स्थानीय निकाय भी बनेंगे 1 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी के लक्ष्य के सहभागी

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स्थानीय निकाय भी बनेंगे 1 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी के लक्ष्य के सहभागी


-शहरी स्थानीय निकायों को आत्मनिर्भर बनाने और उनकी आय में वृद्धि के लिए योगी सरकार कर रही प्रयास

लखनऊ, 5 जुलाई (हि. स.)। स्थानीय निकायों को आत्मनिर्भर बनाने और उनकी आय में वृद्धि के लिए योगी सरकार लगातार प्रयास कर रही है। सरकार की मंशा है कि सभी शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) के इंफ्रास्ट्रक्चर और सेवाओं में वृहद पैमाने पर निवेश कर उन्हें सुदृढ़ बनाया जाए और इस तरह विकसित किया जाए कि ये आय का बेहतर स्रोत भी बन सकें। इसके माध्यम से न सिर्फ नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों की आय में वृद्धि हो सकेगी, बल्कि ये वन ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी के संकल्प को पूरा करने में अपनी भूमिका का भी निर्वहन कर सकें।

38 परियोजनाओं का किया जाएगा चयन

राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि इसके तहत अर्बन लोकल बॉडीज द्वारा चरणबद्ध तरीके से कुल 38 परियोजनाओं का चयन किया जाएगा। जिन इंफ्रास्ट्रक्चर्स में निवेश किया जाना प्रस्तावित है, उनमें ऑफिस बिल्डिंग, अर्बन कियोस्क, मशीनीकृत और अन्य प्रकार की पार्किंग और रोड जंक्शन जैसे प्रशासनिक या यूटिलिटी वाले इंफ्रास्ट्रक्चर शामिल हैं। इसके साथ ही, को-वर्किंग स्पेस, अर्बन मेला, फूड स्ट्रीट हब और डिजिटल स्ट्रीट्स जैसे लाइवलीहुड सेंटर्स और इकॉनमिक इंफ्रास्ट्रक्चर भी शामिल हैं। साथ ही हेरिटेज और कल्चरल इंफ्रास्ट्रक्चर में हेरिटेज स्ट्रीट, कंजरवेशन प्रोजेक्ट्स, म्यूजियम, एग्जिबिशन स्पेस, आर्ट गैलरी, अर्बन आर्ट डेकोर और स्टेच्यू भी हैं। सोशल एवं मनोरंजक सुविधाओं में अर्बन कम्युनिटी सेंटर, मैरिज हॉल, रिटायरमेंट होम्स, सीनियर केयर सेंटर, वर्किंग वुमेन हॉस्टल्स, वर्किंग मेन हॉस्टल्स, आडिटोरियम, अर्बन कैफे हैं तो पब्लिक हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में पेट क्लिनिक्स, पार्क्स, ओपन जिम, मल्टीपरपज स्पोर्ट्स फैसिलिटीज शामिल हैं। वहीं एनवायरमेंटल अपग्रेडेशन में अर्बन वेट लैंड्स, अर्बन फॉरेस्ट, अर्बन नर्सरी और हॉर्टीकल्चर में निवेश की योजना है।

निर्धारित क्राइटेरिया पर होगा इंफ्रास्ट्रक्चर का चयन

इंफ्रास्ट्रक्चर के निवेश के लिए फंड का आवंटन शहरी स्थानीय निकाय द्वारा किए गए टैक्स कलेक्शन और इसके अपने हिस्से के अनुपात में होगा। साथ ही, इंफ्रास्ट्रक्चर का चयन गाइडलाइंस में निर्धारित क्राइटेरिया के अनुसार होगा। इसके अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर के चयन में शहरी स्थानीय निकाय के आकार की भी बड़ी भूमिका रहेगी। उन इंफ्रास्ट्रक्चर्स को प्राथमिकता दी जाएगी, जिनमें पीपीपी प्रपोजल की संभावना हो। इस इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के लिए शहरी स्थानीय निकाय द्वारा भूमि उपलब्ध कराई जाएगी।

पीपीपी, केंद्र व राज्य की योजनाओं के बजट से जुटाया जाएगा फंड

इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश के लिए शहरी स्थानीय निकायों का अपना रेवेन्यू या पीपीपी के माध्यम से फंड जुटाया जाएगा। यही नहीं, राज्य, केंद्र की योजनाओं, एसएफसी, सीएफसी के तहत भी बजट का प्राविधान किया जाएगा। वहीं, सांसदों और विधायकों की निधि से भी इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश किया जा सकता है, जबकि सीएसओ, इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन भी अपने सीएसआर फंड्स के माध्यम से शहरी स्थानीय निकायों के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश कर सकते हैं। फंड डिस्ट्रिब्यूशन के तहत पहले ऑप्शन में 40 प्रतिशत नगर निगम, 40 प्रतिशत नगर पालिका परिषद और 20 प्रतिशत नगर पंचायतों को दिए जाने का प्राविधान प्रस्तावित है। वहीं दूसरे ऑप्शन में 50 प्रतिशत नगर निगम को, 25 प्रतिशत नगर पालिका परिषद को और 25 प्रतिशत नगर पंचायत को मिल सकता है।

हिन्दुस्थान समाचार/दिलीप/सियाराम

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