हमीरपुर लोकसभा : कांग्रेस ने छह बार संसदीय सीट पर किया था कब्जा
इस बार होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा तोड़ सकती है रिकार्ड
हमीरपुर, 10 मार्च (हि.स.)। हमीरपुर-महोबा-तिंदवारी की संसदीय सीट पर अब तक कांग्रेस छह बार कब्जा कर चुकी है, लेकिन इस बार होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा इस रिकार्ड को तोड़ सकती है। अठाहरवीं लोकसभा के चुनाव को लेकर फिलहाल कांग्रेस और भाजपा समेत अन्य प्रमुख दलों ने तैयारियां शुरू कर दी है।
हमीरपुर, महोबा, तिंदवारी लोकसभा क्षेत्र में साढ़े सत्रह लाख से अधिक मतदाता है। इनमें पिछड़ी और क्षत्रिय ब्राह्मण मतदाता की एकजुटता से चुनाव के समीकरण उम्मीदवारों के गड़बड़ा जाते हैं। जातीय मतों पर नजर डालें तो 28 फीसदी दलित, मुस्लिम नौ फीसदी, ब्राह्मण 14 फीसदी, यादव, लोधी, कुशवाहा सात-सात फीसदी व 13 फीसदी क्षत्रिय के अलावा अन्य बिरादरी के मत हैं।
संसदीय क्षेत्र में शुरू से अब तक हुए आम चुनाव के नतीजे पर नजर डालें तो यहां की सीट पर कांग्रेस ने लगातार हैट्रिक लगायी है। वर्ष 1952 के लोकसभा चुनाव में एलएल द्विवेदी ने जीत का परचम फहराया था। उन्हें उस जमाने में 32.7 प्रतिशत वोट मिले थे। एमएल द्विवेदी वर्ष 19957 के लोकसभा चुनाव दोबारा सांसद बने थे। उन्हें 28.6 फीसदी मत मिले थे। वर्ष 1962 के लोकसभा चुनाव में एमएल द्विवेदी ने तीसरी बार कांग्रेस का मान रखते हुये जीत का परचम फहराया था। उन्हें 47.9 फीसदी वोट मिले थे। वर्ष 1967 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनसंघ पार्टी ने यहां की सीट पर कब्जा कर संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस को बाहर कर दिया था। भाजसं प्रत्याशी स्वामी ब्रह्मानंद को 54.1 फीसदी मत मिले। वर्ष 1971 के लोकसभा चुनाव में स्वामी ब्रह्मानंद ने भारतीय जनसंघ पार्टी छोड़ कांग्रेस के टिकट से अपनी किस्मत आजमायी औैर दोबारा जीत कर वह लोकसभा पहुंचे। उन्हें 52.0 प्रतिशत मत मिले।
वर्ष 1977 के आम चुनाव में बीएलडी के प्रत्याशी तेज प्रताप सिंह ने पहली बार हमीरपुर संसदीय सीट पर जीत का परचम फहराया। उन्होंने सर्वाधिक 54.1 प्रतिशत मत हासिल किये। वर्ष 1980 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर बाजी मारी। कांग्रेस प्रत्याशी डूंगर सिंह ने 44.2 प्रतिशत मत पाये। वर्ष 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने दोबारा सीट पर कब्जा जमाया। कांग्रेस उम्मीदवार स्वामी प्रसाद सिंह ने जातीय समीकरणों के कारण 52.6 फीसदी मत हासिल किये।
वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव पहली बार जनता दल ने हमीरपुर महोबा संसदीय सीट पर कब्जा किया। जनता दल प्रत्याशी गंगाचरण राजपूत ने 42.9 प्रतिशत मत हासिल किये। अयोध्या में रामजन्म भूमि के मुद्दे पर भाजपा की पूरे देश में लहर चली और 1991 के लोकसभा चुनाव में पंडित विश्वनाथ शर्मा ने भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ा और 24.5 फीसदी मत हासिल कर यहां की सीट पर जीत दर्ज करायी। वर्ष 1996 के आम चुनाव में जनता दल छोड़ भाजपा में आये गंगाचरण राजपूत ने भारी मतों से जीत दर्ज करायी। भाजपा प्रत्याशी को 39.72 प्रतिशत मत मिले। वर्ष 1998 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने तीसरी बार सीट पर कब्जा किया।
भाजपा प्रत्याशी गंगाचरण राजपूत को 35.1 प्रतिशत मत मिले। वर्ष 1999 के लोकसभा चुनाव में पहली बार बसपा ने जातीय समीकरणों के उलटफेर से यहां की सीट पर जीत का परचम फहराया। बसपा प्रत्याशी अशोक सिंह चंदेल ने 34.99 प्रतिशत मत पाये। वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में पहली बार समाजवादी पार्टी ने हमीरपुर-महोबा संसदीय सीट पर कब्जा किया। सपा प्रत्याशी राजनारायण बुधौलिया ने 36.5 प्रतिशत मत हासिल किये। 2009 में बसपा से विजय बहादुर सिंह तथा 2014 में भाजपा से पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल चुने गये। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी की लहर पूरे देश में चली जिसमें भी दल इधर उधर बिखर गये। पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल, भाजपा के टिकट से पहली बार चुनाव लड़े और कांग्रेस प्रत्याशी सिद्ध गोपाल साहू को कड़ी चुनौती देते हुये जीत का परचम फहराया। उन्हें 453884 मत मिले जबकि सपा प्रत्याशी विशम्भर प्रसाद निषाद को 187096 मत मिले। 176356 मत पाकर तीसरे स्थान पर रही जबकि कांग्रेस 78229 मत पाकर चौथे स्थान पर चली गयी।
संसदीय क्षेत्र में भाजपा ध्वस्त कर चुकी है कांग्रेस का मजबूत गढ़
वर्ष 1952 से लेकर 1962 तक हमीरपुर महोबा संसदीय सीट पर लगातार कांग्रेस का कब्जा रहा है लेकिन 1991 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस के मजबूत गढ़ को ध्वस्त कर यहां की सीट पर कब्जा कर लिया था। वर्ष 1991 से लेकर 1998 तक भाजपा लगातार सीट पर काबिज रही है। कांग्रेस की तरह भाजपा ने भी हैट्रिक लगायी है। संसदीय सीट के शुरू से लेकर अब तक हुये चुनावों की नतीजों पर नजर डाले तो कांग्रेस के खाते में छह बार यहां की सीट गयी है जबकि भाजपा ने पांच बार जीत दर्ज करायी है।
आठ बार चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे पिछड़ी जाति के प्रत्याशी
इस संसदीय क्षेत्र में सर्वाधिक आठ बार पिछड़ी जाति के प्रत्याशी चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं, वहीं आठ बार सवर्ण जाति के प्रत्याशी भी संसदीय सीट पर विजयश्री हासिल कर चुके हैं। वर्ष 1952 से लेकर 1962 तक एमएल द्विवेदी कांग्रेस से लोकसभा सदस्य रहे हैं, जबकि 1991 में विश्वनाथ शर्मा भाजपा के टिकट से सांसद बने थे। 1999 के लोकसभा चुनाव में अशोक सिंह चंदेल बसपा से चुने गये थे वहीं 2004 में सपा से राजनारायण बुधौलिया, 2009 में बसपा से विजय बहादुर सिंह तथा 2014 में भाजपा से पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल चुने गये।
हिन्दुस्थान समाचार/पंकज/राजेश
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