लोस चुनाव : बुनकरों का घर भदोही किसके लिए बिछाएगा सत्ता की कालीन!

लोस चुनाव : बुनकरों का घर भदोही किसके लिए बिछाएगा सत्ता की कालीन!
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लोस चुनाव : बुनकरों का घर भदोही किसके लिए बिछाएगा सत्ता की कालीन!


लखनऊ, 23 मई (हि.स.)। उप्र की भदोही लोकसभा सीट पूर्वांचल के महत्वपूर्ण सीटों में से एक है। इस जगह के नाम के बारे में बताया जाता है कि इसका नाम उस क्षेत्र के 'भार राज्य' पर पड़ा, जिसने भदोही को अपनी राजधानी बनाया। भदोही शहर कालीन निर्माण के लिए प्रसिद्ध है। भदोही को संत रविदास नगर के नाम से भी जाना जाता है। कालीन निर्माण और हस्तकला के मामले में यह शहर दुनियाभर में मशहूर है। भदोही को बुनकरों का घर कहा जाता है। यहां का भारतीय कालीन प्रौद्योगिकी संस्थान एशिया में अपनी तरह का एकमात्र संस्थान है। उप्र की संसदीय सीट संख्या 78 भदोही में छठे चरण के तहत 25 मई को मतदान होगा।

भदोही संसदीय सीट का इतिहास

भदोही लोकसभा 2009 में हुए परिसीमन के पहले मिर्जापुर-भदोही संसदीय क्षेत्र के नाम से जानी जाती थी। परिसीमन के बाद भदोही की तीन और प्रयागराज की दो विधानसभा क्षेत्र मिलाकर भदोही सीट का गठन किया गया। इस सीट पर पहली बार 2009 में हुए आम चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को जीत मिली। 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की। इसके बाद पिछले दो चुनाव से भाजपा का सिक्का जमा हुआ है।

पिछले दो चुनावों का हाल

साल 2019 में हुए संसदीय चुनाव में भदोही लोकसभा सीट से भाजपा को जीत मिली थी। भाजपा ने यहां से रमेश चन्द को खड़ा किया था। जवाब में बसपा ने रंगनाथ मिश्र को मैदान में उतारा। उप्र में सपा और बसपा के बीच चुनावी गठबंधन था और यहां से बसपा ने अपना उम्मीदवार उतारा। भाजपा प्रत्याशी को 510,029 (49.05 प्रतिशत) वोट मिले तो बसपा के खाते में 466,414 (44.85 प्रतिशत) वोट आए। चुनाव में मुकाबला कांटे का रहा और महज 43,615 मतों के अंतर से रमेश चन्द को जीत मिली। काग्रेस के रमाकान्त को 25,604 (2.46 प्रतिशत) हासिल कर तीसरे स्थान पर रहे।

इससे पहले 2014 के चुनाव में जब देश में मोदी लहर थी, तब भाजपा ने वीरेन्द्र सिंह मस्त को मैदान में उतारा तो बसपा ने राकेश धर त्रिपाठी को टिकट दिया था। सपा ने सीमा मिश्रा को मैदान में उतारा। चुनाव में तीनों ही उम्मीदवारों को 2-2 लाख से अधिक वोट हासिल हुए थे। हालांकि भाजपा के वीरेन्द्र सिंह ने 1 लाख 58 हजार 141 मतों के अंतर से चुनाव में जीत हासिल की और सांसद बने।

किस पार्टी ने किसको बनाया उम्मीदवार

भाजपा ने भदोही लोकसभा सीट से डा0 विनोद कुमार बिन्द को मैदान में उतारा है। समाजवादी पार्टी ने इंडी गठबंधन के तहत ये सीट तृणमूल कांग्रेस के लिए छोड़ी है। ऑल इण्डिया तृणमूल कॉग्रेस (एआईटीसी) की ओर से ललितेश पति त्रिपाठी मैदान में हैं। वहीं बसपा से हरिशंकर सिंह चौहान चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं।

भदोही सीट का जातीय समीकरण

भदोही संसदीय सीट पर तककरीब 20 लाख वोटर हैं। इस सीट पर ब्राह्मण वोट बैंक निर्णायक हैं। एक अनुमान के मुताबिक, इस सीट पर ब्राह्मण वोटर करीब 3 लाख 15 हजार हैं। वहीं, दूसरे स्थान पर बिंद वोटरों की संख्या 2 लाख 90 हजार के करीब है। इनके अलावा दलित वोटर 2 लाख 60 हजार, यादव 1 लाख 40 हजार, राजपूत एक लाख, मौर्य 95 हजार, पाल 85 हजार, वैश्य 1 लाख 40 हजार, पटेल 75 हजार, मुस्लिम करीब 2 लाख 50 हजार और अन्य वोटर करीब 1 लाख 50 हजार हैं।

विधानसभा सीटों का हाल

भदोही संसदीय सीट के तहत 5 विधानसभा सीटें आती हैं। इसमें भदोही जिले के ज्ञानपुर, औराई एवं भदोही और प्रयागराज जिले की प्रतापपुर एवं हण्डिया विधानसभा सीटें शामिल हैं। औराई सीट भाजपा और हण्डिया सीट निर्बल इंडियन शोषित हमारा दल (निषाद पार्टी) के विधायक हैं। शेष सीटों पर सपा काबिज है।

जीत का गणित और चुनौतियां

भाजपा के उम्मीदवार विनोद बिंद पेशे से डॉक्टर है। विनोद बिंद की बिंद समाज के साथ ब्राह्मण और अन्य वर्ग के वोटरों पर भी अच्छी पकड़ है। तृणमूल कांग्रेस के प्रत्याशी ललितेश पति त्रिपाठी पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी के परपोते हैं। 2021 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर टीएमसी ज्वाइन किया था। प्रचार अभियान में ललितेशपति त्रिपाठी ब्राह्मण, यादव और मुस्लिम मतदाताओं को साधने में जुटे हैं। उन्हें इस समीकरण के जरिए जीत की उम्मीद है। हालांकि ललितेश की कमजोरी यह है कि उनकी पार्टी और चुनाव चिह्न इस क्षेत्र में लोकप्रिय नहीं हैं। यह निर्वाचन क्षेत्र ब्राह्मण बहुल है और जेल में बंद नेता विजय मिश्रा कथित तौर पर टीएमसी उम्मीदवार को अपना समर्थन दे रहे हैं। भाजपा अपने कोर वोटरों साथ-साथ दलितों में भी सेंध लगाने की कोशिश कर रही है। भाजपा को दलितों का वोट मिलने की भी उम्मीद है, क्योंकि बसपा उम्मीदवार हरिशंकर दलितों के मन पर प्रभाव छोड़ने में कामयाब होते नहीं दिख रहे हैं।

राजनीतिक समीक्षक केपी त्रिपाठी के अनुसार, रुझान साफ तौर पर बताते हैं कि भदोही में जाति आधारित गोलबंदी ही चुनाव में जीत और हार की हकीकत बनी हुई है। पीएम मोदी की वाराणसी सीट से जुड़ी इस सीट पर मोदी-योगी की जोड़ी का प्रभाव दिखाई देता है।

भदोही से कौन कब बना सांसद

2009 गोरखनाथ (बसपा)

2014 वीरेन्द्र सिंह मस्त (भाजपा)

2019 रमेश चंद (भाजपा)

हिन्दुस्थान समाचार/ डॉ. आशीष वशिष्ठ/राजेश

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