लोस चुनाव : ताला नगरी अलीगढ़ में किसकी किस्मत का ताला खुलेगा
लखनऊ,07 अप्रैल (हि.स.)। ताला-तालीम के लिए पहचान रखने वाला अलीगढ़ राजनीति में भी उतना ही विख्यात है। यह शहर अपनी प्राचीन विरासत के लिए भी जाना जाता है। बताया जाता है कि 18वीं सदी में शिया कमांडर नजाफ खान ने कोल क्षेत्र पर कब्जा जमा लिया, और इसे अलीगढ़ का वर्तमान नाम दिया। भले ही इस क्षेत्र को मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र माना जाता हो, लेकिन 1957 के बाद से आज तक यहां से एक भी मुस्लिम उम्मीदवार विजयी नहीं हुआ है। फिलहाल अलीगढ़ संसदीय सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कब्जा है। साल 2024 के चुनाव में भाजपा की नजर यहां पर चुनावी जीत की हैट्रिक लगाने पर होगी। इस सीट पर दूसरे चरण में 26 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे।
अलीगढ़ लोकसभा सीट का इतिहास
1952 और 1957 के चुनाव में अलीगढ़ डबल सीट थी और यहां से दो सांसद चुने जाते थे। पहले दो चुनावों में कांग्रेस ने यहां जीत दर्ज की। लेकिन इसके बाद के चुनावों में गैर कांग्रेसी दलों ने यहां जीत दर्ज की। कांग्रेस की वापसी यहां 1984 में दोबारा हुई, लेकिन 1989 में जनता दल ने इस सीट पर कब्जा किया। इसके बाद ये सीट भाजपा के अभेद्द किले के रूप में बदल गई। 1991 से लेकर 1999 तक हुए 4 चुनावों में भाजपा की शीला गौतम का इस सीट पर कब्जा रहा। इसके बाद 2004 में कांग्रेस और 2009 में बसपा ने इस सीट को जीता लेकिन 2014 और 2019 में भाजपा से सतीश गौतम ने इस सीट पर कमल खिलाया। आजादी के बाद से अब तक हुए 17 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने छह, कांग्रेस ने चार, बसपा ने एक बार जीत हासिल की है। सपा खाता नहीं खोल सकी है।
2019 आम चुनाव के नतीजे
2019 के चुनाव में अलीगढ़ संसदीय सीट को देखें तो यहां पर भारतीय जनता पार्टी के सतीश कुमार गौतम ने बाजी मारी थी। भाजपा प्रत्याशी ने 656,215 (56.38 फीसदी) वोट हासिल कर बसपा के डॉ.अजित बालियान को हराया था। डॉ.बलियान को 426,954 (36.68 फीसदी) वोट मिले थे। भाजपा ने यह चुनाव 229,261 मतों के अंतर से जीता था। चुनाव में कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह चौधरी तीसरे स्थान पर रहे थे और उन्हें 50,880 (4.37 फीसदी) वोट मिले।
किस पार्टी ने किसको बनाया उम्मीदवार
भाजपा ने तीसरी बार सांसद सतीश गौतम पर दांव खेला है। सपा-कांग्रेस गठबंधन में ये सीट सपा के खाते में है। सपा ने पूर्व सांसद चौधरी बिजेंद्र सिंह रण में उतारा है। बसपा ने हितेंद्र कुमार उर्फ बंटी उपाध्याय को प्रत्याशी बनाया है।
अलीगढ़ सीट का जातीय समीकरण
अलीगढ़ लोकसभा उत्तर प्रदेश की सीट नंबर-15 है। इस सीट पर 27 लाख 59 हजार 215 वोटर हैं। जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 14 लाख 70 हज़ार 644 है, जबकि महिला वोटरों की संख्या 12 लाख 88 हजार 435 है। वहीं ट्रांस जेंडर वोटरों की संख्या 163 है। जातीय समीकरण के लिहाज से अलीगढ़ में 3 लाख मुस्लिम, ढाई लाख जाट, डेढ़ लाख ब्राह्मण मतदाता हैं। दो लाख जाटव, डेढ़ लाख ठाकुर-राजपूत, एक एक लाख वैश्य-बघेल, यादव और लोध हैं। अन्य जातियां लगभग 4.5 लाख की संख्या में है।
विधानसभा सीटों का हाल
अलीगढ़ लोकसभा सीट में कुल पांच विधानसभा सीटें आती हैं। ये सीटें खैर, बरौली, अतरौली, कोल और अलीगढ़ हैं। पांचों सीटों पर भाजपा का कब्जा है।
दलों की जीत का गणित और चुनौतियां
अलीगढ़ नगर लोकसभा उत्तर प्रदेश की सीट नंबर-15 है। यहां की राजनीति में पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह 'बाबूजी' का अध्याय अमिट है। उनके बिना यह पहला लोकसभा चुनाव है। भाजपा उनके प्रभाव से खुद को मजबूत मान रही है। बसपा के साथ सपा ने यहां मुस्मिल प्रत्याशी की बजाय हिंदू चेहरों पर दांव खेला है। बसपा का कैडर वोट है। इंडी गठबंधन की उम्मीदें जाट और मुस्लिम वोटरों पर टिकी हैं।
राजनीतिक विशलेषक प्रवीण कुमार के अनुसार, पिछले चुनाव में सपा, बसपा और रालोद साथ थे। इस बार रालोद और बसपा अलग हैं। विरोधी दल मजबूत होने के बजाय कमजोर हुआ है। पिछले चुनाव में विपक्ष को मिले वोट को जोड़ा दिया जाए तब भी भाजपा को मिले वोट के बराबर नहीं बैठता। भाजपा को टक्कर देने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ेगी। लोग मोदी के नाम पर वोट देंगे।
अलीगढ़ से कौन कब बना सांसद
1952 नरदेव स्नातक/ श्रीचंद सिंघल (कांग्रेस)
1957 नरदेव स्नातक / जमाल ख्वाजा (कांग्रेस)
1962 बी.पी. मौर्य (कांग्रेस)
1967 शिव कुमार शास्त्री (निर्दल)
1971 शिव कुमार शास्त्री (भारतीय क्रांति दल)
1977 नवाब सिंह चौहान (भारतीय लोक दल)
1980 इन्द्रा कुमारी (जनता पार्टी सेक्युलर)
1984 ऊषा रानी (कांग्रेस)
1989 सत्यपाल मलिक (जनता दल)
1991 शीला देवी गौतम (भाजपा)
1996 शीला देवी गौतम (भाजपा)
1998 शीला देवी गौतम (भाजपा)
1999 शीला देवी गौतम (भाजपा)
2004 बिजेन्द्र सिंह (कांग्रेस)
2009 राजकुमारी चौहान (बसपा)
2014 सतीश कुमार गौतम (भाजपा)
2019 सतीश कुमार गौतम (भाजपा)
हिन्दुस्थान समाचार/ डॉ. आशीष वशिष्ठ/राजेश
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