कुंज में विराजे द्वारिकाधीश भगवान, सोने-चांदी की पिचकारी से खेली होली, झूम उठे श्रद्धालु
मथुरा, 20 मार्च (हि.स.)। रंगभरनी एकादशी पर ठाकुर द्वारिकाधीश महाराज ने बुधवार कुंज में होली खेली। सोने-चांदी की पिचकारी से हुई रंगों की बरसात से श्रद्धालु झूम उठे। अबीर-गुलाल से मंदिर परिसर रंगीन हो गया। ठाकुरजी की भक्ति में श्रद्धालु रंग गए।
द्वारिकाधीश मंदिर में वसंत पंचमी से ही होली का आनंद छाया है। होलिकाष्टक लगते ही टेसू के फूलों के रंगों बरसात सोने-चांदी की पिचकारी से श्रद्धालुओं पर की जा रही है। रंगभरनी एकादशी पर बुधवार को राजभोग के दर्शन में सुबह 10 से 11 बजे तक ठाकुरजी होली खेलने के लिए कुंज में आए। सेवायतों ने अबीर-गुलाल और रंगों की बरसात की, तो श्रद्धालु भी मस्ती में डूब गए। होली के रसिया पर झूमने लगे। मंदिर परिसर में अबीर-गुलाल के बादल छा गए और रंगों की बरसात से श्रद्धालु तरबतर हो गए। होली के रसिया पर ऐसे झूमे, समय का पता ही नहीं चला। ठाकुरजी के दर्शन कर भक्त धन्य हो रहे थे। रंग और भक्ति की मस्ती की आनंद श्रद्धालुओं के सिर चढ़कर बोल रहा था।
मीडिया प्रभारी एड. राकेश तिवारी ने बताया कि भावनाओं के अनुरूप ठाकुर द्वारकाधीशजी महाराज होली खेलते हैं। 25 मार्च को ठाकुरजी बगीचे में विराजमान होकर होली खेलेंगे। दोपहर 1:30 बजे से 2:30 बजे तक ठाकुरजी बगीचे में विराजमान होकर होली खेलेंगे। शाम को साढ़े चार से पांच बजे तक भक्तों को दर्शन होंगे। मंदिर में प्रतिदिन चल रहे रसिया गायन में लोगों का उत्साह देखने को मिल रहा है और देश विदेश से आए तीर्थयात्री श्रद्धालु अपने परिवार के साथ नाच रहे हैं और ब्रज का आनंद ले रहे हैं। सब जग होरी या ब्रज होरा की परंपरा ब्रज मंडल में ही पूरी हो रही है क्योंकि ब्रज मंडल में ही होली प्रतिदिन देखने को मिलती है। बाकी सभी जगह होली केवल एक ही के दिन ही होती है। उन्होंने बताया कि ब्रज में ठाकुर जी ने विभिन्न लीलाएं की हैं और पुष्टिमार्गीय संप्रदाय में ठाकुर जी को लाड लड़ाने की परंपरा है। उसी के तहत यह सभी कार्यक्रम चल रहे हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/महेश/मोहित
हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्वाइन करने के लिये यहां क्लिक करें, साथ ही लेटेस्ट हिन्दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लिये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लिये यहां क्लिक करें।