लोस चुनाव : चंदौली में कांग्रेस चौथे नंबर की पार्टी, वोट शेयर 58 से 3 फीसदी पर लुढ़का

लोस चुनाव : चंदौली में कांग्रेस चौथे नंबर की पार्टी, वोट शेयर 58 से 3 फीसदी पर लुढ़का
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लोस चुनाव : चंदौली में कांग्रेस चौथे नंबर की पार्टी, वोट शेयर 58 से 3 फीसदी पर लुढ़का


चंदौली, 29 मई (हि.स.)। पूर्वांचल की अहम चंदौली सीट पर किसी जमाने में कांग्रेस मजबूत स्थिति में हुआ करती थी। इस सीट पर अब तक हुए 16 चुनाव में 4 बार कांग्रेस ने जीत का परचम फहरा चुकी है। लेकिन पिछले 40 सालों में उसे जीत नसीब नहीं हुई। पिछले साढ़े छह दशकों में उसका वोट शेयर भी 58 फीसदी से लुढ़ककर 3 फीसदी पर पहुंच गया। बता दें, पिछले 6 चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अपनी जमानत बचा पाने में विफल रहे।

पहले दो चुनाव कांग्रेस ने जीते

चंदौली सीट पर पहला चुनाव 1957 को हुआ। इस चुनाव में कांग्रेस के त्रिभुवभन सिंह को विजय प्राप्त हुई। इसके बाद 1957 के चुनाव में कांग्रेस के बालकृष्ण सिंह ने कुर्सी पर कब्जा किया। चौथी लोकसभा के लिए 1967 में हुए चुनाव में कांग्रेस के विजय रथ को संयुक्त सोशलिस्ट पार्अी (एसएसपी) के निहाल सिंह ने रोक दिया। कांग्रेस प्रत्याशी त्रिभुवन सिंह को हार का सामना करना पड़ा।

1971 में जीत के साथ वापसी

पांचवीं लोकसभा के लिए वर्ष 1971 में हुए चुनाव में कांग्रेस के सुधाकर पाण्डेय ने जीत का परचम लहराया। लेकिन 1977 में कांग्रेस विरोधी लहर में चंदौली से भारतीय लोकदल (बीएलडी) के नरसिंह जीतकर दिल्ली पहुंचे।

1980 में हार और 1984 में मिली जीत

1977 में मिली करारी हार के बाद 1980 के चुनाव में भी वो हार से उबर नहीं पाई। इस चुनाव में जनता पार्टी के निहाल सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी उपेन्द्र प्रताप को परास्त किया। वहीं 1984 के चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर चन्दा त्रिपाठी ने जीत के साथ वापसी की। उनका मुकाबला इण्डियन कांग्रेस (जे) के निहाल सिंह से था।

चौथे स्थान पर लुढ़की कांग्रेस

1984 के चुनाव में मिली जीत के बाद हुए पांच चुनाव में कांग्रेस मुख्य दौड़ से बाहर रही। 1989 में कांग्रेस के राजेशपति त्रिपाठी दूसरे स्थान पर रहे। 1991, 96 और 98 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अपनी जमानत जब्त तक बचाने में विफल रहे। तीनों चुनावों में कांग्रेस चौथे स्थान पर रही। 13वीं लोकसभा के लिए 1999 के आम चुनाव में कांग्रेस ने चंदौली में अपना प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारा।

2004 में चौथे, 2009 में तीसरा नंबर

साल 2004 के आम चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी कैलाश सिंह 6.79 फीसदी वोट पाकर चौथे स्थान पर रहे। ये चुनाव बसपा के कैलाश नाथ सिंह यादव ने जीता। 2009 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी शैलेन्द्र कुमार 14.51 फीसदी वोट शेयर के साथ तीसरे स्थान पर रहे। चुनाव सपा के रामकिशुन यादव ने जीता।

पिछले दो चुनाव का हाल

2014 के चुनाव में कांग्रेस के तरूण पटेल चौथे स्थान पर रहे। तरूण को मात्र 2.77 फीसदी वोट हासिल हुए। कांग्रेस प्रत्याशी की जमानत जब्त हुइ। चुनाव भाजपा के डॉ. महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने जीता। 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी मेदान में उतारा ही नहीं।

2024 के चुनाव में कांग्रेस

18वीं लोकसभ के चुनाव में सपा-कांग्रेस का गठबंधन है। इंडी गठबंधन के सीट बंटवारे में चंदौली सीट सपा के खाते में है। इस सीट पर भाजपा ने मौजूदा सांसद डॉ0 महेन्द्र नाथ पाण्डेय को तीसरी बार मैदान में उतारा है। सपा से बीरेन्द्र सिंह और बसपा से सत्येन्द्र कुमार मौर्य मैदान में हैं। गौरतलब है चंदोली में भाजपा अब तक पांच बार जीत चुकी है। पिछले दस साल यहां कमल खिला हुआ है।

चुनाव वर्ष- वोट प्रतिशत-नतीजा

1957 - 57.87 - जीत

1962 - 37.00 - जीत

1967 - 31.13 - हार

1971 - 36.54 - जीत

1977 - 21.68 - हार

1980 - 27.76 - हार

1984 - 44.92 - जीत

1989 - 21.28 - हार

1991 - 10.49 - हार

1996 - 9.47 - हार

1998 - 3.66 - हार

1999 - चुनाव नहीं लड़ा।

2004 - 6.79 - हार

2009 - 14.51 - हार

2014 - 2.77 - हार

2019 - चुनाव नहीं लड़ा।

हिन्दुस्थान समाचार/डॉ.आशीष वशिष्ठ/राजेश

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