लोस चुनाव : महर्षि वशिष्ठ की धरती बस्ती से किसे मिलेगा जीत का आशीष!

लोस चुनाव : महर्षि वशिष्ठ की धरती बस्ती से किसे मिलेगा जीत का आशीष!
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लोस चुनाव : महर्षि वशिष्ठ की धरती बस्ती से किसे मिलेगा जीत का आशीष!


लखनऊ, 22 मई (हि.स.)। पूर्वांचल के अहम जिलों में शुमार किए जाने वाले बस्ती जिले के बारे में कहा जाता है कि भगवान राम अपने भाई लक्ष्मण से साथ महर्षि वशिष्ठ के साथ कुछ समय यहां पर रहे थे। बाद में इस जगह का नाम बस्ती पड़ गया। प्राचीन काल में बस्ती के आसपास का इलाका कौशल देश का हिस्सा हुआ करता था। यह क्षेत्र हिंदी के महान साहित्यकार राम चंद्र शुक्ल की धरती की वजह से भी जाना जाता है। उप्र की संसदीय सीट संख्या 61 बस्ती में छठे चरण के तहत 25 मई को मतदान होगा।

बस्ती संसदीय सीट का इतिहास

इस सीट पर कांग्रेस की सबसे ज्यादा सात बार जीत हुई है। जबकि भारतीय जनता पार्टी को छह बार जीत मिली है। बस्ती लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी (सपा) का अब तक खाता तक नहीं खुल सका है, जबकि 1990 के बाद से यहां पर जीत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के बीच में ही रही है। कांग्रेस को 40 साल से जीत का इंतजार है। इस बार भाजपा के पास जीत की हैट्रिक लगाने का मौका है।

बस्ती लोकसभा सीट पर पहली बार साल 1952 आम चुनाव में वोटिंग हुई थी। उस चुनाव में कांग्रेस के उदय शंकर दुबे ने जीत हासिल की थी। 1952 से लेकर 1971 तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा। आपातकाल के बाद हुए साल 1977 आम चुनाव में जनता पार्टी के टिकट पर शिव नारायण सांसद चुने गए। लेकिन साल 1980 ओर 1984 का चुनाव कांग्रेस ने जीता। साल 1989 लोकसभा चुनाव में जनता दल के टिकट पर कल्पनाथ सोनकर सांसद चुने गए। भाजपा को बस्ती लोकसभा सीट पर श्याम लाल कमल ने पहली बार साल 1991 आम चुनाव में जीत का कमल खिलाया। इसके बाद भाजपा प्रत्याशी श्रीराम चौहान ने 1996, 1998 और 1999 के आम चुनाव में लगातार जीत की हैट्रिक लगाई। श्रीराम चौहान के अलावा कोई दूसरा जीत की हैट्रिक अब तक नहीं लगा पाया।

साल 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा के लाल मणि प्रसाद और अरविंद कुमार चौधरी यहां से सांसद चुने गए। साल 2014 आम चुनाव में भाजपा के हरीश द्विवेदी ने जीत दर्ज की। हरीश द्विवेदी ने साल 2019 आम चुनाव में भी सांसद चुने गए।

पिछले दो चुनावों का हाल

साल 2019 आम चुनाव में भाजपा उम्मीदवार हरीश द्विवेदी ने बसपा के राम प्रसाद चौधरी को 30 हजार 354 वोटों से हराया था। भाजपा उम्मीदवार को 471,163 (44.65 प्रतिशत) वोट मिले थे, जबकि बसपा उम्मीदवार 440,808 (41.77 प्रतिशत) वोट मिले थे। कांग्रेस के उम्मीदवार राज किशोर सिंह को 86,920 (8.24 प्रतिशत) वोट हासिल हुए थे।

बात 2014 के चुनाव की कि जाए तो इस चुनाव में भाजपा के टिकट पर हरीश द्विवेदी मैदान में थे। उन्होंने चुनाव में सपा प्रत्याशी बृज किशोर सिंह को 73 हजार 933 मतों के अंतर से हराया था। सपा के राम प्रसाद चौधरी तीसरे और कांग्रेस के अम्बिका सिंह चौथे स्थान पर रहे थे।

किस पार्टी ने किसको बनाया उम्मीदवार

भाजपा ने बस्ती लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद हरीश द्विवेदी को उम्मीदवार बनाया है। वो पिछले 10 साल से सांसद हैं। जबकि सपा ने राम प्रसाद चौधरी को मैदान में उतारा है। उधर, बसपा ने लवकुश पटेल को मैदान में उतारा है।

बस्ती सीट का जातीय समीकरण

जातीय बुनावट के आधार पर देखें तो यहां 18 लाख मतदाताओं में अकेले दलित वोटर 4 लाख 23 हजार से अधिक हैं, जबकि ओबीसी मतदाताओं की तादाद सात लाख तक पहुंचती है। जनरल वोटरों की तादाद 4 से सवा 4 लाख के बीच बतायी जाती है। अन्य जातियों के मतदाताओं की तादाद भी डेढ़ लाख के आसपास दावा किया जाता है।

विधानसभा सीटों का हाल

बस्ती लोकसभा सीट के तहत 5 विधानसभा सीटें शामिल है। इसमें हर्रैया, कप्तानगंज, रुधौली, बस्ती सदर और महादेवा विधानसभा सीटें शामिल हैं। हर्रेया और महादेवा सीट पर क्रमश: भाजपा और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) का कब्जा है। बाकी तीन सीटों पर सपा काबिज है। एसबीएसपी एनडीए का हिस्सा है।

जीत का गणित और चुनौतियां

एक तरफ जहां बीजेपी के दो बार के सांसद चुनाव मैदान में है तो दूसरी तरफ पूर्व मंत्री रहे राम प्रसाद चौधरी गठबंधन से चुनाव लड़ रहे तो वहीं अब बसपा ने गठबंधन प्रत्याशी राम प्रसाद चौधरी के ही भतीजे लवकुश पटेल को टिकट देकर अच्छे-अच्छे रणनीतिकारों का खेल बिगाड़ दिया है। बसपा प्रत्याशी लवकुश पटेल तीन बार के विधायक स्वर्गीय नंदू चौधरी के बेटे हैं। राम प्रसाद चौधरी कुर्मी समाज के बड़े नेता माने जाते हैं। बसपा से लवकुश पटेल के मैदान में आने से कुर्मी वोट बैंक बंट सकता है, जिसका सीधा फायदा भाजपा प्रत्याशी हरीश द्विवेदी को मिल सकता है।

राजनीतिक समीक्षक तारकेश्वर मिश्र के अनुसार, जातीय समीकरणों और गुणा गणित के हिसाब से भाजपा प्रत्याशी का पलड़ा भारी है। बसपा प्रत्याशी जितना सपा के वोट में सेंधमारी करेगा उतना भाजपा जीत के करीब पहुंचेगी। सपा अगर अपने वोटों में बिखराव रोक पाई तो तब नतीजा बदल भी सकता है।

बस्ती से कौन कब बना सांसद

1952 उदय शंकर दुबे (कांग्रेस)

1957 राम गरीब (निर्दलीय)

1962 केशव देव मालवीय (कांग्रेस)

1967 शिव नारायण (कांग्रेस)

1971 अनन्त प्रसाद धुसिया (कांग्रेस)

1977 शिव नारायण (भारतीय लोकदल)

1980 कल्पनाथ सोनकर (कांग्रेस आई)

1984 राम अवध प्रसाद (कांग्रेस)

1989 कल्पनाथ सोनकर (जनता दल)

1991 श्याम लाल कमल (भाजपा)

1996 श्रीराम चरण (भाजपा)

1998 श्रीराम चौहान (भाजपा)

1999 श्रीराम चौहान (भाजपा)

2004 लाल मणि प्रसाद (बसपा)

2009 अरविन्द कुमार चौधरी (बसपा)

2014 हरीश चन्द्र द्विवेदी (भाजपा)

2019 हरीश चन्द्र द्विवेदी (भाजपा)

हिन्दुस्थान समाचार/ डॉ. आशीष वशिष्ठ/राजेश

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