती है। वैसे तो ज्यादातर लोग पैंट शर्ट दोनों खरीदते है। कुछ लोग सिर्फ पैंट या शर्ट खरीदते हैं।

रेनकोट के होलसेल विक्रेता अमित के अनुसार जुलाई, अगस्त और सितम्बर तक ही प्लास्टिक की मांग रहती है। रेन कोट की मांग तो दो पहिया से चलने वाले लोग ही करते हैं। चार पहिया या पैदल चलने वाले लोगों को छाता ही पसंद आता है। दोपहिया से आने-जाने वाले लोगों को बारिश में समय बचाने के लिए प्लास्टिक से बने पैंट-शर्ट सुविधाजनक लगते हैं।

अमित ने आगे बताया कि प्लास्टिक के पैंट-शर्ट की कीमत बाजार तय करता है। बाजार में जैसा ग्राहक आता है, उसे देखकर वैसी कीमत तय कर दी जाती है। अभी एक ही ब्रांड की प्लास्टिक पैंट शर्ट को आठ सौ रुपये में भी बेचा गया है, वहीं छह सौ में भी बेच रहे हैं। साइकिल से आये एक व्यक्ति को उसके बेटे के लिए छोटे साइज का पैंट-शर्ट चाहिए था तो उसे पांच सौ वाली पैंट-शर्ट को तीन सौ में बेचा गया है।

निशातगंज की तरह ही डालीगंज बाजार में प्लास्टिक के पैंट-शर्ट की बिक्री हो रही है। वहां प्लास्टिक सेट बेचने वाले दुकानदारों की मानें तो पिछले वर्ष का सारा माल वापस कर दिया गया था। इस वर्ष पूरा नया माल ही बाजार में आया है। प्लास्टिक से बनने वाले पैंट-शर्ट की अलग-अलग क्वालिटी होती है। क्वालिटी के अनुसार दाम घटते और बढ़ते रहते हैं। ग्राहक को दुकानदार अपना मूल्य बताता है, बाद में ग्राहक के मन से ही बिक्री की जाती है।

डालीगंज बाजार में प्लास्टिक के पैंट-शर्ट की कीमत छह सौ रुपये से लेकर एक हजार रुपये तक है। बारिश तक ही इसकी बिक्री होनी है और अभी मांग ने जोर पकड़ा हुआ है। प्लास्टिक के पैंट शर्ट के अलावा प्लास्टिक की छोटी चादर, बडी चादर को भी मीटर के रेट से बेचा जाता है। इस चादर को तिरपाल भी कहते हैं और इसे दुकानों के ऊपर लगाया जाता है।

हिन्दुस्थान समाचार/ शरद/सियाराम

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