विश्व मृदा दिवस पर कृषि मंत्री ने की ‘धरती माता बचाओ अभियान’ की शुरुआत

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विश्व मृदा दिवस पर कृषि मंत्री ने की ‘धरती माता बचाओ अभियान’ की शुरुआत


-प्रदेश में 4 करोड़ 7 लाख किसानों को प्रदान किए गए मृदा स्वास्थ्य कार्ड

लखनऊ, 5 दिसंबर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने शुक्रवार को विश्व मृदा दिवस पर कृषि निदेशालय से ‘धरती माता बचाओ अभियान’ की शुरुआत की। कृषि मंत्री ने इस अवसर पर प्रदेश के किसानों और वैज्ञानिकों से स्वस्थ, लचीले और टिकाऊ कृषि के निर्माण के लिए एकजुट होकर कार्य करने का आह्वान किया।

मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि यदि मिट्टी के क्षरण की रफ्तार यही रही तो 2050 तक धरती के हरियाली का परिदृश्य बहुत बदल जाएगा, इसलिए हमें पृथ्वी के प्रति अपना कर्तव्य निभाते हुए उसकी रक्षा करनी होगी। इस संदर्भ में उन्होंने सभी को ‘माता भूमिः पुत्रोहं पृथ्विया’ का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि यह पृथ्वी और मानव के बीच गहरे संबंध को दर्शाता है तथा प्रकृति के प्रति सम्मान और कर्तव्य की भावना जागृत करता है।

राज्य कषि मंत्री बलदेव सिंह औलख ने कार्यशाला में कृषकों से मृदा में जीवांश कार्बन बढ़ाने हेत काबर्निक खादों के प्रयोग करने एवं हरी खाद का प्रयोग करने को कहा। उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि खेत में उतनी मात्रा में ही खाद, पानी का उपयोग किया जाए जितना आवश्यक है। साथ ही गौ-आधारित प्राकृतिक खेती को अपनाएं, जिससे आने वाली पीढ़ियों को स्वस्थ धरती सौंपी जा सके।

कृषि मंत्री ने कहा कि उपजाऊ मिट्टी जीवन और जल दोनों का आधार है लेकिन मिट्टी की उर्वरक शक्ति घट रही है, जो भविष्य की खाद्यान्न सुरक्षा के लिए एक गंभीर संकट है। उन्होंने किसानों से टिकाऊ भूमि प्रबंधन (मेड़, बांध), कम्पोस्ट का बेहतर प्रयोग, प्राकृतिक खेती, मल्चिंग एवं माइको स्प्रिंकलर तकनीकी को अपनाने तथा रासायनिक उर्वरकों के पर्णीय छिड़काव का अधिक से अधिक प्रयोग करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ पर्यावरण का नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के पोषण का सवाल है।

3.77 करोड़ कृषकों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराए गए

प्रदेश में भारत सरकार द्वारा संचालित मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना वर्ष 2015 से क्रियान्वित है। योजना के प्रथम चरण (2015 से 2021) में कृषिगत क्षेत्रफल में ग्रिड के आधार पर 3.77 करोड़ कृषकों को निःशुल्क मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराए गए, जबकि योजना में परिवर्तन के उपरांत वर्ष 2022 से 2025 तक चयनित ग्राम पंचायतों में रैण्डम आधार पर 30.6 लाख कृषकों को कार्ड प्रदान किए गए हैं।

इस प्रकार, वर्ष 2015 से खरीफ 2025 तक कुल 4 करोड़ 7 लाख कृषकों को निःशुल्क मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराए गए हैं। इसके अलावा, प्रदेश में कुल 260 मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं संचालित हैं जिनमें 179 तहसील स्तरीय, 75 जनपद स्तरीय और 06 शोध केन्द्रों पर 878 संविदा और 525 राजकीय कार्मिकों द्वारा मृदा परीक्षण का कार्य किया जा रहा है। कार्यक्रम में प्रमुख सचिव कृषि रवींद्र ने कहा कि किसी भी दशा में फसल अवशेष नहीं जलाने चाहिए तथा मृदा में सन्तुलित उर्वरकों का प्रयोग करके एक तरफ मृदा स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।

हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन

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