लोस चुनाव : डुमरियागंज में तीसरी बार खिलेगा कमल या सरपट भागेगी साइकिल!

लोस चुनाव : डुमरियागंज में तीसरी बार खिलेगा कमल या सरपट भागेगी साइकिल!
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लोस चुनाव : डुमरियागंज में तीसरी बार खिलेगा कमल या सरपट भागेगी साइकिल!


लखनऊ, 22 मई (हि.स.)। डुमरियागंज लोकसभा सीट सिद्धार्थनगर जिले में आती है। भगवान बुद्ध के क्रीड़ास्थल और कपिलवस्तु में ननिहाल होने के कारण सिद्धार्थनगर जिला काफी अहमियत रखता है। इस जिले का नाम भी गौतम बुद्ध के बचपन के नाम 'सिद्धार्थ' के नाम पर रखा गया है। इस क्षेत्र का 'काला नमक' चावल पूरी दुनिया में मशहूर है। उप्र की संसदीय सीट संख्या 60 डुमरियागंज में छठे चरण के तहत 25 मई को मतदान होगा।

डुमरियागंज संसदीय सीट का इतिहास

इस सीट के सियासी इतिहास की बात करें, तो साल 1952 के पहले चुनाव में कांग्रेस ने यहां पर जीत दर्ज की थी। केशव देव मालवीय इस सीट पर सांसद बने थे। साल 1957 में डुमरियागंज को बस्ती-गोंडा लोकसभा क्षेत्र से अलग किया गया। इस साल हुए आम चुनाव में कांग्रेस के रामशंकर लाल ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद साल 1962 में जनसंघ के नारायण स्वरूप शर्मा ने कांग्रेस का विजयरथ रोक दिया और क्षेत्र से सांसद बने। अगले चुनाव में कांग्रेस ने फिर वापसी की और केशव देव मालवीय एक बार फिर संसद पहुंचे। साल 1977 के चुनाव में जनता पार्टी से माधव प्रसाद त्रिपाठी ने इस सीट पर बाजी मारी थी। 1980 और 84 का चुनाव कांग्रेस और 1989 में जनता दल के प्रत्याशी यहां से जीते। 1991 के चुनाव में इस सीट पर भाजपा का खाता खुला। रामपाल सिंह यहां से भाजपा के पहले सासंद बने थे। साल 1996 में सपा और 1998 व 1999 के चुनावमें भाजपा ने विजय पताका फहराई। 2004 में बसपा और 2009 में कांग्रेस को जीत हासिल हुई। 2014 और 2019 का चुनाव भाजपा की टिकट पर जगदम्बिका पाल ने जीता है। वो इस सीट एक बार कांग्रेस और बार भाजपा से लगातार चुनाव जीत कर हैट्रिक बना चुके हैं।

पिछले दो चुनावों का हाल

साल 2019 आम चुनाव में भाजपा उम्मीदवार जगदम्बिका पाल ने बसपा के आफताब आलम को 1 लाख 5 हजार 321 वोटों से हराया था। भाजपा उम्मीदवार को 492,253 (49.96%) वोट मिले थे, जबकि बसपा उम्मीदवार 385,932 (39.27%) वोट मिले थे। कांग्रेस के उम्मीदवार चन्द्रेश उर्फ चन्द्रेश कुमार उपाध्याय 60,549 (6.15%) वोट हासिल कर तीसरे स्थान पर रहे थे। ।

बात 2014 के चुनाव की कि जाए तो इस चुनाव में भाजपा के टिकट पर जगदम्बिका पाल मैदान में थे। उन्होंने चुनाव में बसपा प्रत्याशी मुहम्मद मुकीम को 1 लाख 3 हजार 588 मतों के अंतर से हराया था। पीस पार्टी के उम्मीदवार डॉ. अय्यूब तीसरे और कांग्रेस उम्मीदवार वंसुधरा तीसरे और चौथे स्थान पर रहे।

किस पार्टी ने किसको बनाया उम्मीदवार

भाजपा ने डुमरियागंज लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद जगदम्बिका पाल पर भरोसा जताया है। बसपा से मुहम्मद नदीम और सपा से भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी मैदान में ताल ठोक रहे हैं।

डुमरियागंज सीट का जातीय समीकरण

डुमरियागंज संसदीय सीट पर करीब 19 लाख वोटर हैं। इस क्षेत्र में पिछड़ा वर्ग के सर्वाधिक 40% मतदाता हैं। पिछड़ों के बाद 29.50% मुसलमान मतदाता हैं। 18% ब्राह्मण और इतने ही दलित मतदाता भी बताए जाते हैं। इस हिसाब से पिछड़ा वर्ग के मतदाता ही हार-जीत का फैसला करते हैं।

विधानसभा सीटों का हाल

डुमरियागंज लोकसभा सीट के तहत 5 विधानसभा सीटें शामिल है। इसमें शोहरतगढ़, कपिलवस्तु (सु0), बांसी, इटवा और डुमरियागंज सीट शामिल है। शोहरतगढ़ में अपना दल सोनेलाल, कपिलवस्तु और बांसी पर भाजपा का कब्जा है। शेष दो सीटें सपा के कब्जे में हैं।

जीत का गणित और चुनौतियां

भाजपा प्रत्याशी जगदंबिका पाल अबकी चुनाव में लगातार चौथी जीत हासिल कर डुमरियागंज सीट पर इतिहास बनाने को पसीना बहा रहे हैं। पिछले 15 साल के कार्यकाल में वह अपने खाते में कई उपलब्धियां गिनाते हैं। पाल को इस बार सपा गठबंधन प्रत्याशी भीष्मशंकर तिवारी उर्फ कुशल तिवारी से कड़ी टक्कर मिल रही है। पूर्वांचल के बाहुबली रहे हरिशंकर तिवारी के बड़े पुत्र भीष्मशंकर तिवारी उर्फ कुशल तिवारी पहली बार इस सीट से चुनाव मैदान में हैं। इससे पहले वह खलीलाबाद से सांसद रहे हैं। पूर्वांचल की राजनीति खासतौर पर ब्राह्मणों के हरिशंकर सिरमौर रहे हैं। कुशल, जगदंबिका के चक्रव्यूह को तोड़ने में जुटे हैं तो पाल अपने कौशल से चुनाव जीतने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।

सपा की रणनीति यह है कि वे ब्राह्मण, ओबीसी और मुसलमानों के बूते वह चुनाव पार कर लेंगे। वहीं भाजपा को भी ओबीसी, ब्राह्मण और दलितों पर भरोसा है कि वे उनका चक्रव्यूह नहीं टूटने देंगे। माना जाता है कि अति पिछड़ा वर्ग का रुझान जिस ओर होता है, परिणाम भी उसी दल के पक्ष में होता है। यही वजह है कि सभी पिछड़ा वर्ग पर नजर लगाए हुए हैं। बसपा प्रत्याशी ने यहां नया चेहरा मैदान में उतारा है। कुल मिलाकर डुमरियागंज सीट पर इस बार सीधा मुकाबला है। पाल और कुशल दोनों ही इस इलाके के लिए बड़ा नाम है इसलिए यह चुनाव दिलचस्प हो गया है।

राजनीतिक समीक्षक सुशील शुक्ल के अनुसार, डुमरियागंज में मुकाबला कड़ा जरूर है, लेकिन जगदम्बिका पाल को सर्वसमाज का वोट पिछले दो दशकों से मिल रहा है। योगी-मोदी सरकार के विकास कार्यों का फायदा भी उन्हें मिलेगा।

डुमरियागंज से कौन कब बना सांसद

1952 केशव देव मालवीय (कांग्रेस)

1957 राम शंकर लाल (कांग्रेस)

1962 कृपा शंकर (कांग्रेस)

1967 नारायण स्वरूप शर्मा (भारतीय जनसंघ)

1971 केशव देव मालवीय (कांग्रेस)

1977 माधव प्रसाद त्रिपाठी (भारतीय लोकदल)

1980 काजी जलील अब्बासी (कांग्रेस आई)

1984 काजी जलील अब्बासी (कांग्रेस)

1989 बृजभूषण तिवारी (जनता दल)

1991 राम पाल सिंह (भाजपा)

1996 बृजभूषण तिवारी (सपा)

1998 राम पाल सिंह (भाजपा)

1999 राम पाल सिंह (भाजपा)

2004 मोहम्मद मुकीम (बसपा)

2009 जगदम्बिका पाल (कांग्रेस)

2014 जगदम्बिका पाल (भाजपा)

2019 जगदम्बिका पाल (भाजपा)

हिन्दुस्थान समाचार/ डॉ. आशीष वशिष्ठ/मोहित

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