आधुनिक युग में शिक्षकों की भूमिका बेहद अहम : डॉ. रघुराज सिंह
-अनुभवों से सीखने की सतत प्रक्रिया ही अनुभवात्मक अधिगम : विक्रम बहादुर
प्रयागराज, 26 जून (हि.स.)। शिक्षक का लक्ष्य होता है छात्रों को अच्छे मानव बनाना, जो समाज में उच्च स्थान प्राप्त कर सकें। शिक्षकों को उन्हें न केवल अधिक ज्ञान प्रदान करने में मदद करनी चाहिए, बल्कि उन्हें उनके व्यक्तिगत विकास के लिए भी तैयार करना चाहिए। शिक्षकों की भूमिका आधुनिक युग में इसलिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि वे समाज के निर्माण करने में मदद करते हैं।
उक्त विचार मुख्य वक्ता विद्या भारती काशी प्रान्त के उपाध्यक्ष डॉ. रघुराज सिंह ने बुधवार को ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर कॉलेज सिविल लाइन्स में दस दिवसीय नवचयनित आचार्य प्रशिक्षण वर्ग के अंतिम दिन व्यक्त किया। उन्होंने एक शिक्षक की बालक के विकास में क्या भूमिका है’ विषय पर सभी को सम्बोधित करते हुए कहा कि ‘आधुनिक युग में शिक्षकों की भूमिका बहुत अधिक महत्वपूर्ण हो गई है,क्योंकि वे छात्रों को न केवल ज्ञान देते हैं, बल्कि उन्हें जीवन में जरूरी कौशल भी सिखाते हैं। शिक्षक छात्रों के साथ सहयोग करते हुए उन्हें नैतिक मूल्यों के बारे में भी समझाते हैं, जो एक अच्छे नागरिक के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं।
दूसरे सत्र में ‘अनुभवात्मक अधिगम विषय पर’ ज्वाला देवी सिविल लाइन्स के प्रधानाचार्य विक्रम बहादुर सिंह ने कहा कि अधिगम शब्द अंग्रेजी शब्द ‘लर्निंग’ का हिन्दी रूपान्तरित है। जिसका अर्थ होता है ‘सीखना’ हर एक व्यक्ति बचपन से ही अपने जीवन में कुछ न कुछ सीखता ही रहता है। इस सीखने की प्रक्रिया में कुछ चीजों को तो वह अनुकरण द्वारा सीखता है, कुछ चीजों को वातावरण के द्वारा तथा कुछ चीजों को वह व्यवहार के द्वारा सीखता है। सीखने की इस सतत् प्रक्रिया को ही अधिगम कहते है। अनुभवात्मक अधिगम को क्रिया के माध्यम से सीखना, करके सीखना, अनुभव के माध्यम से सीखना, तथा खोज और अन्वेषण के माध्यम से सीखना भी कहा जाता है। इसके पूर्व मुख्य वक्ता का स्वागत काशी प्रान्त के सम्भाग निरीक्षक गोपालजी तिवारी ने किया।
हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/सियाराम
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