लोस चुनाव : अम्बेडकर नगर में कमल और साइकिल आमने-सामने, हाथी की चाल सुस्त

लोस चुनाव : अम्बेडकर नगर में कमल और साइकिल आमने-सामने, हाथी की चाल सुस्त
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लोस चुनाव : अम्बेडकर नगर में कमल और साइकिल आमने-सामने, हाथी की चाल सुस्त


लखनऊ, 22 मई (हि.स.)। अम्बेडकर नगर की पहचान पूर्वांचल के गांधी के रूप में मशहूर जयराम वर्मा और समाजवाद के पुरोधा डॉ.राम मनोहर लोहिया की जन्मस्थली के रूप में भी है। तमसा नदी के किनारे यहां श्रवण धाम है। इस लोकसभा सीट की पहचान कपड़ा बुनाई को लेकर भी है। यहां बना टेरीकाट कपड़ा और आराफाती गमच्छा विदेशों तक जाता है। यह सीट 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई, इससे पहले इस सीट का नाम अकबरपुर संसदीय सीट हुआ करता था। उप्र की संसदीय सीट संख्या 55 अम्बेडकर नगर में छठे चरण के तहत 25 मई को मतदान होगा।

अम्बेडकर नगर संसदीय सीट का इतिहास

अम्बेडकर नगर संसदीय सीट का राजनीतिक इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है। अम्बेडकर नगर लोकसभा सीट पहले अकबरपुर संसदीय सीट हुआ करती थी। इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए आम चुनाव में वोटों के लिहाज से अकबरपुर संसदीय सीट पर एक रिकार्ड बना था। चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ हर ओर माहौल बना हुआ था। यहां पर इसका असर दिखा। भारतीय लोकदल (बीएलडी) के उम्मीदवार मंगलदेव विशारद को अकेले 78.03 फीसदी वोट मिले और उन्होंने 2 लाख 11 हजार 826 मतों के अंतर से चुनाव जीता था। जो आज तक रिकॉर्ड है। अकबरपुर सुरक्षित सीट से बसपा सुप्रीमो मायावती 1998, 1999 और 2004 चुनाव जीत चुकी हैं।

परिसीमन के बाद 2009 में अकबरपुर सुरक्षित सीट से लोकसभा सामान्य सीट अम्बेडकरनगर हुई। साल 2009 में अम्बेडकर नगर सीट पर हुए पहले चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर राकेश पाण्डेय यहां से जीते। हालांकि 2014 के चुनाव में देश में मोदी लहर का असर दिखा और यह सीट भी भाारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खाते में आ गई। 2019 के चुनाव में राकेश पांडेय के छोटे बेटे और बसपा प्रत्याशी रितेश पाण्डेय मैदान में उतरे थे। उन्होंने भाजपा के मुकुट बिहारी को शिकस्त देकर कुर्सी पर कब्जा जमाया। इस सीट पर अब तक कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) का खाता नहीं खुला है।

पिछले दो चुनावों का हाल

2019 के लोकसभा चुनाव में अंबेडकर नगर संसदीय सीट के परिणाम को देखें तो यहां पर मुख्य मुकाबला भाजपा और बसपा के बीच था। चुनाव से पहले सपा और बसपा के बीच गठबंधन हुआ था जिसमें यह सीट बसपा के हाथ लगी। भाजपा के मुकुट बिहारी और बसपा के रितेश पांडेय के बीच कड़ा मुकाबला रहा। मुकुट बिहारी को 468,238 (42.93 प्रतिशत) वोट मिले तो रितेश पांडेय 564,118 (51.72 प्रतिशत) वोट मिले। बसपा के उम्मीदवार रितेश पांडेय ने यह मुकाबला 95,880 मतों के अंतर से जीत लिया। तब के चुनाव में कुल 10,90,152 (63.2 प्रतिशत) वोटर्स ने वोट डाले।

बात 2014 के चुनाव की कि जाए तो इस चुनाव में भाजपा के टिकट पर हरिओम पांडे मैदान में थे। उन्होंने चुनाव में बसपा प्रत्याशी और सांसद राकेश पांडेय को 1 लाख 39 हजार 429 मतों के अंतर से हराया था। सपा के राम मूर्ति वर्मा तीसरे और कांग्रेस के अशोकर सिंह चौथे स्थान पर रहे थे।

किस पार्टी ने किसको बनाया उम्मीदवार

भाजपा ने रितेश पाण्डेय को मैदान में उतारा है। रितेश यहां के मौजूदा सांसद हैं। चुनाव के समय वो बसपा छोड़कर भाजपा में आए हैं। बसपा कमर हयात और सपा से लालजी वर्मा मैदान में हैं।

अम्बेडकर नगर सीट का जातीय समीकरण

अम्बेडकर नगर लोकसभा सीट पर तकरीबन 18 लाख 50 हजार से अधिक मतदाता हैं। जातीय आंकड़ों की बात करें तो इस सीट पर तकरीबन 4 लाख दलित मतदाता, तीन लाख 70 हजार मुस्लिम, 1 लाख 78 हजार से अधिक कुर्मी, 1 लाख 70 हजार यादव, लगभग 1 लाख 35 हजार ब्राह्मण, एक लाख के करीब ठाकुर मतदाता हैं। शेष अन्य जाति के मतदाता हैं।

विधानसभा सीटों का हाल

अम्बेडकर नगर लोकसभा सीट के तहत 5 विधानसभा सीटें शामिल है। जिसमें कटेहरी, टांडा, आलापुर, जलालपुर और अकबरपुर सीट शामिल है। सभी सीटों पर सपा का कब्जा है।

जीत का गणित और चुनौतियां

इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा ने रितेश पांडे को अपना उम्मीदवार बनाया है। बसपा से जीतने वाले रितेश इस बार पाला बदलकर भाजपा से मैदान में हैं। भाजपा प्रत्याशी को अंदरूनी गुटबाजी और नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। सपा ने छह बार के विधायक लालजी वर्मा को अपना उम्मीदवार बनाकर पिछड़ों की राजनीति साधने का प्रयास किया। इस बार सपा ने पूरे चुनाव को ही अगड़ा बनाम पिछड़ा कर दिया है। इस चुनाव में ठाकुर मतदाताओं की चुप्पी भाजपा के लिए मुसीबत बन गई है। अब तक इस सीट पर सिर्फ ब्राह्मण प्रत्याशी का ही कब्जा रहा है, ऐसे में भाजपा प्रत्याशी रितेश पाण्डेय के सामने जहां इतिहास बचाने की चुनौती है, वहीं, सपा प्रत्याशी लालजी वर्मा के इतिहास बनाने की चुनौती है। बसपा इस बार चुनाव में निष्क्रिय है और एक ऐसे मुस्लिम चेहरे को अपना उम्मीदवार बनाया है जो एक दम अनजान है। हालांकि बसपा ने अकेले मैदान में उतरकर लड़ाई को त्रिकोणीय बना दिया है।

राजनीतिक समीक्षक डॉ.ओ0पी0 त्रिपाठी के अनुसार, इस बार यहां सीधा मुकाबला भाजपा और सपा के बीच है। मोदी-योगी सरकार के विकास कार्यों और राम मंदिर का असर क्षेत्र में साफ तौर पर दिखता है। हालांकि किसी की जीत को लेकर दावा करना मुश्किल है।

अम्बेडकर नगर से कौन कब बना सांसद

2009 राकेश पाण्डेय (बसपा)

2014 हरि ओम पाण्डेय (भाजपा)

2019 रितेश पाण्डेय (भाजपा)

हिन्दुस्थान समाचार/ डॉ. आशीष वशिष्ठ/राजेश

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