सीखना केवल वयस्क शिक्षा तक ही सीमित नहीं : प्रो.सोरेन एहलर्स

सीखना केवल वयस्क शिक्षा तक ही सीमित नहीं : प्रो.सोरेन एहलर्स
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सीखना केवल वयस्क शिक्षा तक ही सीमित नहीं : प्रो.सोरेन एहलर्स


कानपुर, 11 दिसंबर (हि.स.)। आजीवन सीखने को मान्यता मिल रही है और यह केवल वयस्क शिक्षा तक ही सीमित नहीं है। यह बात सोमवार को छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर परिसर में बियॉन्ड एजुकेशन: इंप्लीमेंटिंग लाइफ़लोंग लर्निंग इंडिया विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ के मौके पर डेनमार्क से आए प्रो.सोरेन एहलर्स ने कहा।

उन्होंने सभी क्षेत्रों में आजीवन सीखने के महत्व पर जोर देते हुए कहा इंजीनियरिंग, मेडिकल, प्रबंधन, अर्थशास्त्र जैसे विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों को आजीवन सीखने में योगदान देना चाहिए। आजीवन सीखना सभी उम्र के लोगों के लिए है, न कि केवल वयस्कों के लिए। विश्व बैंक का हवाला देते हुए कहा कि आजीवन सीखना व्यक्तिगत और तर्क में निवेश करना है।

कार्यक्रम में दिल्ली स्कूल ऑफ जर्नलिज्म डीयू के निदेशक प्रोफेसर जे.पी. दुबे ने सहयोग के महत्व पर प्रकाश डालते बताया कि आजीवन सीखने का वर्तमान मुद्दा अधिकतम लोगों तक पहुंच रहा है। उन्होंने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की कि वर्तमान में हम केवल हेड काउंट साक्षरता के साथ सीखने का आकलन करते हैं जो बहुत अच्छा विचार नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि जिसे हम कभी पाठ्यक्रम का हिस्सा बनना चाहते थे वह अब एनईपी का हिस्सा है, नीति निर्माण के महत्व की ओर इशारा किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमें अपने स्वयं के कार्यक्रम बनाने चाहिए जो सीखने के लिए प्रासंगिक होने चाहिए।

इस मौके पर सागर केंद्रीय विश्वविद्यालय से आए प्रोफेसर डी.एस. राजपूत ने आजीवन सीखने को सूचना से ज्ञान तक की यात्रा के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने जेल के कैदियों के जीवन पर जोर दिया। जेल में बंद कैदियों को रिहाई के बाद ऐसे कौशल और तरीके सिखाए जाने चाहिए, जिससे वे अपने जीवन को बेहतर बना सकें और समाज में खुद को ढाल सकें। जेल के कैदियों और जेल अधिकारियों के साथ काम करने के अपने अनुभव साझा किये। जेल के कैदियों और अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर जोर दिया।

वहीं आयरलैंड से आए प्रो. सीमस ओ' ताउमा ने कहा आजीवन सीखना कोई नई बात नहीं है। सीखना हमारे डीएनए का एक हिस्सा है। हम जन्म से लेकर मृत्यु तक बहुत सी चीजें सीखते हैं, लेकिन हर चीज अकादमिक शिक्षा का हिस्सा नहीं है। आजीवन सीखना सभी के लिए है, चाहे वे वंचित हों या विशेषाधिकार प्राप्त। शिक्षार्थियों के लिए अवसर विकसित करने के महत्व पर जोर दिया।

कुलाधिपति आनंदी बेन पटेल की प्रेरणा और कुलपति प्रो.विनय कुमार पाठक के कुशल मार्गदर्शन में छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) कानपुर और एएसईएम (एशिया यूरोप मीट) लाइफलॉन्ग लर्निंग हब सीएसजेएमयू कैंपस, कानपुर में बियॉन्ड एजुकेशन: इम्प्लीमेंटिंग लाइफलॉन्ग लर्निंग इंडिया विषय पर 11-12 दिसम्बर को दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ सोमवार को विश्वविद्यालय के लेक्चर हॉल कॉम्पलेक्स में हुआ।

कार्यक्रम के अंत में प्रो.सुधांशु पांडिया ने सम्मेलन में भाग लेने वाले सभी सदस्यों को शुभकामनाएं व्यक्त कीं। इस अवसर पर प्रो.संदीप सिंह, डॉ प्रंशात, डॉ अभिषेक मिश्रा,डॉ मानस उपाध्याय,डॉ अनीता अवस्थी समेत बड़ी संख्या में शिक्षक मौजूद रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/राम बहादुर/राजेश

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